हाल में ही चीन ने यह ऐलान किया है कि उसकी अर्थव्यवस्था 2024 की पहली तिमाही में उम्मीद से अधिक बढ़ी है। चीन के लिए यह एक अच्छी खबर हो सकती है लेकिन क्या आप जानते हैं कि यहां पर एक नई समस्या जन्म ले रही है जो चीनी सरकार की चिंता को और अधिक बढ़ा सकती है।
दरअसल, चीन में लोगों द्वारा भारी पैमाने पर लिए गए लोन और फिर उसे न चुका पाना एक बड़ी समस्या बनकर उभर रही है।
दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था कहे जाने वाले चीन में बहुत से लोगों ने कर्ज ले रखा है और अब वे लोन को चुका नहीं पा रहे हैं जिस कारण उन्हें कई मुसिबतों का सामना करना पड़ रहा है।
ऐसे में चीनी सरकार इन लोगों की पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई कर रही है। सजा के तौर पर उन्हें बुनियादी सुविधाओं के इस्तेमाल से बाधित किया जा रहा है। ऐसे में चीनी लोगों पर यह कर्ज का पहाड़ कब और कैसे हावी हुआ और क्या है इसके पीछे असली कारण, आइए इसे जानते हैं।
लोन लेने वालों को ब्लैकलिस्ट कर रही है सरकार
द वॉल स्ट्रीट जर्नल (डब्लूएसजे) की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2019 के बाद कर्ज लेकर उसे न चुकाने वाली की संख्या 50 फीसदी बढ़ी है और आज यह आंकड़ा 8.3 मिलियन (83 लाख) तक पहुंच गया है।
चीनी सरकार ने पहले यह दावा किया था कि वे केवल उन लोगों को टारगेट कर रही, जो कर्ज चुकाने में समर्थ हैं लेकिन किसी कारण वे लोन अदा नहीं कर रहे हैं। हालांकि सरकार का यह आश्वासन झूठा निकला। अधिकारी लोन लेने वाले सभी लोगों के बारे में पता लगा रहे हैं और उन्हें ब्लैकलिस्टेड कर उन्हें सजा दी जा रही है।
ब्लैकलिस्ट लोगों की मिल रही है ये सजा
ऐसे में चीनी सरकार जिन लोगों की पहचान कर उन्हें ब्लैकलिस्ट कर रही है, उन्हें कड़ी सजा दे रही है। इन लोगों को टोल वाले सड़कों के इस्तेमाल से रोका जा रहा है और उनके ऑनलाइन टिकट खरीदने पर भी रोक लगाई जा रही है।
यही नहीं इन ब्लैकलिस्ट लोगों के लिए लोकप्रिय पैमेंट एप- अलीपे और वीचैट को भी बैन कर दिया जा रहा है। इन सब के अलावा कई दुकानदारों को यह आदेश दिए गए हैं कि वे ब्लैकलिस्ट लोगों को सामान न दें और उनसे किसी किस्म का लेनदेन न करें। इससे लोगों को जरूरत की चीजों को खरीदने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।
कर्ज नहीं चुकाने वालों को फास्ट ट्रेन और फ्लाइट की सवारी करने और महंगी बीमा योजनाएं के खरीदने पर भी रोक लगाई गई है। इसके अलावा उन्हें अच्छे होटलों में छुट्टियां मनाने से भी रोका जा रहा है। डब्ल्यूएसजे की रिपोर्ट के अनुसार, जो लोग इन प्रतिबंधों का पालन नहीं कर रहे हैं, अधिकारी उन्हें हिरासत में भी ले रहे हैं।
आखिर चीनी लोगों पर कैसे बढ़ा इतना कर्ज
पिछले कुछ समय से चीन के रियल एस्टेट सेक्टर में भारी उछाल देखा गया है जिस कारण वहां के लोगों ने इस क्षेत्र में भारी निवेश किया है। लोगों के पास घर होते हुए भी उन्होंने कर्ज लेकर नए घर खरीदे हैं जिससे एक चीनी निवासी कई घरों का मालिक बन बैठा है।
इन लोगों ने कर्ज लेकर न केवल घर बल्कि अन्य संपत्तियों में भी निवेश किया है। ऐसे में जब कोरोना काल आया और बाजार की हालत खराब हुई तो इसका मार रियल एस्टेट सेक्टर पर भी पड़ा और संपत्तियों के दाम में भारी गिरावट देखने को मिली।
द फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन में साल 2020 में 5.7 मिलियन (57 लाख) डिफॉल्टर थे और अगले चार सालों में यह संख्या बढ़कर 8.3 मिलियन (8.3 लाख) हो गई है।
एक आंकड़े के अनुसार, चीन में घरेलू कर्ज काफी बढ़ गया है जो आज लगभग 11 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया है। हालांकि केवल लोन लेने के कारण ही लोगों की आर्थिक स्थिति खराब नहीं हुई है बल्कि आर्थिक स्थिरता के बीच खर्चों को कवर करने के लिए जिस तरह से लोगों ने क्रेडिट कार्ड और अन्य क्रेडिट लाइनों का इस्तेमाल किया और इन पर निर्भर रहें, इससे वे कर्ज में डूबते रहें।