वॉशिंगटन: अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने हाल ही में एक बड़े साइबर हमले का खुलासा किया है, जिसमें चीनी राज्य-प्रायोजित हैकरों ने विभाग के कंप्यूटर सिस्टम में सेंध लगाई और कुछ गोपनीय दस्तावेजों तक पहुंच बनाई।
इस हमले को एक “बड़ी घटना” बताते हुए ट्रेजरी विभाग ने इसकी जांच के लिए एफबीआई और अन्य सरकारी एजेंसियों से मदद लेने की बात की है। यह साइबर हमला इस महीने की शुरुआत में हुआ था। जब एक तीसरे पक्ष की सुरक्षा सेवा प्रदाता कंपनी बियॉन्डट्रस्ट के जरिए हैकरों ने विभाग के सिस्टम में घुसपैठ की।
ट्रेजरी विभाग के अधिकारियों के अनुसार, हैकर्स ने उस सुरक्षा कीज को चुराया, जिसे बियॉन्डट्रस्ट ट्रेजरी विभाग के कर्मचारियों को तकनीकी सहायता देने के लिए उपयोग करता था। इसके बाद वे ट्रेजरी विभाग के कर्मचारियों के वर्कस्टेशन तक दूरस्थ रूप से पहुंचने में सक्षम हो गए और वहां रखे गए कुछ गोपनीय दस्तावेजों को चुराया।
चीनी हैकर समूह सरकारी एजेंसियों और बड़े संस्थानों को निशाना बनाता है
ट्रेजरी विभाग ने बताया कि आठ दिसंबर को बियॉन्डट्रस्ट ने उन्हें इस सेंधमारी के बारे में सूचित किया। हालांकि बियॉन्डट्रस्ट ने पहले इस घटना को पहचानने में कुछ समय लिया। कंपनी ने दो दिसंबर को सिस्टम में संदिग्ध गतिविधि देखी, लेकिन इसे समझने में उन्हें तीन दिन का समय लगा।
इसके बाद ट्रेजरी विभाग ने इसकी जांच शुरू की और यह निष्कर्ष पर पहुंचा कि यह साइबर हमला चीनी हैकरों द्वारा किया गया था, जिन्हें एडवांस्ड पर्सिस्टेंट थ्रेट (APT) का सूत्रधार कहा जाता है। यह समूह आमतौर पर सरकारी एजेंसियों और बड़े संस्थानों को निशाना बनाता है और लंबे समय तक उनकी प्रणालियों में घुसपैठ बनाए रखता है।
ट्रेजरी विभाग के प्रवक्ता जॉन डेविस ने कहा, “हमें यह भरोसा है कि इस घटना में शामिल हैकरों ने बियॉन्डट्रस्ट की सेवा को ओवरराइड किया और इससे कुछ ट्रेजरी विभाग के कर्मचारियों के वर्कस्टेशन तक पहुंच बनाई। हालांकि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि उन्होंने अधिक संवेदनशील जानकारी चुराई है।”
इससे पहले बियॉन्डट्रस्ट ने भी अपनी ओर से इस घटना को स्वीकार करते हुए बताया था कि उसने अपनी सुरक्षा प्रणाली को सुधारने के लिए उपाय किए हैं और इसमें शामिल कुछ ग्राहकों को सूचित किया है। बियॉन्डट्रस्ट ने कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ सहयोग किया और जांच प्रक्रिया में पूरा सहयोग किया।
हालांकि ट्रेजरी विभाग ने यह स्पष्ट नहीं किया कि हैकर्स ने किस प्रकार की जानकारी चुराई और यह हमला कब और कितने समय तक चला। विभाग ने यह भी नहीं बताया कि इस हमले के कारण कितनी गोपनीय जानकारी उजागर हुई और क्या इससे अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा को कोई खतरा उत्पन्न हुआ।
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अमेरिका के आरोपों पर चीन ने क्या कहा है
इस बीच चीन ने इस आरोप को सिरे से नकारते हुए कहा कि यह आरोप “बदनाम करने के उद्देश्य से” लगाए गए हैं और “इसके पीछे कोई वास्तविक आधार नहीं है।” वाशिंगटन स्थित चीनी दूतावास के प्रवक्ता लियू जियाओ ने कहा, “अमेरिका द्वारा चीन पर लगाए गए ये आरोप निराधार हैं और चीन इससे सहमत नहीं है।”
यह घटना अमेरिकी साइबर सुरक्षा पर एक बड़ा सवाल खड़ा करती है, खासकर जब से यह हमला एक राज्य-प्रायोजित समूह द्वारा किया गया था। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे हमले आने वाले समय में और भी बढ़ सकते हैं, जिससे देशों को अपनी साइबर सुरक्षा प्रणालियों को और मजबूत करने की आवश्यकता होगी।
विशेषज्ञों का कहना है कि देशों को अपनी डिजिटल प्रणालियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है, क्योंकि साइबर हमले किसी भी वक्त, कहीं से भी हो सकते हैं और इनसे होने वाली क्षति गंभीर हो सकती है।
अमेरिका अब इस मामले की गंभीरता को देखते हुए साइबर सुरक्षा को लेकर अपनी नीतियों में बदलाव करने पर विचार कर रहा है। वहीं, इस मामले में और अधिक जानकारी मिलने के बाद अमेरिकी अधिकारियों ने इस तरह के हमलों से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर सहयोग बढ़ाने का भी प्रस्ताव दिया है।