लंदन: पिछले कुछ दशकों में सैकड़ों नाबालिग ब्रिटिश लड़कियों के यौन शोषण एवं बलात्कार के मामलों के खुलासे के बाद ब्रिटिश राजनीति में इसपर भूचाल आया हुआ है। इन रिपोर्ट के अनुसार वयस्क पुरुष नाबालिग बच्चियों को बहला-फुसलाकर (ग्रूमिंग) उनका यौन शोषण करते थे। इन आरोपियों को मीडिया ने “ग्रूमिंग गैंग” नाम दिया है।
नाबालिग ब्रिटिश लड़कियों का यौन शोषण करने वालों की पहचान को लेकर भी आरोप-प्रत्यारोप लग रहे हैं। इस कड़ी में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर द्वारा ‘ग्रूमिंग गैंग’ को एशियाई कहकर सम्बोधित करने पर विवाद शुरू हो गया है। विभिन्न मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ‘ग्रूमिंग गैंग’ में ज्यादातर आरोपी पाकिस्तानी मूल के हैं।
ब्रिटिश प्रधानमंत्री ही नहीं ब्रिटेन के कई प्रमुख मीडिया संस्थान भी ‘ग्रूमिंग गैंग’ को एशियाई पहचान से जोड़कर प्रस्ततु कर रहे हैं। ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिकों ब्रितानी पीएम और मीडिया द्वारा इन गैंग को एशियाई कहने पर कड़ा एतराज जताया है। प्रवासी भारतीयों का कहना है कि जिस अपराध में भारतीय मूल के लोगों की संख्या नगण्य है उसे एशियाई बताकर भारत समेत अन्य एशियाई देशों के नागरिकों की भी आपराधिक छवि बनायी जा रही है।
हिंदू काउंसिल यूके के अध्यक्ष कृष्ण भान ने कहा, ‘हम इस बात से निराश हैं कि प्रधानमंत्री ने इस जघन्य अत्याचार को ‘एशियाई’ शब्द से ढकने का फैसला किया। हमारी हिंदू और सिख लड़कियाँ भी उनकी शिकार हुई थीं।’
‘ग्रूमिंग गैंग’ परर एलन मस्क बनाम किएर स्टार्मर
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री स्टार्मर ग्रूमिंग गैंग के मुद्दे पर अमेरिकी कारोबारी एलन मस्क द्वारा उनकी सरकार की आलोचना का सोमवार को जवाब दे रहे थे। ब्रिटिश पीएम ने अपने जवाब में ‘एशियन ग्रूमिंग गैंग्स’ जुमले का इस्तेमाल किया जिसपर विवाद हो गया।
फ्रेंड्स ऑफ इंडिया सोसाइटी इंटरनेशनल यूके के प्रवक्ता जय शाह ने मीडिया से कहा, “एशियाई का मतलब वियतनामी, श्रीलंकाई, जापानी, भारतीय आदि सभी है। हमें इन गिरोहों के हिस्से के रूप में क्यों वर्गीकृत किया जा रहा है।”
जय शाह ने कहा, ‘उन्हें बताना चाहिए कि वे कौन लोग हैं…क्योंकि यह हर एशियाई का अपमान है। जब ग्रूमिंग गैंग्स की बात आती है, तो हम एशियाई होते हैं, जब वे कश्मीर के बारे में बात करते हैं तो हम अचानक भारतीय हो जाते हैं। ऐसा लगता है कि राजनेता पीड़ितों के बजाय अपराधियों की रक्षा कर रहे हैं। यदि कोई ब्रिटिश व्यक्ति एशिया में कोई अपराध करता है, तो इसे यूरोपीय के रूप में रिपोर्ट नहीं किया जाता है।’
‘खुलकर नहीं बोलना भी पूरी समस्या की एक वजह’
