नेपाल के 100 रुपये के नोट पर नये नक्शे लेकर विवाद...भारत और नेपाल के बीच सीमा को लेकर क्यों बार-बार हो जाता है हंगामा

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Controversy over new maps on Nepal 100 rupee note What kind of dispute there regarding border between India and Nepal

नेपाल के 100 रुपये के नोट पर नये नक्शे लेकर विवाद (फोटो- IANS)

पिछले हफ्ते कैबिनेट बैठक के दौरान नेपाल सरकार ने नेपाल राष्ट्र बैंक को देश के नए नक्शे के साथ सौ रुपए के नोट को छापने की मंजूरी देने पर फैसला किया था जिसे लेकर अब विवाद शुरू हो गया है। दरअसल, जिस सौ रुपए के नोट को छापने की मंजूरी देने पर फैसला किया गया था उसमें विवादित नक्शे का इस्तेमाल किया गया है।

इस नोट में नेपाल ने भारत के कुछ क्षेत्रों को अपने हिस्से में दिखाया है। नेपाल का दावा है कि विवादित क्षेत्र उसका है जिसे लेकर भारत पहले ही अपना एतराज जता चुका है। इस विवाद से दोनों देशों के रिश्तों में फिर से तनाव बढ़ने लगा है।

इससे पहले जब भारत ने अग्निवीर सैन्य योजना के लिए जवानों की भर्ती शुरू की थी तब नेपाल सरकार ने इस योजना का विरोध किया था और भारतीय सेना में नेपाली मूल के गोरखाओं को भेजने से इंकार कर दिया था।

इस कारण दोनों देशों के बीच तनाव पैदा हुआ था। ऐसे में अब सौ रुपए के नोट पर विवादित नक्शे को इस्तेमाल करने से दोनों देशों के रिश्तें प्रभावित हुए हैं।

भारत और नेपाल के बीच क्या है यह सीमा विवाद

नेपाल और भारत के सीमा से सटे लिपुलेख, लिम्पियाधुरा और कालापानी जैसे कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जिसे लेकर इन दोनों देशों के बीच विवाद चल रहा है। साल 2019 में भारत ने एक राजनीतिक नक्शा जारी किया था जिसमें इन तीनों क्षेत्रों को अपना हिस्सा बताया था जिस पर नेपाल ने उस समय आपत्ति जताई थी।

नेपाल का दावा है कि 1816 की सुगौली संधि के आधार पर यह क्षेत्र उसका है जिस पर भारतीय आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि नेपाल का यह दावा सही नहीं है।

बता दें कि साल 1816 एंग्लो-नेपाल युद्ध के बाद ब्रिटिश भारत और नेपाल के बीच एक संधि हुई थी जिसे सुगौली संधि के नाम से जाना जाता है। नेपाल इसी संधि का हवाला देते हुए यह दावा करता है कि लिम्पियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख सहित काली (महाकाली) नदी के पूर्व के सभी क्षेत्र उसका है।

नेपाल ने सड़क निर्माण पर उठाया था सवाल

अगस्त 2020 में नेपाली संसद के प्रतिनिधि सभा ने सबकी सहमति से संविधान संशोधन विधेयक को अपनाया था और इसमें नेपाल के एक नया राजनीतिक नक्शा जारी किया था जिसमें लिपुलेख, लिम्पियाधुरा और कालापानी को देश का हिस्सा बताया गया था।

इसके बाद मई 2022 में नेपाल ने भारत सरकार से कहा था वह उसके क्षेत्र से होकर जाने वाले सड़कों पर किसी किस्म का निर्माण न करें। बता दें कि नेपाल का बयान तब सामने आया जब भारत लिपुलेख तक एक सड़क का निर्माण कर रहा था और आगे इसे और विस्तार करने की योजना थी।

ऐसे में इसी महीने नेपाल राष्ट्र बैंक द्वारा नए नोटों को छापने की अनुमति देने के बाद विवादित हिस्सा को लेकर फिर से विवाद खड़ा हो गया है। इस विवाद में नेपाल सरकार की तरफ से भी कई बयान जारी किए गए हैं साथ ही इस पर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी अपनी प्रतक्रिया दी है।

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