ढाकाः बांग्लादेश सरकार ने हाल ही में इस्कॉन से जुड़े 17 व्यक्तियों के बैंक खातों को फ्रीज कर दिया है, जिसके चलते हिंदू समुदाय में भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है। इन व्यक्तियों में इस्कॉन के पूर्व नेता चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी समेत कई प्रमुख सदस्य शामिल हैं।
बांग्लादेश वित्तीय खुफिया इकाई (BFIU) ने आदेश दिया है कि इन व्यक्तियों के बैंक खातों से लेन-देन अगले 30 दिनों के लिए निलंबित रहेगा। यह कार्रवाई कथित रूप से ‘धन शोधन निवारण अधिनियम-2012’ के तहत की गई है।
चिन्मय कृष्ण दास को हाल ही में ढाका मेट्रोपोलिटन पुलिस ने हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर गिरफ्तार किया था। उन पर चटगांव में भगवा झंडा फहराने के लिए देश के झंडे का अपमान करने का आरोप लगाया गया है। इसके बाद, उन्हें चटगांव की एक अदालत में पेश किया गया और जेल भेज दिया गया।
तीन दिनों के भीतर जरूरी दस्तावेज प्रस्तुत करने का आदेश
बांग्लादेशी अखबर द डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार, “बीएफआईयू के पत्र में कहा गया है कि ‘धन शोधन निवारण अधिनियम-2012’ की धारा 23(1)(सी) द्वारा प्रदत्त शक्तियों के तहत इस्कॉन और उसके संबंधित पक्षों तथा उनके स्वामित्व वाली संस्थाओं के नाम पर रखे गए खातों (आयात और निर्यात कंपनियों के खातों को छोड़कर) के लेनदेन को 30 दिनों के लिए निलंबित करने का आदेश दिया गया है।
बीएफआईयू ने बैंकों से इन खातों की सभी जानकारी, जैसे खाता खोलने का फॉर्म, केवाईसी दस्तावेज और लेन-देन विवरण, तीन दिनों के भीतर प्रस्तुत करने को कहा है।
17 नाम जिनके बैंक खाते फ्रीज किए गए
फ्रीज किए गए खातों के मालिकों में चिन्मय कृष्ण दास के अलावा कार्तिक चंद्र डे, अनिक पाल, सरोज रॉय, सुशांत दास, विश्व कुमार सिंघा, चंदिदास बाला, जयदेव करमाकर, लिपि रानी करमाकर, सुधामा गौर दास, लक्ष्मण कांति दास, प्रियतोष दास, रूपन दास, रूपन कुमार धर, आशीष पुरोहित, जगदीश चंद्र अधिकारी और साजल दास शामिल हैं।
हिंदू संगठनों में आक्रोश
चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद चटगांव की अदालत में पेशी के दौरान हिंसा भड़क गई, जिसमें 32 वर्षीय अधिवक्ता सैफुल इस्लाम अलिफ की मृत्यु हो गई। कट्टरपंथी गुटों ने इस मौत के लिए दास के समर्थकों को जिम्मेदार ठहराया है, जबकि इस्कॉन और अन्य हिंदू संगठनों ने इन आरोपों को खारिज किया है। इस कार्रवाई ने बांग्लादेश और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदू संगठनों को आक्रोशित कर दिया है। ‘सनातन जागरण जोत’ ने इसे धार्मिक असहिष्णुता और हिंदू समुदाय को डराने का प्रयास करार दिया है।