बीजिंग: अमेरिका और चीन के बीच व्यापार ट्रेड वॉर थमने का नाम नहीं ले रही है। बीते दिन ट्रंप ने चीन पर 104% जवाबी टैरिफ लगाने का ऐलान किया था। इसके जवाब में आज चीन ने घोषणा की कि वह गुरुवार से अमेरिकी वस्तुओं पर 84 प्रतिशत तक टैरिफ लगाएगा, जो पहले घोषित 34 प्रतिशत से काफी ज्यादा है।

बता दें कि इससे पहले अमेरिका ने चीन पर जवाबी कार्रवाई करते हुए 104% टैरिफ लगाने की घोषणा की जो 9 अप्रैल से लागू हो रहा है। चीन पर नए टैरिफ के बाद हालात और गंभीर होने की आशंका है। चीन पहले ही कह चुका है कि वह अमेरिका के टैरिफ बढ़ाने के खिलाफ 'अंत तक लड़ेगा'।

चीन को WTO ने कही ये बात 

इस धमकी की आलोचना करते हुए विश्व व्यापार संगठन के पूर्व महानिदेशक पास्कल लेमी ने इसे "माफिया जैसा व्यवहार" बताया। यह कदम अमेरिका की सख्त और एकतरफा मांगों को दिखाता है, लेकिन चीन ने जवाब दिया कि अगर अमेरिका ऐसा करता है, तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।

चीनी विशेषज्ञ ली हाईतोंग के मुताबिक, अमेरिका के इस कदम के पीछे दो मकसद हैं। पहला, अगले साल के मध्यावधि चुनावों के लिए राजनीतिक फायदा लेना और दूसरा, लंबे समय तक व्यापार युद्ध के जरिए चीन को कमजोर करना, वैश्वीकरण को रोकना और अपनी सत्ता को मजबूत करना। लेकिन, वैश्वीकरण का समर्थन करने वाला चीन इन दबावों के आगे आसानी से नहीं झुकेगा।

चुनौती से निपटने के लिए तैयार: चीन

2018 के व्यापार युद्ध के बाद से चीनी अर्थव्यवस्था ने अपनी ताकत दिखाई है। विदेशी व्यापार में बढ़ोतरी हुई है और आसियान व 'बेल्ट एंड रोड' देशों के साथ निर्यात भी बढ़ा है, जबकि अमेरिका को निर्यात का हिस्सा कम हुआ है। इससे साफ है कि अमेरिकी टैरिफ का चीन पर बहुत असर नहीं पड़ा। चीनी अर्थव्यवस्था को एक विशाल समुद्र की तरह देखा जा सकता है, जिसे तेज हवाएं भी हिला नहीं सकतीं।

चीन के पास इस चुनौती से निपटने के लिए कई उपाय हैं। सरकार ने '2025 में विदेशी निवेश को स्थिर करने की योजना' और 'उपभोग बढ़ाने की विशेष योजना' जैसे कदम उठाए हैं। मॉर्गन स्टेनली जैसे संस्थानों ने भी कहा है कि इस साल की पहली तिमाही में चीन का प्रदर्शन उम्मीद से बेहतर रहा। इससे साबित होता है कि चीन न सिर्फ निवेश के लिए एक भरोसेमंद जगह है, बल्कि दुनिया के लिए खुलापन बनाए रखने को भी तैयार है।

अपनी ही अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहा अमेरिका

दूसरी तरफ, अमेरिका की टैरिफ नीति उसकी अपनी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिकी किसानों को पहले ही नुकसान हो चुका है और आगे चलकर महंगाई व मंदी का खतरा भी बढ़ सकता है। गोल्डमैन सैक्स का अनुमान है कि मंदी की संभावना 35% तक बढ़ सकती है, वहीं येल विश्वविद्यालय का मानना है कि हर अमेरिकी परिवार को 3,800 डॉलर का नुकसान हो सकता है।

दुनिया भर में अमेरिका की इस नीति की निंदा हो रही है, क्योंकि यह वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए खतरा बन गई है। जर्मन मीडिया ने तो इसे 'बुरा अमेरिका, अच्छा चीन' तक कहा है। उनका मानना है कि दोनों देशों के रवैये का अंतर दुनिया की अर्थव्यवस्था को नए रूप में ढाल रहा है। अमेरिकी दबाव के बावजूद चीन अपने विकास पर ध्यान दे रहा है और दुनिया के साथ बेहतर रिश्तों को बढ़ावा दे रहा है।