कोविशील्ड वैक्सीन से साइड इफेक्ट की आशंका! एस्ट्राजेनेका ने कोर्ट में माना, 5 प्वाइंट्स में समझिए कंपनी ने क्या कहा है

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AstraZeneca admitted in court the risk of side effects from its corona vaccine!

एस्ट्राजेनेका ने कोर्ट में माना उसके कोरोना वैक्सीन से साइड इफेक्ट का खतरा! (फोटो- IANS)

कोरोना की रोकथाम के लिए कोविशील्ड वैक्सीन बनाने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका ने पहली बार अपने अदालती दस्तावेजों में स्वीकार किया है कि उसकी कोविड वैक्सीन के कुछ दुर्लभ दुष्प्रभाव देखने को मिल सकते हैं। माना जा रहा है कि कंपनी के इस कबूलनामे के बाद कुछ पीड़ितों को कानूनी मुआवजे का रास्ता साफ हो गया है।

ब्रिटेन में फार्मास्युटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका पर इस बात को लेकर मुकदमा दायर किया गया है कि उसके कोविशील्ड टीके से कुछ लोगों की मौत हुई और कुछ गंभीर रूप से बीमार हो गए। दायर याचिका में ये भी आरोप हैं कि कोविशील्ड से टीटीएस - थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम के साथ थ्रोम्बोसिस - सिंड्रोम जैसी समस्याओं से कुछ लोगों को जूझना पड़ा। इस सिंड्रोम के कारण लोगों में रक्त के थक्के बनते हैं और उनके प्लेटलेट्स भी तेजी से गिरते हैं। ये भी गौर करने की बात है कि रक्त के थक्के बनने से हार्ट अटैक आने जैसी दिक्कत हो सकती है।

एस्ट्राजेनेका ने कोविड की ये वैक्सीन ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के सहयोग से बनाई थी। भारत और अन्य निम्न-और-मध्यम-आय वाले देशों में इसे ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और स्वीडिश-ब्रिटिश कंपनी एस्ट्राजेनेका से अनुमति मिलने के बाद सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा 'कोविशील्ड' नाम से बनाया और लोगों को दिया गया था।

कंपनी के खिलाफ हाई कोर्ट में आए 51 केस

ब्रिटिश अखबार 'द टेलीग्राफ' के अनुसार एस्ट्राजेनेका ने फरवरी में हाई कोर्ट में प्रस्तुत किए गए एक कानूनी दस्तावेज में स्वीकार किया कि उसका कोविड टीका 'बहुत ही दुर्लभ मामलों में, टीटीएस का कारण बन सकता है।' याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने दावा किया है कि एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड वैक्सीन 'दोषपूर्ण' है और इसके प्रभाव को काफी बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया है। हालांकि, एस्ट्राजेनेका ने दुर्लभ साइड इफेक्ट की बात मानते हुए आरोपों का खंडन भी किया है।

रिपोर्ट के अनुसार हाई कोर्ट में 51 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें पीड़ितों और उनके रिश्तेदारों ने 100 मिलियन पाउंड तक की अनुमानित क्षति की मांग की है। एस्ट्राजेनेका के खिलाफ पहला मामला 2023 में जेमी स्कॉट नाम के शख्स द्वारा दर्ज कराया गया था, जो अप्रैल 2021 में टीका लेने के बाद से ब्लड क्लॉट और रक्तस्राव की समस्या से जूझ रहे हैं।

एस्ट्राजेनेका ने साइड इफेक्ट्स को लेकर कोर्ट में क्या कहा है?

1. एस्ट्राजेनेका ने कोर्ट को दिए लीगल डॉक्यूमेंट में कहा है कि वैक्सीन से थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम जैसे साइड इफेक्ट हो सकते हैं। लेकिन ये बहुत दुर्लभ स्थिति है।

2. कंपनी का कहना है कि कई स्टडीज में उसकी वैक्सीन को कोरोना से निपटने में बेहद कारगर भी बताया गया है। इसलिए इन स्टडीज पर भी ध्यान देना जरूरी है।

3. एस्ट्राजेनेका ने कहा है कि कोरोना वैक्सीन नहीं लगवाने की स्थिति में भी थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम हो सकता है। ऐसे में यह कहना कि वैक्सीन लगवाने के बाद से लोग इस समस्या से जूझ रहे हैं, ठीक नहीं होगा।

4. कंपनी ने कहा है कि कि वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स के चांस बहुत दुर्लभ हैं। कंपनी ने एक बयान में कहा, 'हमारी सहानुभूति उन लोगों के प्रति है जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया है या स्वास्थ्य समस्याओं की सूचना दी है। लोगों की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है और नियामक अधिकारियों के पास टीकों सहित सभी दवाओं के सुरक्षित उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए स्पष्ट और कड़े मानक हैं।

5. कंपनी ने ये भी कहा कि वैक्सीन के ट्रायल और नतीजों के बाद दुनियाभर में इसकी स्वीकार्यता से पता चलता है कि इससे बड़े पैमाने पर लोगों को लाभ हुआ है। कंपनी ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान वैक्सीन से दुनियाभर में लाखों लोगों की जान बचाई गई है।

एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन किन देशों में है बैन?

बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार कई देशों में एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन की गहन जांच के बाद उस पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इनमें आयरलैंड, थाईलैंड, नीदरलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड, कांगो और बुल्गारिया जैसे देश शामिल हैं। डेनमार्क कोविड-19 वैक्सीन एस्ट्राजेनेका को बैन करने वाला पहला देश था। इसके अलावा जर्मनी, फ्रांस, इटली और स्पेन जैसे कई यूरोपीय देशों ने भी 2021 में एस्ट्राजेनेका के कोरोना वैक्सीन का इस्तेमाल बंद कर दिया था। ऐसा टीका लगाने वाले लोगों में रक्त के थक्के जमने के कई मामले सामने आने के बाद किया गया था। कनाडा, स्वीडन, लातविया और स्लोवेनिया में भी 2021 में इसके इस्तेमाल को रोक लगा दी गई थी। यही नही, वैक्सीन को ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया और मलेशिया में भी बैन कर दिया गया था।

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