बांग्लादेश: पहली बार नहीं लगेगा लालन शाह सूफी का मेला, कट्टरपंथी कर रहे थे विरोध

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Bangladesh tolerance festival scrapped after threats from a group (file photo)

बांग्लादेश में धमकी के बाद संगीत कार्यक्रम रद्द (प्रतीकात्मक तस्वीर- IANS)

ढाका: बांग्लादेश में धार्मिक सहिष्णुता की बात करने और इसे बढ़ावा देने वाले एक लोकप्रिय संगीत समारोह को धमकी मिलने के बाद रद्द कर दिया गया है। शेख हसीना सरकार के सत्ता से बेदखल होने और मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार के आने के बाद बांग्लादेश में इस्लामिक कट्टरवाद के बढ़ने के आरोपों के बीच यह खबर सामने आई है।

इससे पहले हिंदुओं समेत अन्य अल्पसंख्यकों पर हमले और उनके साथ अत्यचार की भी खबरें सामने आ चुकी हैं। कुछ मंदिरों में भी हमले जैसी घटनाएं हुई हैं। इसके अलावा मुस्लिम कट्टपंथियों द्वारा मुस्लिम सूफी दरगाहों पर भी हमले हुए हैं।

नारायणगंज में होना था दो दिनों का कार्यक्रम

समाचार एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार 17वीं सदी के बंगाली समाज सुधारक लालन शाह को मानने वालों ने इस महीने के अंत में नारायणगंज शहर में दो दिवसीय उत्सव का आयोजन किया था। लालन शाह ने कई धार्मिक सहिष्णुता से जुड़े मार्मिक गीत लिखे हैं जो बेहद प्रभावशाली और लोकप्रिय भी हैं।

पिछले साल इस कार्यक्रम में 10,000 से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया था। इस कार्यक्रम में किसी एक विशिष्ट धर्म की बजाय हिंदू धर्म और सूफीवाद के मिश्रण को बढ़ावा देने वाले संगीत होते हैं। इस वजह से कुछ इस्लामी कट्टरपंथी नाराज हो गए।

नारायणगंज के डिप्टी कमिश्नर मोहम्मद महमूदुल हक ने बताया कि अधिकारियों ने सुरक्षा जोखिमों का आकलन करने के बाद संभावित हिंसा की चिंताओं की वजह से कार्यक्रम को मंजूरी नहीं दी है। उन्होंने कहा, 'यह क्षेत्र विरोधी विचारों वाले समूहों का गढ़ है।'

बांग्लादेश: पहली बार कार्यक्रम करना पड़ा रद्द

इस बीच महोत्सव के आयोजक शाह जलाल ने कहा कि यह पहली बार है कि उन्हें इस कार्यक्रम को रद्द करना पड़ा है। हिफाजते इस्लाम के एक नेता अब्दुल अवल के नेतृत्व में इसी महीने की शुरुआत में महोत्सव को रोकने की मांग करते हुए मार्च निकाला गया था। हिफाजते इस्लाम बड़े प्रभाव रखने वाले इस्लामी संगठनों का एक गठबंधन है।

अवल ने कहा, 'हम ऐसी गतिविधियों की इजाजत नहीं दे सकते जो इस्लाम की सच्ची भावना के विपरीत हों।' उन्होंने आगे कहा, 'उत्सव के नाम पर, वे महिलाओं के साथ नाचने-गाने, जुआ खेलने और गांजा पीने के साथ अभद्रता को बढ़ावा देते हैं।'

'बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के पास अब कोई आवाज नहीं होगी?'

दूसरी ओर सांस्कृतिक कार्यकर्ता रफीउर रब्बी ने कहा, 'लालन मेला रद्द करना हम सभी के लिए एक अपशकुन है। यह निराशाजनक है कि सरकार बहुमत के दबाव के आगे झुक रही है। क्या इसका मतलब यह है कि अल्पसंख्यकों के पास अब कोई आवाज नहीं होगी?'

वहीं, अंतरिम सरकार के सांस्कृतिक मामलों के सलाहकार मुस्तोफा सरवर फारूकी ने कहा कि वे वह सबकुछ कर रहे हैं जो वे कर सकते हैं। उन्होंने कहा, 'शेख हसीना सरकार के गिरने और उनके देश से भागने से एक खालीपन पैदा हो गया, जिसके कारण कई घटनाएं हुईं, लेकिन हम नियंत्रण हासिल करने में कामयाब रहे।'

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