वॉशिंगटन: डोनाल्ड ट्रंप की ओर शुरू किए गए टैरिफ वॉर ने एक नया मोड़ ले लिया है। यह अब पूरी तरह से अमेरिका और चीन के बीच टकराव में बदलता नजर आ रहा है। दरअसल, ट्रंप ने बुधवार को बड़ा ऐलान करते हुए चीन को छोड़ ज्यादातर देशों पर लगाए गए अतिरिक्त ट्रैरिफ को 90 दिनों के लिए रोक दिया है। हालांकि, इस दौरन 10% टैरिफ इन पर लागू रहेगा। वहीं चीन पर टैरिफ को बढ़ाकर 125% कर दिया गया है।

ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर इसकी घोषणा की। उन्होंने कहा कि चीन को जहां 125 प्रतिशत टैरिफ का खामियाजा भुगतना पड़ेगा, वहीं, वाशिंगटन ने अन्य 75 देशों पर 90 दिनों की रोक लगा दी है, जिनके खिलाफ 2 अप्रैल को पारस्परिक टैरिफ लगाया गया था। इन 75 देशों में भारत भी शामिल है।

'चीन ने विश्व बाजार के प्रति असम्मान दिखाया...'

ट्रंप ने दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन के खिलाफ टैरिफ को बढ़ाने की घोषणा करते हुए सोशल मीडिया पर आगे लिखा, 'चीन ने दुनिया के बाजारों के प्रति जो सम्मान की कमी दिखाया है, उसके आधार पर मैं संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा चीन पर लगाए जाने वाले टैरिफ को तत्काल प्रभाव से बढ़ाकर 125% कर रहा हूँ।' 

चीन पर दशकों से अपने टैरिफ ढांचे, अनुचित व्यापार प्रथाओं, मुद्रा हेरफेर रणनीति और अनुचित सब्सिडी मानदंडों के साथ अमेरिका की अर्थव्यवस्था को "लूटने" का आरोप लगाते हुए ट्रंप ने लिखा कि 'उम्मीद है कि निकट भविष्य में, चीन को एहसास होगा कि अमेरिका और अन्य देशों को लूटने के दिन अब स्वीकार्य नहीं हैं।' 

भारत समेत 75 देशों के लिए राहत

ट्रंप ने भारत समेत 75 देशों पर लगाए गए टैरिफ पर 90 दिनों की रोक का भी ऐलान किया। ट्रंप ने इन देशों की ओर से किसी भी तरह की जवाबी कार्रवाई नहीं करने की सराहना करते हुए वे उनके सुझावों का सम्मान करते हैं। ट्रंप ने लिखा, 'इसके विपरीत, और इस तथ्य के आधार पर कि 75 से अधिक देशों ने वाणिज्य, वित्त तथा यूएसटीआर विभागों सहित संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रतिनिधियों को व्यापार, व्यापार अवरोधों, शुल्कों, मुद्रा हेरफेर तथा गैर-मौद्रिक शुल्कों से संबंधित चर्चा किए जा रहे विषयों के समाधान के लिए बातचीत करने के लिए बुलाया है, अमेरिका के विरुद्ध किसी भी तरह से जवाबी कार्रवाई नहीं की है, मैंने तत्काल 90 दिन का विराम देने का फैसला किया है। इस अवधि के दौरान पारस्परिक शुल्क में पर्याप्त रूप से कमी करके इसे 10% रहने दिया गया है।'

टैरिफ पर कदम पीछे खींचने के क्या है मायने?

ट्रंप ने चीन को छोड़ भले ही ज्यादातर देशों को राहत दी है लेकिन इससे यह सवाल भी खड़े हो रहे हैं कि क्या अमेरिकी प्रशासन में पारस्परिक टैरिफ नीति को लेकर अनिश्चितता है? खासकर, टैरिफ की घोषणाओं के बाद जिस तरह वैश्विक बाजार में उथलपुथल मची और खासकर अमेरिकी बाजारों में रिकॉर्ड गिरावट हुई, संभवत: उसे देख ट्रंप प्रशासन ने आक्रामक टैरिफ नीति को फिलहाल रोकने का फैसला किया है।

इस बात को लेकर भी अटकलें लगाई जा रही हैं कि क्या टैरिफ को स्थायी उपाय के रूप में लगाया गया था या देशों को बातचीत की मेज पर लाने के लिए एक हथियार के तौर पर इसका इस्तेमाल हुआ। जब ट्रंप के प्रमुख सहयोगियों से इस बारे में पूछा गया, तो कुछ ने स्थायी उपाय की बात कही तो कुछ ने बातचीत की मेज पर अन्य देशों को लाने की बात दोहराई। जब यह सवाल खुद अमेरिकी राष्ट्रपति से पूछा गया, तो उनका जवाब मिला-जुला था, जिससे अनिश्चितता और बढ़ गई थी। ट्रंप ने कहा था, 'स्थायी टैरिफ हो सकते हैं और बातचीत भी हो सकती है क्योंकि टैरिफ से परे भी ऐसी चीजें हैं जिनकी हमें जरूरत है।'