ढाकाः बांग्लादेश में आरक्षण सुधार की मांग से शुरू हुआ आंदोलन सरकार बदलने के आंदोलन के रूप में तब्दील हो गया है। सरकार के इस्तीफे की मांग करने वाले प्रदर्शनकारियों और सरकार समर्थक लोगों के बीच हिंसक झड़पें हुईं जिसमें 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री शेख हसीना के बातचीत के न्योते को भी ठुकरा दिया है।
21 जुलाई को बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट द्वारा सफेदपोश सरकारी नौकरियों में भर्ती में विवादास्पद कोटा को रद्द करने के बाद, आंदोलन के समाप्त होने की उम्मीद थी। लेकिन यह समाप्त होने के बजाय और भी बदतर हो गया। यह हालात तब बने जब शेख हसीना की सरकार ने निष्पक्ष कोटा प्रणाली पर प्रदर्शनकारियों की बातचीत के आह्वान को ठुकरा दिया और हजारों की संख्या में छात्रों और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करना जारी रखा।
खबरों की मानें तो हसीना ने आंदोलन की छवि को खराब करने के प्रयास में जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगा दिया है। जमात-ए-इस्लामी आंदोलन का हिस्सा थी। आरोप है कि जमात-ए-इस्लामी ने ही आंदोलन को उग्र किया। इसने ही एजेंडा तय नहीं किया था जिसके छात्र, नागरिक समाज और विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) हिस्सा बने।
विरोध का नेतृत्व करने वाले नाहिद इस्लाम ने क्या कहा है?
प्रदर्शनकारी नौकरी कोटा प्रणाली पर बातचीत से लेकर लोगों के लोकतंत्र के अधिकार को वापस पाने के व्यापक मुद्दे को लेकर सरकरा समर्थकों से लड़ रहे हैं। लेकिन उनकी मांग एक सूत्रीय हो गई; सरकार को पद छोड़ने और देश को “फासीवाद” से मुक्त करने के लिए मजबूर करना। कोटा सुधार विरोधों का नेतृत्व करने वाले छात्र मंच के समन्वयक नाहिद इस्लाम ने शनिवार को ढाका विश्वविद्यालय परिसर में केंद्रीय शहीद मीनार में एक सामूहिक सभा से यह घोषणा की।
नाहिद इस्लाम ने घोषणा की: “हम एक सूत्रीय मांग के बारे में निर्णय पर पहुँच गए हैं, मानव जीवन की सुरक्षा सुनिश्चित करना और समाज में न्याय स्थापित करना। हमारी मांग प्रधानमंत्री शेख हसीना और मौजूदा सरकार के पतन के साथ-साथ फासीवाद को खत्म करना है। नाहिद ने कहा कि शेख हसीना को ना सिर्फ इस्तीफा देना चाहिए बल्कि उनके खिलाफ हत्याओं, लूट और भ्रष्टाचार के लिए मुकदमा चलाना चाहिए।
‘रॉयटर्स’ ने रविवार को बताया कि प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग कर रहे हजारों प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस द्वारा आंसू गैस छोड़े जाने और स्टन ग्रेनेड फेंके जाने के कारण हुई झड़पों में कम से कम सात लोग मारे गए और दर्जनों घायल हो गए।
प्रत्यक्षदर्शियों ने मीडिया को बताया कि उत्तर-पूर्वी जिले पबना में प्रदर्शनकारियों और हसीना की सत्तारूढ़ अवामी लीग के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प के दौरान कम से कम तीन लोग मारे गए और 50 घायल हो गए। अस्पताल के अधिकारियों ने बताया कि उत्तरी जिले बोगुरा में हुई हिंसा में दो और लोग मारे गए। गुरुवार से बांग्लादेश में इंटरनेट और टेक्स्ट मैसेज सेवाएं बंद कर दी गई हैं।
सोमवार को ढाका मार्च का आयोजन
