नई दिल्ली: बांग्लादेश के पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अमेरिका पर उनकी सरकार गिराने और उन्हें देश छोड़ने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया है। एक रिपोर्ट के अनुसार, शेख हसीना के करीबी सहयोगियों के हवाले से यह दावा किया गया है कि उनकी सरकार इसलिए गिराई गई है क्योंकि उन्होंने बांग्लादेश के सेंट मार्टिन द्वीप को अमेरिका को सौंपने से इनकार कर दिया था।
दावा है कि अमेरिका सेंट मार्टिन द्वीप पर एक सैन्य अड्डा बनाना चाहता था। यही नहीं वह इसके जरिए बंगाल की खाड़ी पर अपना भी नियंत्रण भी कायम करना चाहता था। अमेरिका पर हसीना की सरकार को चीन के खिलाफ कार्रवाई भी करने के लिए दबाव बनाने का भी आरोप लगा था।
बांग्लादेश में अमेरिकी राजदूत पीटर हास की भूमिका पर भी सवाल उठाया गया है। उन पर शेख हसीना की सरकार की विपक्षी पार्टी बीएनपी को समर्थन करने का आरोप लगा है। यही नहीं अमेरिका पर मानवाधिकारों और चुनाव प्रक्रिया को लेकर ढाका की लगातार आलोचना करने का भी आरोप लगा है।
बता दें कि बांग्लादेश के पूर्व प्रधानमंत्री अपना देश छोड़ने के बाद वह अभी भी भारत में हैं और किसी अन्य देश में शरण लेने की तैयारी में हैं।
रिपोर्ट में और क्या दावा किया गया
शेख हसीना के करीबी सहयोगियों ने यह दावा किया है कि पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा है कि अगर वह अमेरिका की बात मान लेती और सेंट मार्टिन द्वीप की संप्रभुता उसे सौंप देती तो शायद वह सत्ता में रहती। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं करने का फैसला किया था जिस कारण उनकी सरकार गिर गई है।
हालांकि कोटा विरोधी आंदलोन शुरू होने से पहले अप्रैल में शेख हसीना ने बांग्लादेश के संसद में यह कहा था कि कैसे अमेरिका देश में सत्ता परिवर्तन की रणनीति पर काम कर रहा है। उस समय उन्होंने दावा किया था कि कैसे विदेशी तत्व देश को अस्थिर करने के लिए छात्रों के विरोध प्रदर्शन का इस्तेमाल कर रहे हैं।
इससे पहले हसीना के करीबी कहे जाने वाले कुछ अवामी लीग के नेताओं ने अमेरिका पर सत्ता परिवर्तन करने का आरोप लगाया था और यह भी कहा था कि कैसे उन पर चीन के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए दबाव डाला जा रहा था।
देश के लिए हसीना ने क्या कहा है
अपने करीबी सहयोगियों द्वारा साझा किए गए एक संदेश में पूर्व प्रधानमंत्री ने काह है कि बांग्लादेश में अधिक हिंसा को रोकने के लिए उन्होंने इस्तीफा देने का फैसला किया था। संदेश में उन्होंने देश के लोगों से कट्टरपंथियों के बहकावे में न आने का आग्रह किया है।
हसीना ने बांग्लादेश में जारी हिंसा और नेताओं की मौत पर गहरा दुख जताया है। उन्होंने छात्रों के विरोध प्रदर्शन को उकसाने वाले आरोप से भी इनकार किया है और कहा है कि उनके शब्दों को तोड़मरोड़ कर पेश किया गया है।
इसलिए उन्होंने दिया है इस्तीफा
शेख हसीना ने आगे कहा कि देश में और ज्यादा लोगों की मौत न हो खासकर छात्रों का इसलिए उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दिया है। उन्होंने पार्टी के नेताओं की मौत और कार्यकर्ताओं के उत्पीड़न और देश में हो रहे विनाश पर काफी दुख भी जताया है।
पूर्व पीएम ने आगे यह भी कहा है कि वह बांग्लादेश में और अधिक रहती तो इससे और लोगों की जान जाती और संसाधनों का भी नुकसान होता। इन सब हालात को देखते हुए उन्होंने देश छोड़ने का फैसला लिया था।
प्रदर्शनकारियों को “रजाकार” कहने पर क्या बोली पूर्व पीएम
शेख हसीना ने बांग्लादेश के छात्रों को संबोधित करते हुए स्पष्ट किया कि उन्होंने कभी भी उन्हें “रजाकार” नहीं कहा है और उन्हें भड़काने के लिए उनके शब्दों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है। उन्होंने छात्रों से उनके असली संदेश को समझने के लिए उनके भाषण का पूरा वीडियो देखने का आग्रह किया है।
