लंदन: ब्रिटेन में ‘ग्रूमिंग गैंग’ या दूसरे शब्दों में ‘रेप गैंग स्कैंडल’ का मुद्दा एक बार फिर चर्चा में है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इसे लेकर खासी बहस पिछले दो दिनों में देखने को मिली है। ब्रिटिश सांसदों से लेकर टेस्ला के सीईओ एलन मस्क और ब्रिटिश लेखक जेके रॉलिंग तक ने इस मुद्दे पर अपनी बातें रखी हैं।
मस्क ने तो इस तरह के अपराधों से निपटने के ब्रिटेन की सरकार के तरीके की जमकर आलोचना की। उन्होंने सीधे-सीधे सीपीएस (क्राउन प्रोसेक्यूसन सर्विस) के पूर्व प्रमुख और ब्रिटेन के मौजूदा प्रधान मंत्री किएर स्टार्मर पर निशाना साधा।
एक्स पर एक पोस्ट में मस्क ने लिखा, ‘ब्रिटेन में, बलात्कार जैसे गंभीर अपराधों के लिए पुलिस को संदिग्धों पर आरोप लगाने के लिए क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस की मंजूरी की आवश्यकता होती है। सीपीएस का प्रमुख कौन था जब रेप गैंग को बिना कानून का सामना किए युवा लड़कियों का शोषण करने की अनुमति दी गई थी? किएर स्टार्मर- 2008-2013।’ मस्क ने कई और ट्वीट इस मुद्दे पर किए हैं।
In the UK, serious crimes such as rape require the Crown Prosecution Service’s approval for the police to charge suspects.
Who was the head of the CPS when rape gangs were allowed to exploit young girls without facing justice?
Keir Starmer, 2008 -2013
— Elon Musk (@elonmusk) January 2, 2025
क्यों चर्चा में आया ‘रेप गैंग्स स्कैंडल’
यह पूरा मुद्दा दरअसल, ब्रिटेन के टीवी चैनल जीबी न्यूज की एक रिपोर्ट के बाद फिर से चर्चा में है। दरअसल, ब्रिटेन की गृह मंत्रालय मंत्री जेस फिलिप्स ने देश के इस ‘सबसे बड़े बाल यौन शोषण मामले’ की सरकार के नेतृत्व में जांच के लिए ओल्डैम काउंसिल (Oldham Council) के अनुरोध को खारिज किया है। उन्होंने कहा कि इसके बजाय परिषद को इसका नेतृत्व करना चाहिए।
जेस फिलिप्स के अक्टूबर में लिए गए इस फैसले के बारे में ताजा रिपोर्ट बुधवार को जीबी न्यूज ने प्रकाशित की थी। इसके बाद पूरा मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में आ गया। एलोन मस्क सहित कई जाने-माने चेहरों और दिग्गजों अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए इसकी आलोचना की। ब्रिटेन की कंजर्वेटिव पार्टी की नेता केमी बेडेनॉच ने भी ‘रेप गैंग्स स्कैंडल’ की राष्ट्रीय जांच का आह्वान किया है।
पाकिस्तान से कनेक्शन: ग्रूमिंग गैंग क्या है…क्या हुआ था?