नेटवर्क ऑफ सिख ऑर्गनाइजेशन की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि “पीएम की ओर से एशियाई ग्रूमिंग गैंग्स जैसी अस्पष्ट भाषा का प्रयोग बेहद निराशाजनक है। समस्या की एक वजह अधिकांश अपराधियों के मूल जगह या रिलीजन के बारे में खुलकर नहीं बोलना भी है।”
सिख यूथ यूके की प्रमुख दीपा सिंह ने मीडिया से कहा, “हमने सिख पीड़ितों के हजारों मामलों को निपटाया है। हमने इस गैंग की शिकार बनी शोषित और उपेक्षित सिख लड़कियों को बचाया है।”
हिंदू काउंसिल यूके मंदिरों के माध्यम से ग्रूमिंग गैग्स के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाता है। हिंदू काउंसिल यूके और इनसाइट यूके जैसी संस्थाएं सार्वजनिक कंजर्वेटिव पार्टी द्वारा ग्रूमिंग गैग्स के खिलाफ राष्ट्रीय जांच के आह्वान का समर्थन कर रहे हैं।
क्या है ब्रिटेन का ग्रूमिंग गैंग स्कैंडल
ब्रिटेन में ग्रूमिंग गैंग का मामला काफी पुराना है। इसकी कहानियां लगातार सामने आती रही हैं लेकिन इसकी चर्चा मुख्य रूप से रॉदरम स्कैंडल को लेकर होती है। यह पूरा घटनाक्रम 1997 से लेकर 2013 के बीच का है। रॉदरम (Rotherham) ब्रिटेन का एक शहर है।
दरअसल, पुरुषों का एक समूह जिसमें मुख्य रूप से पाकिस्तानी मूल के शामिल थे, वे दूसरे धर्म की लड़कियों को गुमराह कर अपने जाल में फंसाते थे और उनका यौन शोषण किया जाता था। ये गैंग मुख्य रूप से श्वेत लड़कियों को अपने जाल में फंसाता था। इसका ज्यादातर ब्रिटिश लड़कियां शिकार बनीं।
इन कृत्यों का सामना करने वाली कुछ पीड़िता बताती हैं कि खासकर पाकिस्तानी मूल के लोग छोटी उम्र की गोरी और गैर-मुस्लिम लड़कियों को अपना शिकार बनाते थे। ग्रूमिंग गैंग के कुछ आरोपियों ने अपने बयान में कहा था कि उनकी नजर में श्वेत लड़कियां वेश्या की तरह हैं, वे कई लोगों के साथ सो सकती हैं और इनका किसी भी तरह इस्तेमाल किया जा सकता है।
साल 2012 में ‘द टाइम्स’ अखबार ने रॉदरम शहर के ग्रूमिंग गैग्स के खिलाफ जांच की और हैरान करने वाले खुलासे किए। इसके बाद पूरे मामले की एक व्यापक स्वतंत्र जांच हुई। बीबीसी के अनुसार प्रोफेसर एलेक्सिस जे (Prof Alexis Jay) द्वारा लिखी गई 2014 की एक रिपोर्ट में कहा गया कि 1997 और 2013 के बीच रॉदरम में कम से कम 1,400 बच्चों को भयानक यौन शोषण का शिकार होना पड़ा।
यह रिपोर्ट ब्रिटेन और दुनिया भर में सुर्खियां बनी और ब्रिटिश संसद में बड़ी बहस हुई। इसी तरह के मामले ब्रिटेन के कुछ अन्य शहरों जैसे- लंदन, ब्रिस्टल, बर्मिंघम, रोशडेल आदि से भी सामने आए। इन मामलों ने अपराधों को ठीक से संबोधित नहीं करने और पीड़ितों का साथ देने में कथित अनियमितता और विफलताओं की बात सामने आई है।
यह भी पढ़ें- ब्रिटेन का ग्रूमिंग गैंग स्कैंडल क्या है? फिर क्यों आया चर्चा में…1400 से ज्यादा लड़कियां बनी थी शिकार