सियोलः दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल की एक अदालत ने देश के पूर्व राष्ट्रपति यून सुक-योल के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। यून पर विद्रोह और सत्ता के दुरुपयोग का आरोप है, जो उन्हें उम्रकैद या मृत्युदंड तक की सजा दिला सकता है। यह पहली बार है जब दक्षिण कोरिया के किसी राष्ट्रपति के खिलाफ ऐसा वारंट जारी किया गया है।

मार्शल लॉ और उसके बाद का घटनाक्रम

यून सुक-योल ने 3 दिसंबर को देश में मार्शल लॉ लागू कर राजनीतिक हलकों में भूचाल ला दिया था। कड़े विरोध और जनाक्रोश के चलते उन्हें छह घंटे के भीतर अपना फैसला वापस लेना पड़ा था। इसके बावजूद, उनके इस निर्णय के खिलाफ दक्षिण कोरियाई संसद ने महाभियोग प्रस्ताव लाकर उन्हें राष्ट्रपति पद से हटा दिया।

यून के खिलाफ चल रही जांच के दौरान उन्हें पूछताछ के लिए तीन बार समन भेजा गया, लेकिन उन्होंने हर बार समन को अनदेखा कर दिया। इसके बाद रविवार रात जांच अधिकारियों ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट की मांग की, जिसे अदालत ने मंगलवार को मंजूरी दे दी। यून के वकील ने इस गिरफ्तारी वारंट को "अवैध और अमान्य" बताते हुए कहा कि यह अनुरोध उस एजेंसी द्वारा किया गया है जिसे कानूनी रूप से इस मामले की जांच का अधिकार नहीं है।

संविधान अदालत में सुनवाई

यून सुक-योल को राष्ट्रपति पद से हटाए जाने के बाद, कार्यवाहक राष्ट्रपति हान डक-सू को भी संसद ने महाभियोग के जरिए पद से हटा दिया। उन पर संविधान अदालत में रिक्त पड़े तीन न्यायाधीशों के पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू करने में असफल रहने का आरोप लगाया गया। अब वित्त मंत्री और उप प्रधानमंत्री चोई सांग-मोक कार्यवाहक राष्ट्रपति की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।

यून के खिलाफ महाभियोग पर फैसला लेने के लिए संविधान अदालत में सुनवाई चल रही है। कोर्ट में नौ सदस्यों के स्थान पर केवल छह न्यायाधीश ही हैं, जिससे मामला और जटिल हो गया है। कानून के मुताबिक, महाभियोग को मंजूरी के लिए कम से कम छह न्यायाधीशों की सहमति जरूरी है।

दक्षिण कोरिया में यह संकट ऐसे समय में आया है जब देश हाल ही में हुई एक विमान दुर्घटना से भी उबरने की कोशिश कर रहा है। इस हादसे में 175 यात्रियों और छह क्रू मेंबर्स में से केवल दो लोग ही जीवित बच सके।