ब्रिटेन में ग्रूमिंग गैंग का मामला काफी पुराना है। इसकी कहानियां लगातार सामने आती रही हैं लेकिन इसकी चर्चा मुख्य रूप से रॉदरम स्कैंडल को लेकर होती है। यह पूरा घटनाक्रम 1997 से लेकर 2013 के बीच का है। रॉदरम (Rotherham) ब्रिटेन का एक शहर है।
रॉदरम बाल यौन शोषण (सीएसई) स्कैंडल ब्रिटेन में बच्चों की सुरक्षा में विफलता के सबसे भयावह उदाहरणों में से एक गिना जाता है। एक स्वतंत्र जांच में पाया गया इन 16 सालों अनुमानित 1,400 बच्चे यौन शोषण के शिकार हुए। यह सबकुछ सुनियोजित तरीके से किया गया।
पीड़ितों में से अधिकांश युवा लड़कियाँ थीं जिन्हें कुछ पुरुषों के संगठित समूहों द्वारा निशाना बनाया गया। उनके साथ छेड़छाड़, यौन शोषण, दुर्व्यवहार किया गया। उनकी तस्करी की गई। इन सभी अपराधों को अंजाम देने वालों में अधिकांश पाकिस्तानी पृष्ठभूमि के थे।
श्वेत लड़कियों, गैर-मुस्लिम लड़कियों पर होती थी नजर
यह पूरा स्कैंडल बेहद भयावह रहा है। रिपोर्ट बताती हैं कि रॉदरम में लगभग 1,400 बच्चों का यौन शोषण किया गया। पीड़ितों, अक्सर युवा लड़कियों को अत्यधिक दुर्व्यवहार का शिकार होना पड़ा। इनमें बलात्कार से लेकर तस्करी और हिंसक धमकी तक शामिल है। यही नहीं, इन लड़कियों को दूसरे हिंसक बलात्कार देखने के लिए मजबूर किया गया। कई लड़कियों के साथ दुर्व्यवहार की घटना 11 साल की उम्र से ही शुरू हो गयी थी।
इन कृत्यों का सामना करने वाली कुछ पीड़िता बताती हैं कि खासकर पाकिस्तानी मूल के लोग छोटी उम्र की गोरी और गैर-मुस्लिम लड़कियों को अपपना शिकार बनाते थे। इन ग्रूमिंग गैंग के दरिंदों का मानना था कि श्वेत लड़कियां वेश्या की तरह हैं, वे कई लोगों के साथ सो सकती हैं और इनका किसी भी तरह इस्तेमाल किया जा सकता है।
The grooming gangs specifically targeted girls who were white and non-muslim.
“White girls are trash, they’re whores”
It was racism, but not the right kind of racism for the mainstream media to care. pic.twitter.com/o0X05aGFlp
— Basil the Great (@Basil_TGMD) January 1, 2025
लड़कियों को टारगेट करने का यह पूरा धंधा ब्रिटेन के कई अलग-अलग शहरों जैसे- लंदन, ब्रिस्टल, बर्मिंघम, रोशडेल आदि में चलाता था। मामले का खुलासा आखिर में तब हुआ कुछ पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस पर ध्यान दिया। बाद में एक स्वतंत्र रिपोर्ट आई जिससे यह पूरा मुद्दा सामने आ सका।
पुलिस और प्रशासन की भूमिका पर सवाल
इन घटनाओं के कई सबूतों और पीड़िताओं की कहानी कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों द्वारा सामने लाने के बावजूद शुरुआत में जमीनी स्तर पर पुलिस और स्थानीय प्रशासन की भूमिका निराशाजनक रही। स्थानीय अधिकारियों ने इसे पूरी तरह से नजरअंदाज किया।
ऐसी घटनाओं को अविश्वास, मनगढ़ंत होने की नजर से देखा गया या सीधे तौर पर खारिज कर दिया गया। इसे दबाने की कोशिशें भी हुईं।
पुलिस की भूमिका इस एक उदाहरण से भी समझी जा सकती है कि कुछ मामलों में उसने पीड़िता के परिवार पर ही सवाल खड़े कर दिए। ऐसा ही एक वीडियो वायरल भी है। इसमें एक पीड़ित पिता बताता है कि उसे पता चल गया था कि उसकी बेटी को कहां रखा गया है। पिता भी बेटी की खोज में वहां पहुंच गया। इसके बाद पुलिस भी वहां कुछ देर में आ गई लेकिन उन्होंने आरोपियों को पकड़ने की बजाय उन्हें ही गिरफ्तार कर लिया और सवाल पूछना शुरू कर दिया।
