ओटावा: एयर इंडिया के विमान को 1985 में बम से उड़ाने के मामले में बरी किए गए रिपुदमन सिंह मलिक की हत्या के एक दोषी टैनर फॉक्स को कनाडा की अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने 24 साल के फॉक्स को इस उम्र कैद के दौरान 20 साल तक पैरोल नहीं देने को भी कहा है।
फॉक्स को ब्रिटिश कोलंबिया सुप्रीम कोर्ट के जज ने मंगलवार को सजा सुनाई। फॉक्स के साथ-साथ जोस लोपेज नाम के एक और शख्स को 2022 में सिख व्यवसायी रिपुदमन सिंह मलिक की हत्या के मामले में पिछले साल अक्टूबर में दोषी ठहराया गया था। लोपेज को शुक्रवार को सजा सुनाई जाएगी।
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार कोर्ट की ओर से सजा सुनाए जाने से पहले मलिक के रिश्तेदारों ने फॉक्स से यह खुलासा करने का आग्रह किया कि हत्या के लिए उसे किसने सुपारी दी थी।
न्यू वेस्टमिंस्टर कोर्ट रूम के अंदर मौजूद पत्रकारों के अनुसार मलिक की बहू संदीप कौर धालीवाल ने कहा, ‘हम आपसे उन लोगों के नाम उजागर करने का अनुरोध कर रहे हैं जिन्होंने आपको काम पर रखा था।’
रिपुदमन सिंह मलिक की 2022 में हुई थी हत्या
मलिक की 14 जुलाई 2022 की सुबह कनाडाई प्रांत ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में कार में कई बार गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। स्थानीय पुलिस को पास में एक जला हुआ वाहन मिला था।
अभियोजक मैथ्यू स्टेसी ने अदालत को बताया कि फॉक्स और लोपेज ने मलिक की हत्या की योजना बनाई थी। उन्होंने कोर्ट में कहा, ‘मलिक को मारने के लिए उन्हें पैसे दिए गए थे।’ इस हत्या को एयर इंडिया बम हमले में मलिक को बरी किए जाने के एक दशक से अधिक समय बाद अंजाम दिया गया था।
1985 में जब एयर इंडिया में हुआ था धमाका
23 जून 1985 को कनाडा से भारत आ रही एयर इंडिया की फ्लाइट-182 में आयरिश तट के पास हवा में बम विस्फोट हुआ था। इस घटना में विमान में सवार सभी 329 लोगों की मौत हो गई थी। इनमें अधिकांश भारतीय मूल के कनाडाई नागरिक थे। लगभग इसी विस्फोट के समय ही जापान में एयरपोर्ट पर खड़े एक दूसरे विमान में भी धमाका हुआ था, जिसमें सामान रखने वाले दो कर्मचारी मारे गए थे।
माना जाता है कि यह बम खालिस्तानी आतंकियों द्वारा अंजाम दिया गया था। संभवत: यह विस्फोट सिख धर्म के सबसे पवित्र मंदिर स्वर्ण मंदिर में भारत के 1984 के आतंकियों के खिलाफ किए गए सैन्य ऑपरेशन का बदला लेने के लिए था।
दो साल की सुनवाई के बाद कनाडा में मलिक और उसके सह-अभियुक्त, अजायब सिंह बागरी दोनों को 2005 में दो बम विस्फोटों से संबंधित सामूहिक हत्या और साजिश के आरोपों से बरी कर दिया गया। कोर्ट ने माना कि दोनों आरोपियों के खिलाफ विश्वसनीय सबूत नहीं हैं।
फॉक्स और लोपेज को किसने दिए थे पैसे?
मलिक की हत्या के मामले में जांच के दौरान यह बात साफ हुई है कि फॉक्स और लोपेज को मारने के लिए कॉन्ट्रैक्ट दिया गया था। हालांकि, दोनों को किसने काम पर रखा था, यह अभी तक साफ नहीं है।
मंगलवार को अदालत में अपनी गवाही में मलिक की बहू ने कहा कि पूरा सच सामने नहीं आने से परिवार को अपनी सुरक्षा का डर सता रहा है। उसने फॉक्स से कहा, ‘यह डर और चिंता इस वजह से है कि तुम्हे (फॉक्स) किसने काम पर रखा है, यह हम नहीं जानते। क्या हम अगले हैं?’
हत्या के दोषी फॉक्स का जन्म थाईलैंड में हुआ था और उसे तीन साल की उम्र में ब्रिटिश कोलंबिया के एबॉट्सफ़ोर्ड में दंपति ने गोद लिया था। फॉक्स के वकील ने कहा, ‘यह कहना असंभव है कि युवावस्था में वह कहां गलत हो गया, जो उसे इस भयानक अपराध की ओर ले गया।’ अदालत में फॉक्स अपने कृत्य के लिए माफी भी मांगी।
भारत पर कनाडा के आरोपों की भी खुली पोल!
पिछले साल हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले को लेकर कनाडा के तत्कालीन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के नेतृत्व वाली सरकार ने भारत पर गंभीर आरोप लगाए थे। निज्जर की हत्या 2023 में की गई थी। उसे सर्रे के गुरुद्वारे के पार्किंग में गोली मारी गई थी। ट्रूडो ने बिना सबूत भारत पर इस हत्या के आरोप लगाए थे।
रिपोर्ट्स के मुताबिक मलिक और निज्जर के बीच श्री गुरु ग्रंथ साहिब की प्रिटिंग के अधिकारों को लेकर भी विवाद था। मलिक को कनाडा में इसकी प्रिटिंग का अधिकार मिला था। इससे निज्जर नाराज था। ऐसे भी यह भी संभावना जताई जाती रही है कि निज्जर की हत्या दरअसल मलिक की हत्या का बदला भी हो सकती है।
बताया जाता है कि हाल के वर्षों में मलिक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काम की प्रशंसा भी की थी। खासकर करतारपुर कॉरिडोर खोलने और 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में न्याय दिलाने के लिए सरकार की सक्रियता पर उसने पीएम मोदी को पत्र भी लिखा था। संभव है कि मलिक की भारत समर्थक स्थिति ने भी निज्जर को नाराज किया होगा।