डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण से पहले अमेरिकी विश्वविद्यालयों ने दी भारतीय समेत विदेशी छात्रों को लौटने की सलाह

मैसाचुसेट्स विश्वविद्यालय (UMass Amherst) ने कम से कम दो अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ अंतरराष्ट्रीय छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों के लिए एक सलाह जारी की है, जिसमें उन्हें ट्रंप के शपथ ग्रहण से पहले अमेरिका लौटने का आग्रह किया गया है।

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Donald Trump given unconditional discharge in hush money case (Photo- IANS)

कोर्ट ने हश मनी केस में डोनाल्ड ट्रंप को बिना शर्त बरी किया (फाइल फोटो- IANS)

वाशिंगटनः 20 जनवरी 2025 को डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति पद ग्रहण करने से पहले, अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय छात्रों और विश्वविद्यालयों में चिंता बढ़ गई है। कई प्रमुख अमेरिकी विश्वविद्यालयों ने  भारतीय समेत अन्य विदेशी छात्रों को यात्रा परामर्श जारी करते हुए ट्रंप के शपथ ग्रहण से पहले अमेरिका लौटने की सलाह दी है। खबरों की मानें तो इस कदम के पीछे संभावित यात्रा प्रतिबंधों का डर है।

मैसाचुसेट्स विश्वविद्यालय (UMass Amherst) ने कम से कम दो अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ अंतरराष्ट्रीय छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों के लिए एक सलाह जारी की है, जिसमें उन्हें ट्रंप के शपथ ग्रहण से पहले अमेरिका लौटने का आग्रह किया गया है। एडवाइजरी में कहा गया है कि ट्रंप पहले दिन ही कई नीतियों को लागू कर सकते हैं।

मैसाचुसेट्स विश्वविद्यालय के ग्लोबल अफेयर्स कार्यालय ने कहा कि यह सलाह 2017 में ट्रंप प्रशासन के यात्रा प्रतिबंध के अनुभवों के आधार पर जारी की गई है। वेस्लेयन विश्वविद्यालय और मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) ने भी अपने छात्रों को अमेरिका में बने रहने की सलाह दी है। MIT ने वीजा प्रक्रियाओं और दूतावासों के कामकाज पर संभावित कार्यकारी आदेशों के प्रभावों को लेकर चेतावनी जारी की है।

अमेरिकी विश्वविद्यालयों में क्यों बढ़ रही है चिंता?

डोनाल्ड ट्रंप का पहला कार्यकाल आव्रजन नीतियों के लिए कड़े फैसलों का गवाह रहा। 2017 में, राष्ट्रपति बनने के सिर्फ 7 दिनों बाद ट्रंप ने सात मुस्लिम बहुल देशों के नागरिकों पर यात्रा प्रतिबंध लगा दिया था। इस आदेश के बाद हवाई अड्डों पर अफरा-तफरी मच गई थी और कई छात्र व शिक्षक विदेश में फंस गए थे।

मैसाचुसेट्स डार्टमाउथ के दो स्थायी निवासी फैकल्टी सदस्यों को घंटों तक हिरासत में रखा गया था जिन्हें बाद में रिहा किया गया। इसके अलावा, ट्रंप प्रशासन ने छात्र वीजा की अवधि को चार साल से घटाकर दो साल करने का प्रस्ताव रखा था। यह नीति बाद में बाइडेन प्रशासन द्वारा रद्द कर दी गई, लेकिन इसने अंतरराष्ट्रीय छात्रों के बीच अस्थिरता का माहौल पैदा किया।

कोविड के दौरान ट्रंप ने आव्रजन नीतियों को कर दिया था सख्त

2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान ट्रंप ने आव्रजन नीतियों को और सख्त कर दिया था। इसके तहत उन्हीं छात्रों को वीजा देने की बात कही गई थी जिनकी कक्षाएं पूरी तरह ऑनलाइन होंगी। इस नीति का हार्वर्ड और एमआईटी जैसे विश्वविद्यालयों ने कड़ा विरोध किया, जिसके बाद इसे रद्द कर दिया गया। हालांकि, इन घटनाओं की वजह से अंतरराष्ट्रीय छात्रों को कई अनिश्चितताओं का सामना करना पड़ा था।

पिछले अनुभव को लेकर विश्वविद्यालयों की क्या है तैयारी

गौरतलब है कि 2023-24 के बीच 3.3 लाख भारतीय छात्रों ने अमेरिकी यूनिवर्सिटी में अपना नामांकन कराया था। अमेरिकी विश्वविद्यालय अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय की सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने नीतिगत बदलावों को चुनौती देने, कानूनी सहायता प्रदान करने और छात्रों को आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्धता जाहिर की है। ओपन डोर्स सर्वे 2024 के अनुसार, अमेरिका में विदेशी छात्रों की संख्या में 2024 की शीतकालीन सत्र में 3% की वृद्धि हुई, और 2025 में और अधिक बढ़ोतरी की संभावना है।

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