Table of Contents
तेहरान: ईरान में हाल में आए भूकंप को लेकर चर्चा काफी तेज हो गई है। सोशल मीडिया पर कुछ यूजरों का दावा है कि ईरान ने परमाणु परिक्षण किया है। यूजरों द्वारा इसे लेकर अलग-अलग दावे भी पेश किए गए हैं।
एक यूजर ने कहा है कि रेडिएशन के प्रभाव से बचने के लिए ईरान ने जमीन के भीतर परमाणु परिक्षण किया है। वहीं यूजरों ने इसे ईरान इजराइल के बीच चल रहे तनाव से भी जोड़ कर देखा है। पांच अक्टूबर को ईरान के सेमनान से 44 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में 10 किलोमीटर की गहराई में 4.6 तीव्रता का भूकंप आया था।
ईरान में अक्सर भूकंप आते रहते हैं और शनिवार को जहां यह झटके महसूस किए गए थे वह इलाका ईरान के परमाणु परिक्षण क्षेत्र से काफी नजदीक है। भूकंप इतना असरदार था कि इसके झटके ईरान की राजधानी तेहरान तक महसूस किए गए थे। यह भूंकप तेहरान से 110 किलोमीटर दूरी पर आया था। केवल ईरान में ही नहीं बल्कि एक हल्का झटका इजराइल में भी दर्ज किया गया था।
पहले ईरान और फिर इजराइल में झटके महसूस होने के बाद इस बात की अटकले तेज हो गई है कि ईरान ने कोई परमाणु परिक्षण किया है। इसे लेकर सोशल मीडिया पर बहस भी शुरू हो गई है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या सच में ईरान में कोई भूकंप भी आया था या फिर शिया बहुल देश ने कोई परमाणु परिक्षण किया है।
एक्सपर्ट की क्या है राय
भूकंप के एपीसेंटर और ईरान के परमाणु परिक्षण साइट का नजदीक होना, इस अफवाह को और भी हवा दिया है। जानकारों का कहना है कि सोशल मीडिया के दावों के अनुसार, ईरान द्वारा किया गया भूमिगत परमाणु परीक्षण भूकंप के समान भूकंपीय घटनाओं को ट्रिगर कर सकता है।
लेकिन उनका यह भी कहना है कि इस बात का कोई ठोस प्रमाण नहीं है कि यह झटके परमाणु विस्फोट के कारण हुए थे। कोई भी ठोस सबूत इस बात की पुष्टि नहीं करता है कि यह झटके परमाणु विस्फोट के कारण हुए थे।
भूकंप की गहराई 10 किलोमीटर और इसकी तीव्रता 4.6 थी जो प्राकृतिक भूकंपीय गतिविधियों की सीमा के भीतर थी। ऐसे में कुछ यूजरों ने यह तर्क दिया है कि यह गतिविधियां भूकंपीय एक्टिविटी और परमाणु परीक्षणों से मेल खाती हैं।
पांच अक्टूबर के भूकंप को लेकर इस दावे को बल मिलता है कि यह एक परमाणु परिक्षण ही हो सकता है। लेकिन इसके कोई पक्के सबूत नहीं मिले हैं। इन अटकलों के बीच इस बात का कोई भी सबूत भी नहीं मिला है कि ईरान ने जमीन के भीतर कोई परमाणु परिक्षण किया है।
ऐसे में इस घटना को एक भूकंप ही माना जा रहा है जब तक इस पर कोई ठोस सबूत न निकल कर सामने आए।
इजराइल और आंतकी ग्रुपों के बीच संघर्ष
पिछले साल अक्टूबर में आतंकी ग्रुप हमास के लड़ाकों ने इजराइल पर हमला किया था। इसमें 1200 लोगों की जान गई थी और कई इजराइलियों को बंधक बनाया गया था। इसके बाद से इजराइल ने गाजा और लेबनान के कई हिस्सों पर हमला किया था जिसमें 42 हजार फिलिस्तीनियों को मौत हो चुकी है।
इजराइल और हमास के संघर्ष में दूसरे आंतकी ग्रुप जैसे हूत और हिजबुल्लाह भी इसमे शामलि हो गई थे। तब से लेकर अब तक इजराइल का अलग-अलग आतंकी ग्रुप से मुकाबला होते आ रहा है।
हाल के कुछ महीनों में हमास और हिजबुल्लाह के बड़े नेताओं की भी हत्याएं हुई हैं। इन हत्याओं के बाद इस संघर्ष में ईरान की भी एंट्री हो गई है। इजराइल एक तरफ हमास, हिजबुल्लाह और हूतों से लड़ रहा है वहीं दूसरी ओर वह ईरान से भी मुकाबला कर रहा है।
इस संघर्ष में पिछले हफ्ते ईरान ने इजराइल पर 200 से अधिक बैलिस्टिक मिसाइलें दागी थी। इन मिसाइलों के बदले इजराइल ने भी जवाबी कार्रवाई की बात कही है।