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काबुल: अफगानिस्तान में तालिबान ने एक नया प्रतिबंध लगाया है। इस नए बैन के तहत, अफगानिस्तान में अब नए घरों में ऐसी खिड़कियां नहीं बनाई जाएंगी, जिनसे पड़ोसियों के आंगन, रसोई या कुएं जैसी जगहें दिखाई देती हैं। तालिबान ने इसके पीछे अश्लीलता को रोकने का कारण बताया है।
बैन पर बोलते हुए तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने शनिवार को एक्स पर लिखा, "महिलाओं को रसोई में काम करते, आंगन में या पानी भरते देखना अश्लीलता को बढ़ावा दे सकता है।"
पिछले तीन सालों में तालिबान के अफगानिस्तान में सत्ता संभालने के बाद महिलाओं पर कई प्रतिबंध लगाए गए हैं। अफगान महिलाओं को स्कूल, पार्क, विश्वविद्यालय जाने और नौकरी करने से पहले ही रोक दिया गया है। इसके साथ ही, उन्हें बाहर निकलने पर पूरी तरह से ढकने और केवल घर के किसी पुरुष सदस्य के साथ बाहर जाने की अनुमति दी गई है।
अफगानिस्तान पर दोबारा कब्जा करने के बाद से तालिबान ने महिलाओं पर कई सख्त प्रतिबंध लगाए हैं। बावजूद इसके, तालिबान प्रशासन का कहना है कि इस्लामी कानून पुरुषों और महिलाओं दोनों के अधिकारों की सुरक्षा करता है।
अफगानिस्तान में खिड़कियों के बैन पर तालिबान ने क्या कहा
नए प्रतिबंध के तहत नगरपालिका अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि अफगानिस्तान में बनने वाले नए घरों में ऐसी खिड़कियां न हों, जिनसे पड़ोस की महिलाओं के काम करने की जगहें दिखाई दें।
अगर पुराने घरों में ऐसी खिड़कियां हैं, तो अधिकारियों को आदेश दिया गया है कि वे मकान मालिकों को उन खिड़कियों को बंद करने या वहां पर दीवार बनाने का निर्देश दें, ताकि पड़ोसियों को कोई असुविधा न हो।
तालिबान द्वारा इससे पहले लगाए गए बैन
इससे पहले, अक्टूबर में तालिबान के एक मंत्री ने घोषणा की थी कि अफगान महिलाओं को अन्य महिलाओं के सामने जोर से नमाज या कुरान पढ़ने से मना किया गया है।
उप एवं सदाचार मंत्री खालिद हनफ़ी ने कहा था, "एक वयस्क महिला को किसी अन्य वयस्क महिला के सामने कुरान की आयतें पढ़ना या पाठ करना निषिद्ध है। यहां तक कि तकबीर (अल्लाहु अकबर) के नारे लगाने की भी अनुमति नहीं है।"
114 पन्नों और 35 अनुच्छेदों वाले दस्तावेज में बताए गए नियमों के तहत मंत्रालय लोगों के व्यवहार की निगरानी करता है, और जो लोग इन नियमों का उल्लंघन करते हैं, उन्हें चेतावनी या सजा दी जाती है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तालिबान की नीतियों की होती आ रही है निंदा
तालिबान की नीतियों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापक निंदा होती आ रही। ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और जर्मनी जैसे देशों ने महिलाओं के अधिकारों के उल्लंघन को लेकर अफगानिस्तान के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन का उल्लंघन करने के लिए कानूनी कार्यवाही शुरू की है।
इसके बावजूद, तालिबान ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए दावा किया है कि उनके कानून इस्लामी कानून के अनुरूप हैं। साथ ही, उन्होंने आलोचकों पर तालिबान की नीतियों को गलत तरीके से "प्रचार" करने का भी आरोप लगाया है।