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ढाकाः बांग्लादेश में पिछले साल हुए सत्तापरिवर्त के बाद से ही हिंदू समुदाय के लोगों और उनके तीज-त्योहारों को निशाना बनाया जा रहा है। ताजा मामला पौष संक्रांति से जुड़ा है जिसके विरोध में 14 जनवरी को ओल्ड ढाका में हजारों लोग सड़कों पर उतर आए। इस दावे के साथ बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने अपने एक्स पर एक वीडियो साझा किया है जिसमें सड़कों पर हजारों लोग 'बायकॉट शकरेन' के नारे लगा रहे हैं।
बांग्लादेश में मकर संक्राति को दरअसल पौष संक्रांति कहा जाता है। इसे पुरानी ढाका में शकरेन के नाम से भी जाना जाता है। इस अवसर पर पतंग उड़ाने, रात में आकाश में हॉट एयर बलून छोड़ने, आतिशबाजी और छतों पर संगीत व नृत्य कार्यक्रम आयोजित करने की परंपरा रही है। लेकिन इस साल यह त्यौहार न केवल फीका पड़ा बल्कि इस पर कट्टरपंथी ताकतों का विरोध भी हावी हो गया।
कट्टरपंथियों के निशाने पर रहा पौष संक्रांति
उन्होंने लिखा, "ओह, मेरे दुर्भाग्यपूर्ण देश! बांग्लादेश में पौष संक्रांति या मकर संक्रांति का उत्सव मनाया जा रहा था — दिन में पतंग उड़ाई जा रही थीं, रात में हॉट एयर बलून छोड़े जा रहे थे, और थोड़ी-बहुत सजावटी रोशनी भी थी। लेकिन यहां तक भी, इसे मनाने की अनुमति नहीं दी जाती। पुरानी ढाका में पौष संक्रांति को शकरेन कहा जाता है। ऐसा लगता है कि शकरेन को खत्म करने के लिए खुद अल्लाह ने शैतानों को भेजा है। जुलूस शैतानों से भरा हुआ है।"
Oh, my unfortunate country!
In Bangladesh, the festival of Poush Sankranti or Makar Sankranti was being celebrated — flying kites during the day, releasing lanterns at night, and a little bit of decorative lighting. Even this, they won't allow. In Old Dhaka, Poush Sankranti is… pic.twitter.com/zdHZvxlHAh— taslima nasreen (@taslimanasreen) January 15, 2025
पौष संक्रांति, जो बंगाली कैलेंडर के नौवें महीने के अंत में मनाई जाती है, पुरानी ढाका के निवासियों के लिए केवल एक त्यौहार नहीं है, बल्कि उनके सांस्कृतिक ताने-बाने का हिस्सा है। इस दिन छतों पर पतंगबाजी, आतिशबाजी, लेजर लाइट शो और संगीत व नृत्य का उत्साह देखने को मिलता है। रिपोर्ट की मानें तो यह त्यौहार पुरानी ढाका के शंखरी बाजार, गंडारिया, लक्ष्मीबाजार और अन्य प्रमुख इलाकों में जोर-शोर से मनाया जाता है। हालांकि इस बार शंखरी बाजार में उत्सव का रंग फीका ही रहा। बाजार में पहले जैसी चहल-पहल नहीं थीं।
शेख हसीना के जाने के बदले बांग्लादेश के हालात
पिछले साल बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के देश छोड़ने और मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के बाद हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों पर हमले तेज हो गए हैं। सत्ता में आए नए प्रशासन ने कट्टरपंथियों के दबाव में हिंदू त्योहारों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों पर नकेल कस दी है। इसका असर दुर्गा पूजा जैसे बड़े हिंदू त्योहारों पर भी देखने को मिला था। पांडालों में अजान से पांच मिनट पहले पूजा-पाठ, मंत्र जाप पर रोक लगा दी गई थी। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक अब तक 300 हिन्दू परिवारों और उनके घरों पर हमले हो चुके हैं। हिन्दुओं की मॉब लिचिंग से जुड़ी कई घटनाएं भी सामने आ चुकी हैं।