ढाका: बांग्लादेश में कई दिनों से जारी विरोध-प्रदर्शन और हिंसा के बीच सोमवार को हालात और तेजी से बदले। शेख हसीना ने जहां प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दिया वहीं सेना ने देश में अंतरिम सरकार के गठन का भी ऐलान कर डाला। बांग्लादेश के सेना प्रमुख वकर-उज-जमान ने शेख हसीना के इस्तीफे के कुछ देर बाद ऐलान किया कि देश में अब एक अंतरिम सरकार का गठन होगा।

ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार सेना प्रमुख ने कहा कि सभी पार्टियों के सहयोग से इस अंतरिम सरकार का गठन किया जाएगा। उन्होंने कहा, 'सभी राजनीतिक दलों के साथ सार्थक चर्चा के बाद हमने अंतरिम सरकार बनाने का फैसला किया है। हम स्थिति को सुलझाने के लिए अब राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन से बात करेंगे।'

देश के नाम एक टेलीविजन संबोधन में बांग्लादेश सेना प्रमुख ने साथ ही नागरिकों से सेना पर भरोसा बनाए रखने का आग्रह किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि रक्षा बल आने वाले दिनों में शांति सुनिश्चित करेंगे। सेना प्रमुख ने विरोध के नाम पर सभी हिंसा को रोकने का आह्वान किया और वादा किया कि नई सरकार छात्र आंदोलन के दौरान हुई सभी मौतों के लिए न्याय सुनिश्चित करेगी।

जनरल ने कहा, 'देश में संकट है। मैंने विपक्षी नेताओं से मुलाकात की है और हमने इस देश को चलाने के लिए एक अंतरिम सरकार बनाने का फैसला किया है। मैं पूरी जिम्मेदारी लेता हूं और आपके जीवन और संपत्ति की रक्षा करने का वादा करता हूं। आपकी मांगें पूरी की जाएंगी। कृपया हमारा समर्थन करें। और हिंसा रोकें। यदि आप हमारे साथ आते हैं, तो हम उचित समाधान की ओर बढ़ सकते हैं। हम हिंसा के माध्यम से कुछ भी हासिल नहीं कर सकते।'

वहीं, ढाका विश्वविद्यालय के कानून विभाग के प्रोफेसर आसिफ नजरूल को एक बयान जारी करके छात्रों से विरोध प्रदर्शन बंद करने का अनुरोध करने के लिए कहा गया है। जनरल वकर ने कहा कि शेख हसीना अपने पद से इस्तीफा देने के बाद देश छोड़कर चली गईं हैं। उन्होंने कहा कि सेना मुख्यालय में राजनीतिक दलों के साथ बैठक में अवामी लीग का कोई भी सदस्य मौजूद नहीं था। शेख हसीना 2009 से बांग्लादेश की प्रधानमंत्री थीं।

भारत के लिए रवाना हुईं शेख हसीना!

इससे पहले कई स्थानीय मीडिया रिपोर्टों से ये जानकारी सामने आई कि सैकड़ों प्रदर्शनकारियों के ढाका में प्रधानमंत्री के आधिकारिक निवास में घुसने से ठीक पहले हसीना 'सुरक्षित स्थान' के लिए रवाना हो गईं। साथ ही उनके इस्तीफा देने की भी खबरें आईं। कई मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि शेख हसीना सेना ने सेना के हेलीकॉप्टर से संभवत: भारत के लिए उड़ान भरी। शेख हसीना के साथ उनकी बहन शेख रेहाना भी थीं। कुछ रिपोर्ट में उनके भारत के पश्चिम बंगाल राज्य या फिर त्रिपुरा के अगरतला के लिए उड़ान भरने की बात कही गई है।

गौरतलब है कि रविवार को पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़पों में 100 से अधिक लोगों की मौत और 1000 से अधिक घायल होने की खबरें आई थी। बांग्लादेश के प्रमुख दैनिक 'द डेली स्टार' ने बताया, 'सरकार विरोधी प्रदर्शनों में अब तक मरने वालों की कुल संख्या केवल तीन हफ्ते में 300 को पार कर गई, जो बांग्लादेश के नागरिक आंदोलन के इतिहास में सबसे खूनी दौर है।'

छात्र आंदोलन ने पिछले कई हफ्तों में प्रधानमंत्री शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार पर भारी दबाव डाला था। छात्र स्वतंत्रता सेनानियों के रिश्तेदारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। 1971 में गृहयुद्ध में पाकिस्तान से बांग्लादेश ने स्वतंत्रता हासिल की थी, जिसमें ढाका के अधिकारियों के अनुसार, पाकिस्तानी सैनिकों और उनके समर्थकों द्वारा नरसंहार में 30 लाख लोग मारे गए थे।

विरोध प्रदर्शन और हिंसा के बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाल में आरक्षण को घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया, जिसके बाद छात्र नेताओं ने विरोध प्रदर्शन रोक दिया था। हालांकि छात्रों ने कहा कि सरकार ने उनके सभी नेताओं को रिहा करने की मांग को नजरअंदाज कर दिया, इसलिए प्रदर्शन फिर से शुरू हो गए।

बांग्लादेश के पीएम आवास में लूटपाट और तोड़फोड़

बांग्लादेश में शेख हसीना के इस्तीफ़े के ठीक बाद हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी ढाका स्थित प्रधानमंत्री के आवास में भी घुस गए। सामने आए वीडियो और तस्वीरों में प्रदर्शनकारियों को प्रधानमंत्री आवास के सामान उठाकर ले जाते हुए देखा जा सकता है। कई प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री आवास पर पत्थरबाजी भी की।

शेख मुजीबुर रहमान की मूर्ति तोड़ी गई

शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद ढाका की सड़कों पर प्रदर्शनकारियों द्वारा शेख हसीना के पिता और बांग्लादेश के इतिहास के सबसे बड़े नेता, शेख मुजीबुर रहमान की मूर्ति को तोड़ते हुए चौंकाने वाले दृश्य भी सामने आए हैं। पाकिस्तान से बांग्लादेश को आजादी दिलाने में शेख मुजीबुर रहमान की अहम भूमिका रही थी। हालांकि अब मुजीबुर रहमान की मूर्ति तोड़ने का ये दृश्य देश के राजनीतिक परिदृश्य में क्या किसी बड़े बदलाव का प्रतीक है, इसे लेकर भी सवाल उठने लगे हैं।