रॉदरम स्कैंड के सबसे विवादास्पद पहलुओं में से एक अपराधियों की जातीय पृष्ठभूमि को छुपाने की कोशिश रही है। अधिकांश अपराधी पाकिस्तानी मूल के थे। हालांकि, इस तथ्य को अक्सर उन अधिकारियों ने कम महत्व दिया जिन्हें नस्लवादी करार दिए जाने का डर था। इस वजह से समस्या से प्रभावी ढंग से निपटने में दिक्कतें आई। रिपोर्ट में ऐसे उदाहरणों का खासतौर पर उल्लेख किया गया है जिसमें अधिकारियों को निर्देश दिया गया था कि वे अपराधियों के मूल जुड़ाव को रिकॉर्ड में नहीं रखें।
2009 से बदलने शुरू हुए हालात
2009 तक चेतावनियों को नजरअंदाज करने और विफलताओं के सबूतों के बाद रॉदरम के बच्चों की सेवाओं को ऑफस्टेड निरीक्षण में ‘अपर्याप्त’ दर्जा दिया गया। इसके बाद से सरकारी हस्तक्षेप शुरू हुआ। यह पूरे मामले में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ।
सुधारों के प्रयास शुरू हुए। बच्चों को यौन शोषण जैसी समस्याओं से बचाने और निपटने के लिए कई मल्टी-एजेंसी टीमों की स्थापना की गई। सुरक्षा प्रयासों के लिए फंड में वृद्धि, पीड़ित की सहायता पर अधिक ध्यान देना जैसे प्रयास तेज किए गए। 2010 के बाद से शासन और इंटर-एजेंसी के सहयोग से सुधार सामने आने लगे। सामाजिक कार्यकर्ताओं, पुलिस अधिकारियों और हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स को शामिल करते हुए सीएसई टीमों का गठन किया गया।
इन टीमों ने पीड़ितों की पहचान करने, शोषण करने वाले लोगों के नेटवर्क को खत्म करने और अपराधियों पर मुकदमा चलाने के लिए काम किया। हालाँकि, कई पीड़ित डर से गवाही देने में हिचकते रहे, इससे पूरी तरह ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी।
कुछ को हुई है सजा…पर न्याय की मांग जारी
13 सितंबर, 2024 को क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (CPS) ने खुलासा किया कि 2000 के दशक के दौरान रॉदरम में दो युवा लड़कियों के खिलाफ बाल यौन शोषण अपराध करने के लिए सात लोगों को जेल में डाला गया।
यह केस ‘ऑपरेशन स्टोववुड’ का एक हिस्सा था, जो शहर में बाल यौन शोषण को लेकर ब्रिटेन की नेशनल क्राइम एजेंसी की एक प्रमुख जांच की वजह से चर्चा में आई। इस मामले में दो पीड़ित केवल 11 और 15 साल की थीं जब उनके साथ शोषण शुरू हुआ।
मामले में सीपीएस ने मोहम्मद अमर (42), मोहम्मद सियाब (44), यासर अजाइब (39), मोहम्मद जमीर सादिक (49), आबिद सादिक (43), ताहिर यासीन (38) और रामिन बारी (37) को आरोपी बनाया। ये दोषी करार दिए गए। पीड़िताओं को न्याय दिलाने की दिशा में यह एक छोटा कदम था। हालांकि, यह स्कैंडल ब्रिटेन के इतिहास पर एक काला धब्बा बना हुआ है। कई लोगों का मानना है कि अधिकारी पर्याप्त तेजी से कार्रवाई करने में विफल रहे। फिलहाल, यह देखना बाकी है कि क्या यूके सरकार पुरानी विफलताओं को दूर कर आगे और ठोस कार्रवाई करेगी।
सांसद और कई मशहूर हस्तियां जवाबदेही की मांग कर रही हैं। साथ ही यह सवाल भी बना हुआ है कि और कितनी इससे लड़कियां प्रभावित हुई हैं, और आगे ऐसे शोषण को रोकने के लिए क्या कुछ कदम उठाए जाएंगे।