नई दिल्लीः स्पेन में भारत के राजदूत दिनेश के. पटनायक को कनाडा में अगला उच्चायुक्त नियुक्त किया गया है। विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को दिनेश के. पटनायक की नियुक्ति की जानकारी दी।

विदेश मंत्रालय के अनुसार, 1990 बैच के भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) के वरिष्ठ अधिकारी दिनेश के. पटनायक (जो वर्तमान में स्पेन में भारत के राजदूत हैं) को कनाडा में भारत का अगला उच्चायुक्त नियुक्त किया गया है।

विदेश मंत्रालय के मुताबिक, पटनायक के जल्द ही अपने नए पद का कार्यभार संभालने की उम्मीद है।

यह नियुक्ति नई दिल्ली द्वारा पिछले उच्चायुक्त को ओटावा से वापस बुलाए जाने के 10 महीने बाद हुई है, जब तत्कालीन कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की भारत के प्रति 'लगातार शत्रुता' के कारण राजनयिक तनाव बढ़ गया था।

जस्टिन ट्रुडो के कार्यकाल में बढ़ा था तनाव

ट्रूडो के कार्यकाल में कनाडा में चरमपंथ और हिंसा के माहौल का हवाला देते हुए भारत ने अपने उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा को वापस बुला लिया था।

भारत और कनाडा के रिश्ते तब और बिगड़ गए, जब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने संसद में दावा किया कि उनके पास खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता के 'पुख्ता आरोप' हैं।

इसके बाद एक बड़ा राजनयिक विवाद खड़ा हो गया, जब कनाडा ने भारत के उच्चायुक्त और कुछ अन्य भारतीय राजनयिकों को निज्जर की मौत की जांच में 'संदिग्ध' बताया।

भारत ने इन आरोपों को 'बेतुका' तथा 'राजनीति से प्रेरित' बताया और कनाडा पर आरोप लगाया कि वह अपने देश में भारत विरोधी और कट्टरपंथी ताकतों को जगह दे रहा है।

विदेश मंत्रालय ने 14 अक्टूबर को नई दिल्ली में कनाडाई चार्ज डी'अफेयर्स को तलब करने के बाद बयान जारी कर कहा था, "हमें वर्तमान कनाडाई सरकार की उनके (राजनयिकों) सुरक्षा सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता पर कोई भरोसा नहीं है। इसलिए, भारत सरकार ने उच्चायुक्त और अन्य लक्षित राजनयिकों तथा अधिकारियों को वापस बुलाने का फैसला किया है। यह भी बताया गया कि भारत ट्रूडो सरकार के भारत के खिलाफ चरमपंथ, हिंसा और अलगाववाद के समर्थन के जवाब में आगे कदम उठाने का अधिकार सुरक्षित रखता है।"

पीएम मोदी ने तोड़ी चुप्पी

कनाडा में खालिस्तानी चरमपंथियों द्वारा हिंदुओं और उनके पूजा स्थलों को खुले तौर पर निशाना बनाए जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्रूडो सरकार की इन समूहों के प्रति नरमी और कनाडाई पीएम के समर्थन भरे बयानों पर चुप्पी तोड़ी, जो ऐसे गुटों को बढ़ावा दे रहे थे।

हालांकि, मार्क कार्नी के कनाडाई प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत-कनाडा संबंधों को बहाल करने के लिए कुछ सुनियोजित कदम उठाए गए हैं, जिसके परिणामस्वरूप पटनायक की नियुक्ति हुई है।

कार्नी ने जून में पीएम मोदी को कनानास्किस में जी7 आउटरीच शिखर सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया और दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों को पुनर्जनन देने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण बैठक की थी।

18 जून की इस बैठक को विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने 'बेहद सकारात्मक और रचनात्मक' बताया था। प्रारंभिक कदम के रूप में दोनों नेताओं ने जल्द से जल्द उच्चायुक्तों को बहाल करने पर सहमति जताई थी।

मिस्री ने कहा, "प्रधानमंत्रियों ने इस बहुत महत्वपूर्ण रिश्ते में स्थिरता बहाल करने के लिए सुनियोजित कदम उठाने पर सहमति जताई और पहला कदम यह था कि जल्द से जल्द एक-दूसरे की राजधानियों में उच्चायुक्तों को बहाल किया जाए। अन्य राजनयिक कदम उचित समय पर उठाए जाएंगे।"

(यह खबर आईएएनएस समाचार एजेंसी की फीड द्वारा प्रकाशित है। इसका शीर्षक बोले भारत न्यूज डेस्क द्वारा दिया गया है।)