यरुशलम: पेरिस ओलंपिक 2024 में शामिल होने वाले इजराइल के एथलीटों को जान से मारने की धमकी मिली है। इनमें से कुछ एथलीटों को उनके अंतिम संस्कार में भी शामिल होने का न्योता दिया गया है।
इजराइल के एथलीटों को पिछले कुछ दिनों से ईमेल, फोन और मैसेज के जरिए यह धमकियां मिल रही है। एथलीटों ने बताया है कि उन्हें अंजान विदेशी नंबरों से कॉल भी आ रहे हैं और उन्हें धमकियां दी जा रही है।
इन धमकियों को इजराइल गंभीरता से ले रहा है और इसे लेकर वह अलर्ट भी है। इजराइल के एथलीटों को यह धमकियां उस समय मिल रही है जब उसके और हमास के बीच करीब एक साल से संघर्ष जारी है जिसमें हजारों लोगों की जान गई है और बड़ी संख्या में लोग हताहत भी हुए हैं।
यह पहली बार नहीं है जब इजराइल के एथलीटों को निशाना बनाया जा रहा है बल्कि इससे पहले 1972 के म्यूनिख ओलंपिक के दौरान भी उन्हें टारगेट किया गया था।
इन एथलीटों को मिली है धमकी
यह धमकियां “पीपुल्स डिफेंस ऑर्गेनाइजेशन” नामक एक ग्रुप द्वारा दी गई है जिसकी पहचान अभी तक साबित नहीं हो पाई है। सबसे पहले 11 एथलीटों को धमकी भरे ईमेल मिली थी। जिन एथलीटों को निशाना बनाया गया है उन में उद्घाटन समारोह के ध्वजवाहक पीटर पाल्टचिक और तैराक मेरोन अमीर चेरुती भी शामिल हैं।
तैराक मेरोन अमीर चेरुती ने एक स्क्रीनशॉट शेयर किया है जिसमें उन्हें उनके अंतिम संस्कार में 27 जुलाई 2024 को निमंत्रण किया गया है। ग्रुप का दावा है कि वे लोग पेरिस ओलंपिक के दौरान हर जगह मौजूद होंगे और उनके निशाने पर इजराइल के एथलीट और कोच होंगे।
इजराइल की ओलंपिक समिति ने क्या कहा है
इन खबरों को इजराइल ओलंपिक समिति गंभीरता से ले रही है। हालांकि समिति का यह मानना है कि यह केवल एक धमकी ही हो सकती है। समिती के अध्यक्ष येल अराद ने कहा है कि वे इन धमकियों को देखते हुए सतर्कता बरत रही हैं लेकिन वे इसे एक खतरे के रूप में नहीं देख रही हैं।
इजराइल ने अपने एथलीटों की सुरक्षा के लिए सशस्त्र एजेंटों को पेरिस भेज रहा है।
1972 के म्यूनिख ओलंपिक में क्या हुआ था
ग्रुप ने इजराइल के एथलीटों को धमकी दी है कि अगर वे इस खेल में भाग लेते हैं और पेरिस आते हैं उनका भी वही हाल होगा जो 1972 के म्यूनिख ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले इजराइल के एथलीटों के साथ हुआ था।
बता दें कि जर्मनी में 1972 के म्यूनिख ओलंपिक खेल के दौरान इजराइल के एथलीटों पर हमला किया गया था और उनका अपहरण हुआ था। इस हमले को ब्लैक सितंबर आतंकवादी समूह ने अंजाम दिया था जिसमें 11 लोगों की मौत हुई थी और एक जर्मन पुलिस की भी जान चली गई थी।