प्रदर्शनकारियों ने अपनी एक सूत्री मांग (शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार का इस्तीफा ) को लेकर सोमवार “ढाका मार्च” का कार्यक्रम तय किया हैं। डेली स्टार रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने छात्रों और देश भर के लोगों से ढाका मार्च में भाग लेने का आग्रह किया। आंदोलन के तीन कोऑर्डिनेटर- आसिफ महमूद, सरजिस आलम और अबू बकर मजूमदार ने अपने मार्च की पुष्टि की है। गौरतलब है कि यह मार्च मंगलवार को होने वाला था। लेकिन बाद में इस मार्च को सोमवार के लिए रीशेड्यूल किया गया।
प्रदर्शनकारी शेख हसीना और उनके सहयोगियों के इस्तीफे की मांग के साथ-साथ असहयोग का अभियान भी शुरू कर दिया है। जिसमें नागरिकों को करों का भुगतान न करने और प्रवासी श्रमिकों को बैंकिंग प्रणालियों के माध्यम से घर पैसा न भेजने की सलाह दी गई।
दोनों गुटों के बीच टकराव में अब तक 101 लोगों की जान चली गई है और सैकड़ों अन्य घायल हुए हैं। मारे गए लोगों में ज्यादातर पुलिसकर्मी हैं, जिन पर प्रदर्शनकारियों का गुस्सा फूट रहा है। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस थानों, पुलिस चौकियों, सत्तारूढ़ पार्टी के दफ्तरों और उनके नेताओं के आवास पर हमला किया और कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया।
डेली स्टार ने सोमवार को बताया कि झड़प में हजारों लोग घायल हुए हैं, जिनमें से कई को गोलियां लगी हैं। रविवार को छात्र नेतृत्व वाले असहयोग अभियान के पहले दिन सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों ने कम से कम 20 जिलों में पुलिस के साथ झड़प हुई। रविवार हुए हादसे के बाद सरकार विरोधी रैलियों ने सिर्फ तीन हफ्तों में 300 लोगों की जान ले ली है, जिससे यह बांग्लादेश के नागरिक आंदोलन के इतिहास का सबसे खूनी दौर बन गया है।
प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए बांग्लादेश के गृह मंत्रालय ने रविवार शाम छह बजे से देश में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया है। साथ ही सरकारी एजेंसियों ने सोशल मीडिया मंच ‘फेसबुक’, ‘मैसेंजर’, ‘व्हॉट्सऐप’ और ‘इंस्टाग्राम’ को बंद करने का आदेश दिया है।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बीच लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सोमवार, मंगलवार और बुधवार को तीन दिवसीय सामान्य अवकाश घोषित किया गया है।
छात्र विवादास्पद कोटा प्रणाली को खत्म करने की मांग कर रहे थे। यह प्रणाली 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में लड़ने वाले दिग्गजों के रिश्तेदारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण देती है।
भारत ने बांग्लादेश में अपने नागरिकों को “अत्यधिक सावधानी” बरतने और अपनी गतिविधियों को सीमित करने की सलाह दी है।
सहायक उच्चायोग, सिलहट ने कहा है कि छात्रों सहित सभी भारतीय नागरिकों से अनुरोध है कि वे इस कार्यालय के संपर्क में रहें। आपात स्थिति में, +88-01313076402 पर संपर्क करें।
इस बीच, प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा है कि विरोध के नाम पर बांग्लादेश में तोड़फोड़ करने वाले लोग छात्र, नहीं बल्कि आतंकवादी हैं और उन्होंने जनता से ऐसे लोगों से सख्ती से निपटने को कहा है। हसीना ने गणभवन में सुरक्षा मामलों की राष्ट्रीय समिति की बैठक बुलाई। बैठक में सेना, नौसेना, वायुसेना, पुलिस, रैपिड एक्शन बटालियन (आरएबी), बांग्लादेश सीमा गार्ड (बीजीबी) के प्रमुखों और अन्य शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों ने हिस्सा लिया।
–आईएएनएस इनपुट के साथ