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रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने "युद्ध लड़ने और जीतने" की अपनी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए नए बुनियादी ढांचे और प्रशिक्षण पद्धतियों को अपनाया है।
फर्स्टपोस्ट की खबर के मुताबिक, रिपोर्ट में बताया गया कि चीन ने पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में एलएसी पर अपनी सैन्य मौजूदगी बनाए रखी है। चीन ने न केवल अपनी सैनिकों की संख्या बढ़ाई है, बल्कि वहां स्थायी मौजूदगी के लिए सैन्य बुनियादी ढांचे का विस्तार भी किया है।
गलवान संघर्ष के बाद चीन ने ब्रिगेड और बुनियादी ढांचे को मजबूत किया - रिपोर्ट
रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिमी थिएटर कमांड (डब्ल्यूटीसी) का मुख्य ध्यान भारत के साथ सीमा की सुरक्षा पर है। जून 2020 के गलवान संघर्ष के बाद चीन ने एलएसी पर तैनात अपनी ब्रिगेडों को मजबूत किया और बुनियादी ढांचे का निर्माण जारी रखा।
ये प्रयास चीन की दीर्घकालिक मौजूदगी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से किए गए हैं। भारत सरकार ने हाल ही में घोषणा की कि दोनों देश डेमचोक और देपसांग क्षेत्रों में सैनिकों को पीछे हटाने पर सहमत हो गए हैं। यह समझौता अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति बहाल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
चीन ने पिछले दशक में समुद्री और सीमा विवादों को सुलझाने के लिए एक आक्रामक दृष्टिकोण अपनाया है। हालांकि 1998 से अब तक उसने अपने छह पड़ोसी देशों के साथ 11 क्षेत्रीय विवाद सुलझाए हैं।
संयुक्त प्रशिक्षण और विशेष बलों की तैनाती पर पीएलए का फोकस
चीनी सेना (पीएलए) ने संयुक्त हथियार इकाइयों के प्रशिक्षण पर जोर दिया है। इसमें टोही, पैदल सेना, तोपखाने, कवच, इंजीनियर और सिग्नल इकाइयों को शामिल किया गया है। पीएलए ने तिब्बत क्षेत्र से विशेष बलों को एलएसी पर तैनात किया और देशभर में बड़े सैन्य अभ्यास किए हैं।
यह रिपोर्ट भारत-चीन संबंधों की जटिलता को उजागर करती है। एलएसी पर चीन की आक्रामकता और भारत के साथ समझौते के प्रयासों के बीच क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखना दोनों देशों के लिए एक बड़ी चुनौती है।