ढाकाः बांग्लादेशी अमेरिकी समूहों ने अमेरिकी राष्ट्रपति-निर्वाचित डोनाल्ड ट्रंप से बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हस्तक्षेप की अपील की है। ट्रंप को भेजे ज्ञापन में समूह ने कहा है कि बांग्लादेश की मोहम्मद युनूस की अंतरिम सरकार में अल्पसंख्यक समुदायों को गंभीर खतरा है। यह अपील तब की गई है जब अगस्त 2024 में एक छात्र आंदोलन ने चुनी हुई शेख हसीना सरकार को उखाड़ फेंका था।

इन समूहों ने ट्रंप से यह भी मांग की है कि वह इस्कॉन के संत चिन्मय कृष्ण दास की रिहाई के लिए तत्काल हस्तक्षेप करें। इस्कॉन के पूर्व पदाधिकारी दास को 25 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था। उन पर राष्ट्रध्वज का अपमान करने के लिए देशद्रोह का आरोप लगाया गया है। खबरों के मुताबिक, चिन्मय दास गंभीर रूप से बीमार भी हैं।

चिन्मय कृष्ण दास की रिहाई की मांग

बांग्लादेशी अमेरिकी कार्यकर्ताओं का कहना है कि बांग्लादेश में धार्मिक और जातीय उत्पीड़न के कारण अल्पसंख्यक समुदायों को अस्तित्व संकट का सामना करना पड़ रहा है। बांग्लादेश हिन्दू बौद्ध ईसाई एकता परिषद (BHBCOP) ने ट्रंप से अपील की है कि वह इस्कॉन के संत चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की रिहाई सुनिश्चित करें। समूह का कहना है कि दास को देशद्रोह के आरोप में गलत तरीके से गिरफ्तार किया गया है।

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दौरान ट्रंप ने युनुस सरकार की आलोचना की थी और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों की निंदा की थी। उन्होंने बांग्लादेश को "पूर्ण अव्यवस्था की स्थिति" में होने वाला देश बताया था। अपने दिवाली संदेश में ट्रंप ने कहा था, “मैं बांग्लादेश में हिन्दू, ईसाई और अन्य माइनॉरिटीज के खिलाफ हो रही बर्बर हिंसा की कड़ी निंदा करता हूं, जो हिंसा और लूटपाट का शिकार हो रहे हैं। बांग्लादेश एक पूर्ण अव्यवस्था की स्थिति में है।”

चिन्मय कृष्ण दास की स्थिति गंभीर

बांग्लादेशी हिन्दू अधिकार समूह, बांग्लादेश सम्मिलित सनातन जागरण जोत (BSSJJ) ने बताया कि दास गंभीर रूप से बीमार हैं और उन्हें युनुस सरकार से उचित इलाज नहीं मिल रहा है। समूह ने यह भी कहा कि दास को अब तक दो बार अस्पताल में भर्ती कराया गया है, लेकिन उनकी स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है।

हिंदू अधिकार समहू ने दास की शीघ्र स्वस्थता के लिए बांग्लादेश के सभी मंदिरों में 1 जनवरी को प्रार्थनाओं का आयोजन करने का आह्वान किया है। उनका कहना है, "चिन्मय कृष्ण प्रभु को उचित इलाज नहीं मिल रहा है। उन्हें दो बार अस्पताल में भर्ती कराया गया है, और हम सभी मंदिरों से उनकी शीघ्र स्वस्थता के लिए प्रार्थनाओं का अनुरोध करते हैं।"

बांग्लादेश में कट्टरपंथीकरण का खतरा

बांग्लादेश हिन्दू बौद्ध ईसाई एकता परिषद ने चेतावनी दी है कि बांग्लादेश धार्मिक कट्टरपंथीकरण की ओर बढ़ सकता है, जिसका असर सिर्फ दक्षिण एशिया पर ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया पर हो सकता है। इसने बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा के लिए कानूनों में सुधार की मांग की है। उनका सुझाव है कि एक नया माइनॉरिटी प्रोटेक्शन एक्ट बनाया जाए, जिसमें माइनॉरिटी और आदिवासी समुदायों को आधिकारिक रूप से पहचाना जाए।

समूह ने इस एक्ट में सुरक्षित इलाकों की स्थापना, माइनॉरिटी समुदायों के लिए अलग मतदाता, और धार्मिक प्रथाओं और सांस्कृतिक धरोहर की सुरक्षा के लिए घृणा अपराधों और भाषणों के खिलाफ कानून बनाने की सिफारिश की है।