Chattogram: Hundreds of Bangladeshi Hindus have been demonstrating , in protest against the violence against the Hindu minority community in Chittagong on Saturday, August 10, 2024.(IANS)
नई दिल्ली: बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने 13 अगस्त को ढाका में करीब 800 साल पुराने ढाकेश्वरी मंदिर का दौरा किया। ये दौरा उन्होंने उस समय किया है जब बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद बड़े पैमाने पर हुए हिंसा में हिंदुओं को जमकर निशाना बनाया गया। मुहम्मद युनूस इस दौरे के दौरान हिंदू समुदाय के लोगों में मौजूदा व्यवस्था के प्रति भरोसा जगाने की कोशिश की और कहा कि 'हम सभी एक हैं' और सभी को 'न्याय दिया जाएगा।'
5 अगस्त को शेख हसीना की अवामी लीग सरकार के हटने के बाद से बांग्लादेश के अल्पसंख्यक हिंदुओं को करीब 50 जिलों में 200 से अधिक हमलों का सामना करना पड़ा है। पुलिस व्यवस्था ध्वस्त नजर आई। हिंदू परिवारों, उनके संस्थानों, दुकानों और मंदिरों पर हमले किए गए और इन घटनाओं में कम पांच लोगों के मारे जाने की सूचना है। वैसे यह पहली बार नहीं है जब बांग्लादेश में हिंदुओं को इस तरह टार्गेट बनाकर निशाना बनाया गया है। ये हालात तब है जब बांग्लादेश में हिंदू सबसे बड़ा अल्पसंख्य वर्ग है।
बांग्लादेश: हिंदू- सबसे बड़ा अल्पसंख्यक वर्ग
बांग्लादेश की 2022 की जनगणना के अनुसार देश में करीब 13.1 मिलियन (1.31 करोड़) से कुछ अधिक हिंदू हैं। यह बांग्लादेश की कुल आबादी का 7.96 प्रतिशत है। इसके अलावा अन्य अल्पसंख्यक (बौद्ध, ईसाई आदि) कुल मिलाकर 1 फीसदी से भी कम हैं। बांग्लादेश की 165.16 मिलियन आबादी (16 करोड़ 51 लाख साठ हजार) में 91.08 प्रतिशत मुस्लिम हैं।
बांग्लादेश के 8 अलग-अलग 'बिभाग (डिविजन/प्रांत)' में हिंदुओं की संख्या में काफी भिन्नता भी है। उदारण के तौर पर मैमनसिंह डिविजन (Mymensingh) में केवल 3.94% हिन्दू हैं। वहीं सिलहट (Sylhet) में 13.51 प्रतिशत हिंदू आबादी है। संख्या के हिसाब से देखें तो ये क्रमश: 4.81 लाख और 14.91 लाख हो जाते हैं।
आंकड़ों पर और गौर करें तो बांग्लादेश के 64 जिलों में से चार में हर पांचवां व्यक्ति हिंदू है। ये चार जिले हैं- ढाका डिवीजन में गोपालगंज (जिले की आबादी का 26.94% हिंदू), सिलहट डिवीजन में मौलवीबाजार (24.44%), रंगपुर डिवीजन में ठाकुरगांव (22.11%), और खुलना डिवीजन में खुलना जिला (20.75%)। एक और खास बात... साल 2022 की गणना के अनुसार 13 जिलों में हिंदू आबादी 15% से अधिक जबकि 21 जिलों में 10 प्रतिशत से अधिक थी।
हिंदुओं की आबादी में कमी
ऐतिहासिक तौर पर बंगाली भाषी क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा जो आज का बांग्लादेश बन गया है, वहां की आबादी में हिंदुओं की संख्या अच्छी-खासी थी। आंकड़े बताते हैं कि पिछली शताब्दी की शुरुआत में हिंदुओं की जनसंख्या इस क्षेत्र की आबादी का लगभग एक तिहाई हिस्सा था। इसके बाद से जनसांख्यिकीय में बड़े बदलाव नजर आए हैं और हिंदुओं की आबादी साल दर साल प्रतिशत के लिहाज से घटती रही है। 1901 से हर जनगणना के आंकड़े इसकी तस्दीक करते हैं। हिंदुओं की आबादी में सबसे बड़ी कमी 1941 से 1974 के बीच नजर आती है, जब बांग्लादेश पूर्वी पाकिस्तान था।
बांग्लादेश में हिंदुओं की घटती आबादी (प्रतिशत में)
1901- 33 प्रतिशत
1911- 31.5 प्रतिशत
1921- 30.6 प्रतिशत
1931- 29.4 प्रतिशत
1941- 28 प्रतिशत
1951- 22 प्रतिशत
1961- 18.5 प्रतिशत
1974- 13.5 प्रतिशत
1981- 12.1 प्रतिशत
1991- 10.5 प्रतिशत
2001- 9.6 प्रतिशत
2011- 8.5 प्रतिशत
2022- 8 प्रतिशत
नोट- साल 1901 से 1941 तक के आंकड़े भारत की जनगणना, 1951 और 1961 के आंकड़े पाकिस्तान की जनगणना और 1974 और इससे आगे के सभी आंकड़े बांग्लादेश की जनगणना पर आधारित हैं। विभाजन के पूर्व के आंकड़ों की सटीकता में अंतर हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि उदाहरण के तौर पर करीमगंज जो आज असम का एक जिला है, वो विभाजन से पूर्व सिलहट जिले का हिस्सा था। सिलहट डिविजन अब बांग्लादेश में है।
वैसे, संख्या के लिहाज से बात करें तो केवल 1951 की जनगणना में 1941 की तुलना में हिंदुओं की संख्या में बड़ी गिरावट दर्ज की गई। हिंदुओं की संख्या इस क्षेत्र में इन 10 सालों में घटकर लगभग 1.18 करोड़ से घटकर करीब 92 लाख हो गई थी। साल में 2001 की जनगणना में यह संख्या धीरे-धीरे बढ़कर एक बार फिर विभाजन से पहले वाले स्तर यानी 1.18 करोड़ तक पहुंच गई थी।
दूसरी ओर इसी क्षेत्र में मुसलमानों की जनसंख्या 1941 के लगभग 2.95 करोड़ से बढ़कर 2001 में 11.4 करोड़ हो गई। ऐसे में अनुपात के लिहाज से मुसलमानों की जनसंख्या 1901 में अनुमानित 66.1% से बढ़कर आज 91% से अधिक हो गई है।
यह भी पढ़ें- बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ जारी हिंसा अंतरिम सरकार के लिए बनी बड़ी चुनौती