वाशिंगटन/बीजिंगः अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन की ओर से लगाए गए जवाबी शुल्क (टैरिफ) को लेकर कहा है कि चीन को अमेरिका की तुलना में कहीं ज्यादा आर्थिक झटका लगा है। हालांकि उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि यह व्यापार युद्ध आसान नहीं होगा, लेकिन अंत ऐतिहासिक जीत के साथ होगा।
शनिवार को ट्रुथ सोशल पर पोस्ट करते हुए ट्रंप ने लिखा, "चीन को अमेरिका की तुलना में कहीं ज्यादा नुकसान हुआ है, यह तुलना के लायक भी नहीं है। उन्होंने और कई अन्य देशों ने अमेरिका के साथ बहुत बुरा व्यवहार किया है।"
उन्होंने आगे कहा, "हम पहले 'बेवकूफ और बेबस' पिटने वाले बन गए थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है। हम नौकरियां और कारोबार वापस ला रहे हैं, जैसी पहले कभी नहीं आईं। अब तक पांच ट्रिलियन डॉलर से अधिक का निवेश आ चुका है, और यह तेजी से बढ़ रहा है। यह एक आर्थिक क्रांति है और हम जीतेंगे।" हालांकि ट्रंप ने यह भी कहा कि यह आसान नहीं होगा, लेकिन नतीजा ऐतिहासिक होगा और अमेरिका को फिर से महान बनाएंगे!
चीन की अमेरिकी सामानों पर 34% टैरिफ
चीन ने शुक्रवार (4 अप्रैल) को अमेरिका से आयातित सामानों पर 34% तक का जवाबी शुल्क लगाने की घोषणा की। यह फैसला ट्रंप प्रशासन की ओर से चीन पर 34 प्रतिशत टैरिफ लगाए जाने के जवाब में लिया गया ।
चीन की स्टेट काउंसिल टैरिफ कमिशन ने एक तीखा बयान जारी कर कहा कि "अमेरिका की यह नीति अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों के अनुरूप नहीं है। यह चीन के वैध अधिकारों और हितों को गंभीर नुकसान पहुंचाती है और यह एकतरफा दादागीरी का उदाहरण है।"
चीन के टैरिफ की घोषणा के बाद ट्रंप ने इस पर तत्काल प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "चीन ने घबराकर गलत कदम उठाया है। यही वो चीज है जो वे बर्दाश्त नहीं कर सकते!" अमेरिकी के कई देशों पर टैरिफ की घोषणा और चीन के जवाबी टैरिफ ने अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर ने एक बार फिर तूल पकड़ लिया है।
चीन ने अमेरिका को उत्पाद निर्यात करने वाली कुछ कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिनमें दुर्लभ पृथ्वी खनिज (रेयर अर्थ मैटेरियल) का निर्यात करने वाली कंपनियां भी शामिल हैं। ये खनिज मोबाइल फोन से लेकर कारों तक के निर्माण में अहम भूमिका निभाते हैं।
टैरिफ वार में किसको नुकसान?
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि रेसिप्रोकल टैरिफ का सबसे ज्यादा नुकसान अमेरिका को ही होगा। इससे अमेरिकी इंकोनॉमी के मंदी में जाने का खतरा बढ़ गया है। जेपी मॉर्गन चेस एंड कंपनी का कहना है कि टैरिफ के बढ़ते दबाव के कारण वे अब अमेरिका की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर -0.3 प्रतिशत कर रहे हैं, जो पहले 1.3 प्रतिशत थी।
बैंक के मुख्य अमेरिकी अर्थशास्त्री माइकल फेरोली ने ग्राहकों को भेजे एक नोट में बताया कि आर्थिक गतिविधियों में संभावित गिरावट से नौकरियों में कटौती हो सकती है और धीरे-धीरे बेरोजगारी दर बढ़कर 5.3 प्रतिशत तक पहुंच सकती है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह गिरावट अर्थव्यवस्था के उस चरण को दर्शाती है जिसे 'संकुचन' कहा जाता है, जहां समग्र आर्थिक गतिविधियां धीमी पड़ जाती हैं।