ओट्टावा: कनाडा के भारतीय मूल के हिंदू सांसद चंद्र आर्य को खालिस्तानी चरमपंथियों के खिलाफ मुखरता से बोलने का खामियाजा भुगतना पड़ा है। दरअसल, सत्तारूढ़ लिबरल पार्टी ने उन्हें आने वाले चुनाव में हिस्सा लेने से रोक दिया है। जस्टिन ट्रूडो की पार्टी ने उनका टिकट काट दिया है। एक्स पर एक पोस्ट के जरिए आर्य ने बताया कि पार्टी ने उन्हें सूचित किया है कि नेपियन निर्वाचन क्षेत्र से उनकी उम्मीदवारी रद्द कर दी गई है। आर्य ने पार्टी का एक पत्र भी शेयर किया है।
पत्र में कहा गया है कि 'नेपियन में लिबरल पार्टी के उम्मीदवार के रूप में सेवा करने की उनकी पात्रता की 'गहन समीक्षा' के आधार पर और सावधानीपूर्वक विचार करने के बाद, पार्टी के राष्ट्रीय अभियान सह-अध्यक्ष ने उनकी उम्मीदवारी रद्द करने की सिफारिश की जिसे अंततः स्वीकार कर लिया गया।' इसके पहले आर्य ने लिबरल पार्टी का नेता बनने की रेस में हिस्सा लिया था, जिसे पार्टी ने खारिज कर दिया था।
पार्टी के फैसले को आर्य ने बताया निराशाजनक
उन्होंने लिखा, "मुझे लिबरल पार्टी द्वारा सूचित किया गया है कि नेपियन में आगामी आम चुनाव के लिए उम्मीदवार के रूप में मेरा नामांकन रद्द कर दिया गया है। हालांकि यह खबर बेहद निराशाजनक है, लेकिन इससे नेपियन के लोगों और सभी कनाडाई लोगों की 2015 से संसद सदस्य के रूप में सेवा करने का गौरव और विशेषाधिकार कम नहीं होता। पिछले कई वर्षों से, मैंने इस भूमिका में अपना दिल और आत्मा झोंक दी है। मुझे एक सांसद के रूप में किए गए अपने काम पर बहुत गर्व है। नेपियन के निवासियों को मैंने जो अटूट सेवा प्रदान की है, कनाडाई लोगों के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर मैंने जो सैद्धांतिक रुख अपनाया है और मुश्किल घड़ी में भी जिन कारणों के लिए मैंने खड़ा हुआ है -उस सब पर मुझे गर्व है। अपने समुदाय और देश की सेवा करना मेरे जीवन की सबसे बड़ी जिम्मेदारी रही है, और मैं इसके हर पल के लिए आभारी हूं।"
I have been informed by the Liberal Party that my nomination as the candidate for the upcoming federal election in Nepean has been revoked.
— Chandra Arya (@AryaCanada) March 21, 2025
While this news is deeply disappointing, it does not diminish the profound honour and privilege it has been to serve the people of Nepean —… pic.twitter.com/Kw5HcsRf6Q
खालिस्तानी तत्वों के खिलाफ उठाई आवाज
बता दें कि पार्टी नेतृत्व का मानना है कि उनकी यह मुखरता कनाडा में सिख समुदाय के एक वर्ग को नाराज कर सकती है, जिसे लिबरल पार्टी अपना वोट बैंक मानती है। जबकि कुछ जानकारों का मानना है कि उनकी खालिस्तान विरोधी रुख के अलावा, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात ने पार्टी के भीतर असहजता पैदा की होगी। पिछले साल अगस्त में आर्य ने नई दिल्ली में पीएम मोदी से मुलाकात की थी, जिसे कनाडा सरकार ने "निजी पहल" करार दिया था।
गौरतलब है कि चंद्र आर्य ने कनाडा में खालिस्तानी तत्वों के खिलाफ जोरदार तरीके से आवाज उठाई है। आर्य की आलोचना से चिढ़े खालिस्तानी समूहों ने अतीत में उन्हें निशाना बनाया है। अक्टूबर में अमेरिका स्थित खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने तत्कालीन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो से आर्य के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया था। भारतीय राजनयिकों के खिलाफ ट्रूडो की मनमानी कार्रवाई के बाद पन्नू ने आर्य के खिलाफ जहर उगला था।