मोरक्को के किंग मोहम्मद VI ने इस साल ईद उल-अजहा (बकरीद) पर कुर्बानी न करने की अपील की है। इसकी वजह देश में मवेशियों की भारी कमी और सात साल से जारी सूखे को बताया गया है। मोरक्को के राजा मोहम्मद VI ने बुधवार को मोरक्को के लोगों से कहा कि वे इस साल ईद-उल-अजहा पर भेड़ों को हलाल करने की रस्म न निभाएं, उन्होंने इसके पीछे सूखे का हवाला दिया है। राजा मोहम्मद का कहना है कि कई साल से सूखे की वजह से देश में भेड़ों की संख्या में कमी आई है।

जून में होने वाली ईद अल-अज़हा, इब्राहिम या अब्राहम के जरिए अल्लाह के आदेश पर अपने बेटे की कुर्बानी देने की इच्छा की याद में मनाई जाती है। मुसलमान भेड़ या बकरियों को हलाल कर के इस मौके को मनाते हैं। मांस को परिवार के बीच बांटा जाता है और गरीबों को दान कर दिया जाता है।

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, लगातार सूखे की वजह से नौ साल पहले की पिछली जनगणना के बाद से 2025 में मोरक्को के मवेशियों और भेड़ों की तादाद में 38 फीसद की कमी आई है। राजा ने एक पत्र में कहा, "आपको बेस्ट कंडीशन में इस मजबही रस्म को पूरा करने में कामयाब बनाने की हमारी प्रतिबद्धता के साथ-साथ हमारे देश के सामने मौजूद जलवायु और आर्थिक चुनौतियों पर विचार करने का फर्ज भी है, जिसकी वजह पशुधन की तादाद में उल्लेखनीय गिरावट आई है।"

बकरीद पर कुर्बानी से करें तौबा

मोरक्को के सर्वोच्च धार्मिक नेता राजा ने कहा, "इन मुश्किल हालातों में यह रस्म करने से हमारे लोगों के बड़े हिस्से को, खास तौर से सीमित आय वाले लोगों को काफी नुकसान होगा।" इस साल बारिश पिछले 30 सालों के औसत से 53 प्रतिशत कम रही, जिससे पशुओं के लिए चारागाह की कमी हो गई। मांस उत्पादन में गिरावट आई है, जिससे स्थानीय बाजार में कीमतें बढ़ गई हैं और जीवित मवेशियों, भेड़ों और लाल मांस का आयात बढ़ गया है।

इंपोर्ट की गईं भेड़

देश ने हाल ही में ऑस्ट्रेलिया से 100,000 भेड़ों के आयात के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। अपने 2025 के बजट में, मोरक्को ने घरेलू बाजार में कीमतों को स्थिर रखने के लिए मवेशियों, भेड़ों, ऊंटों और लाल मांस पर आयात शुल्क और प्राइस स्टेबल को निलंबित कर दिया है।