वॉशिंगटन: डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों ने पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था में हलचल मचा रखी है लेकिन फिलहाल अमेरिकी राष्ट्रपति रूकने को तैयार नहीं है। ट्रंप ने मंगलवार को एक और बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि वे जल्द ही फार्मास्यूटिकल्स यानी दवाओं के आयात पर 'बड़ा' टैरिफ लगाने की घोषणा करेंगे। 

डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि इस कदम का उद्देश्य विदेशी दवा आपूर्ति पर अमेरिकी निर्भरता को कम करना और घरेलू दवा उत्पादन को पुनर्जीवित करना है। उन्होंने कहा, 'हम दवा आयात पर कुछ बहुत बड़ा कदम उठाने जा रहे हैं, एक बड़ा टैरिफ आने वाला है।'

इससे पहले अमेरिका ने चीन पर जवाबी कार्रवाई करते हुए 104% टैरिफ लगाने की घोषणा की जो 9 अप्रैल से लागू हो रहा है। चीन पर नए टैरिफ के बाद हालात और गंभीर होने की आशंका है। चीन पहले ही कह चुका है कि वह अमेरिका के टैरिफ बढ़ाने के खिलाफ 'अंत तक लड़ेगा'।

डेडलाइन खत्म होने के बाद चीन पर जवाबी कार्रवाई

चीन पर 104% टैरिफ की घोषणा डोनाल्ड ट्रंप की ओर से दी गई एक दिन की डेडलाइन की मियाद खत्म होने के बाद लगाई गई है। दरअसल, ट्रंप ने चीन की ओर से अमेरिका पर लगाए 34% टैरिफ को हटाने के लिए एक दिन की डेडलाइन रखी थी और बीजिंग को इसे हटाने को कहा था। ट्रंप ने कहा था कि अगर चीन कदम पीछे नहीं खींचता है तो अमेरिका और 50% टैरिफ लगाएगा।

गौरतलब है कि चीन ने अमेरिका की ओर से लगाए 34 प्रतिशत टैरिफ के जवाब में अमेरिकी उत्पादों पर 34% टैरिफ लगा दिया था। साथ ही चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने कहा था कि वह राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए जवाबी कदम उठाने जा रहा है। चीन ने ट्रंप की धमकी के जवाब में मंगलवार को कहा था कि अगर अमेरिका टैरिफ युद्ध पर अड़ा रहा तो वह भी अंत तक लड़ेगा।

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मंगलवार को कहा कि अमेरिका जल्द ही दवा आयात पर "बड़ा" टैरिफ लगाने की घोषणा करेगा। नेशनल रिपब्लिकन कांग्रेसनल कमेटी के एक कार्यक्रम में बोलते हुए ट्रम्प ने कहा कि टैरिफ दवा कंपनियों को अपना कारोबार अमेरिका में स्थानांतरित करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।

दवा आयात पर टैरिफ लगने से भारत की बढ़ेगी मुश्किल!

बढ़ते टैरिफ वॉर के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को कहा कि अमेरिका जल्द ही दवा आयात पर 'बड़ा' टैरिफ लगाने की घोषणा करेगा। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार नेशनल रिपब्लिकन कांग्रेसनल कमेटी के एक कार्यक्रम में बोलते हुए ट्रंप ने कहा कि टैरिफ दवा कंपनियों को अपना कारोबार अमेरिका में स्थानांतरित करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।

ट्रंप के फार्मास्यूटिकल्स पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने से भारत की भी मुश्किलें बढ़ सकती है। दरअसल, अमेरिका को दवाओं के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ताओं में से एक भारत भी है। ऐसे में नए टैरिफ की घोषणा ट्रंप करते हैं, तो भारत को इससे काफी नुकसान हो सकता है। पिछले साल यानी 2024 में भारत के फार्मास्यूटिकल निर्यात का मूल्य 12.72 बिलियन अमरीकी डॉलर (10,980 करोड़ रुपये) था, जिससे यह देश का सबसे बड़ा औद्योगिक निर्यात क्षेत्र बन गया था। 

भारतीय दवा कंपनियां अमेरिकी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। 2022 में अमेरिका में भरे गए 10 प्रिस्क्रिप्शन में चार भारतीय दवाओं से संबंधित थे। इकोनॉमिक्स टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय फर्मों की दवाओं ने अकेले 2022 में अमेरिकी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को 219 बिलियन अमरीकी डॉलर और 2013 से 2022 के बीच 1.3 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर की बचत में मदद की। अगले पांच वर्षों में, भारत के जेनेरिक दवाओं से 1.3 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर की अतिरिक्त बचत होने का अनुमान है। 

जानकारों का मानना है कि दवा आयात पर उच्च शुल्क लगाने से भारतीय दवा निर्माताओं को गंभीर नुकसान हो सकता है। इससे उत्पादन लागत बढ़ जाएगी और अन्य देशों के प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में भारतीय कंपनियों की दवाओं के मूल्य में भी वृद्धि होगी। इससे पहले अमेरिका ने हाल ही में भारतीय वस्तुओं पर 26% पारस्परिक टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। हालांकि, यह अन्य कई देशों के मुकाबले कम है।