रमजान से पहले पाकिस्तान की जामिया मस्जिद में बम विस्फोट, पांच लोगों की मौत

दारुल उलूम हक्कानिया अखोरा खट्टक पाकिस्तान के सबसे प्रभावशाली और बड़े धार्मिक स्कूलों में से एक है। इस मदरसे में हजारों छात्र पढ़ते हैं।

एडिट
आत्मघाती विस्फोट

Photograph: (IANS)

इस्लामाबाद: पाकिस्तान में शुक्रवार की नमाज के दौरान हुए संदिग्ध आत्मघाती विस्फोट में कई लोगों की मौत हो गई और दर्जनों घायल हो गए। खैबर पख्तूनख्वा (केपी) प्रांत के नौशेरा शहर के पास अखोरा खट्टक इलाके के दारुल उलूम हक्कानिया में धमाका हुआ।  शुरुआती जानकारी के अनुसार, आत्मघाती हमलावर शुक्रवार की नमाज के दौरान मस्जिद के मुख्य हॉल में मौजूद था और नमाज खत्म होते ही उसने खुद को उड़ा लिया।

अखोरा खट्टक के स्थानीय लोगों ने पुष्टि की कि अब तक कम से कम पांच लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि एक दर्जन से अधिक लोग घायल हैं। हताहतों की संख्या बढ़ने की आशंका है, क्योंकि विस्फोट के समय मस्जिद के अंदर बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।

शुक्रवार की नमाज के दौरान ब्लास्ट

खैबर पख्तूनख्वा के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) जुल्फिकार हमीद ने पुष्टि की, "अब तक कम से कम पांच लोगों की मौत हुई, जबकि 12 से अधिक गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। वरिष्ठ धार्मिक नेता मौलाना हमीदुल हक हक्कानी भी विस्फोट में गंभीर रूप से घायल हुए हैं।"

अस्पताल सूत्रों का कहना है कि हॉस्पिटल में लाए गए अधिकांश घायलों की हालत गंभीर है। अखोरा खट्टक के अन्य सूत्रों का कहना है कि मस्जिद में मौजूद 24 से अधिक लोग विस्फोट में गंभीर रूप से घायल हुए हैं। प्रारंभिक जांच से पता चला है कि आत्मघाती हमलावर का लक्ष्य धार्मिक राजनीतिक पार्टी जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम समीउल हक (जेयूआई-एस) के वरिष्ठ नेता मौलाना हमीदुल हक थे।

5 की मौत, कई घायल; आत्मघाती हमले का शक 

जेयूआई-एस के संस्थापक, मौलाना समीउल हक तालिबान का समर्थन करने वाले एक बहुत ही मुखर व्यक्ति थे। हक की नवंबर 2018 में रावलपिंडी में उनके आवास पर अज्ञात हमलावरों ने हत्या कर दी थी। अभी तक किसी भी संगठन ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। हालांकि, तालिबान के प्रतिद्वंद्वी इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत (आईएसकेपी) या उसके सहयोगी समूह दाएश इस हमले के पीछे हो सकते हैं।

दारुल उलूम हक्कानिया अखोरा खट्टक पाकिस्तान के सबसे प्रभावशाली और बड़े धार्मिक स्कूलों में से एक है। इस मदरसे में हजारों छात्र पढ़ते हैं। इसे अफगान तालिबान और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) का समर्थन करने के लिए जाना जाता है। दारुल उलूम हक्कानिया को कई टीटीपी और अफगान तालिबान कमांडरों की प्रारंभिक शिक्षा स्थल के रूप में भी जाना जाता है।

यह भी पढ़ें
Here are a few more articles:
Read the Next Article