दरअसल, सन 1971 में बांग्लादेश की आजादी के समय एक ग्रुप ऐसा भी था जो पाकिस्तान का समर्थन करता था और वह इस आजादी के खिलाफ था। उन पर बांग्लादेशियों के साथ अत्याचार करने का भी आरोप था।
इन लोगों को “रजाकार” कहा जाता था। ऐसे में अभी के दौर में बांग्लादेश में किसी को “रजाकार” कहना यानी उसका अपमान करने के समान है और उन्हें देश के ‘गद्दारों’ में शामिल करना जैसा है। दावा है कि शेख हसीना ने प्रदर्शनकारियों के विरोध प्रदर्शन पर उन्होंने उनके लिए यही शब्द का इस्तेमाल किया है।
सेंट मार्टिन द्वीप को लेकर आखिर क्यों हो रहा विवाद
बंगाल की खाड़ी के उत्तरपूर्वी भाग में स्थित सेंट मार्टिन द्वीप कई मायनों में काफी महत्वपूर्ण है। यह बांग्लादेश का एकमात्र मूंगा द्वीप है जिसका रणनीतिक महत्व भी बहुत अधिक है।
मछली पकड़ने और कृषि के लिए जाना जाने वाला यह छोटा द्वीप, म्यांमार और बंगाल की खाड़ी के पास स्थित होने के कारण एक महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक भूमिका रखता है।
बीएनपी पर अमेरिका पर हसीना ने क्या आरोप लगाया था
पाकिस्तान से बांग्लादेश की आजादी के बाद यह द्वीप बांग्लादेश के हिस्से में चला गया था और इसे लेकर काफी सालों से म्यांमार के साथ भी विवाद हुआ था। बाद में दोनों देशों के बीच हुए एक समझौते के बाद यह द्वीप बांग्लादेश का हो गया था।
कई सालों तक म्यांमार के साथ तनाव के कारण अमेरिका और चीन जैसे देशों ने भी इस द्वीप को लेकर अपनी दिलचस्पी दिखाई थी। इसी बीच शेख हसीना ने यह आरोप लगाया था कि अमेरिका चुनाव में उनकी विपक्षी बीएनपी को समर्थन देने के बदले में द्वीप पर एक सैन्य अड्डा बनाना चाहता था।
नई ईसाई देश बनाने का भी लगा था आरोप
दावा है कि हसीना की सरकार ने द्वीप को पट्टे पर देने या इसे बेचने से लगातार इनकार किया है और उसने कथित तौर पर ऐसा करने की योजना बनाने के लिए बीएनपी की आलोचना भी की है।
अमेरिकी इन आरोपों से इनकार करते आ रहा है। यही नहीं जून 2023 के एक संसदीय सत्र के दौरान बांग्लादेश की वर्कर्स पार्टी के अध्यक्ष राशेद खान मेनन ने यह आरोप लगाया था अमेरिका सेंट मार्टिन द्वीप पर नजर रख रहा है।
इसके आलावा शेख हसीना ने यह भी दावा किया था अमेरिका और ब्रिटेन सहित कई पश्चिमी देश एक नई ईसाई देश बनाने की साजिश रच रहे हैं। उन्होंने दावा किया था कि बांग्लादेश और म्यांमार से कुछ हिस्से को लेकर “पूर्वी तिमोर जैसा एक ईसाई राज्य” बनाने की योजना बनाई जा रही है।
पिछले साल भी आई थी ऐसी बातें सामने
पिछले साल जून में यह अफवाह उड़ी थी कि अमेरिका अवामी लीग सरकार का पक्ष लेने के बदले में सेंट मार्टिन द्वीप का कंट्रोल लेने की बात कह रहा है। इस अफवाह के वायरल होने के बाद अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर का बयान भी सामने आया है।
मिलर ने द्वीप को लेकर किसी भी चर्चा या फिर इस तरह से इरादा रखने वाले अफवाह से इंकार कर दिया था।
हसीना के सरकार गिराने के हो चुके थे दावे
15 दिसंबर 2023 को रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़खारोवा ने एक प्रेस ब्रीफिंग में यह दावा किया था कि अगर इस बार भी शेख हसीना की सरकार बनती है तो अमेरिका उनकी सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए अपनी सभी शक्तियों का इस्तेमाल करेगा। उन्होंने यह भी चेतावनी दी थी कि अमेरिका यहां पर ‘अरब स्प्रिंग’ जैसी स्थिति पैदा करेगा।
एक रिपोर्ट के अनुसार, केवल अमेरिका ही नहीं बल्कि हसीना की सरकार गिरने में ब्रिटेन का भी योगदान है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कोटा विरोधी प्रदर्शन के दौरान डेविड बर्गन, कार्यकर्ता पिनाकी भट्टाचार्जी, बीएनपी के तारिक रहमान और नेत्रा न्यूज के मालिकों जैसे लोगों ने कथित तौर पर उनके खिलाफ एक सोशल मीडिया अभियान चलाया और झूठी खबरे फैलाई थी।
आरोप यह भी है कि मई के महीने में एक वरिष्ठ अमेरिकी राजनयिक ने बांग्लादेश का यात्रा भी किया था और चीन के खिलाफ बांग्लादेश पर दबाव भी बनाना था।