लेबनान में 7 साल तक बंधक रहे अमेरिकी पत्रकार टेरी एंडरसन का निधन, कैसे बनाए गए बंदी और कब हुए रिहा, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

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American journalist Terry Anderson who held hostage in Lebanon for almost 7 years dies know how he held captive when he released full report

प्रतिकात्मक फोटो (फोटो- IANS)

लोकप्रिय अमेरिकी पत्रकार टेरी एंडरसन का निधन हो गया है। 76 साल के टेरी ने न्यूयॉर्क स्थित अपने घर में अंतिम सांस ली। लेबनान के इस्लामी आतंकवादियों ने उन्हें करीब सात साल तक बंदी बनाकर रखा था। रिहा होने के बाद टेरी ने कई समाजिक काम भी किए।

वह लंबे समय तक मीडिया जगत से जुड़े रहे और इस दौरान वे बड़े-बड़े संस्थानों में भी रहे। उनके अपहरण को लेकर दुनिया भर में काफी चर्चा भी हुई थी। टेरी के बारे कहा जाता है कि लेबनान में पश्चिमी नागरिकों के बंधक बनाए जाने वाले लोगों में ये सबसे ज्यादा समय तक वहां कैद में रहे थे।

कौन है टेरी एंडरसन

टेरी एंडरसन का जन्म 27 अक्तूबर 1947 को अमेरिका के ओहियो में हुआ था। उन्होंने अपनी पढ़ाई आयोवा स्टेट यूनिवर्सिटी जैसे संस्थानों से की है और वे काफी समय तक मरीन कॉर्प्स में भी काम किए हुए थे।

इसके बाद टेरी ने मीडिया जगत में एंट्री ली थी और इस सेक्टर में काम करते हुए उन्होंने डेट्रॉयट, लुइसविले, न्यूयॉर्क, टोक्यो, जॉहानेसबर्ग और फिर बेरूत जैसे शहरों में भी काम किया था।

उन्होंने एसोसिएटेड प्रेस के लिए भी काम किया है। टेरी जब बंधक बनाए गए थे तो इस दौरान उनके पिता और भाई का कैंसर के कारण मौत हो गई थी। वे उनके अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हो पाए थे। उनकी बेटी सुलोम एंडरसन ने अपने पिता की रिहाई के लिए उस समय काफी कोशिश भी की थी। उनकी मौत की खबर उनकी बेटी ने ही दी है।

कैसे बनाए गए टेरी बंधक

16 मार्च 1985 को जब टेरी अपने बेरूत स्थित घर पर टेनिस खेल रहे थे, इस दौरान कार में सवार कुछ आतंकी वहां आए थे और उनका अपहरण कर लिया था। रिपोर्ट्स के अनुसार, शिया मुस्लिम आतंकी संगठनों ने उन्हें बंधक बनाया था और इस दौरान उन्हें काफी कष्ट भी झेलना पड़ा था।

रिहा होने के बाद टेरी ने बताया कि वहां पर उनकी हालत बहुत ही खराब थी और उनके आंखों पर पट्टी और हाथों को बांधकर रखा जाता था।

टेरी ने यह भी कहा कि उन्होंने कैद के दौरान कई बार आत्महत्या भी करने की कोशिश की थी। उनकी रिहाई के लिए टेरी की बहन पैगी ने भी काफी कोशिशें की थी। यही नहीं अमेरिकी सरकार ने भी कई प्रयास किए थे, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ था। अंत में दिसंबर 1991 को उन्हें रिहा कर दिया गया था।

कैद के दौरान क्या किए थे टेरी

रिहा होने के बाद टेरी ने कहा था कि जब वे कैद में थे तो उस दौरान उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था। ऐसे में वे निराश और हताश नहीं हुई थे और समय का सही से इस्तेमाल किया था।

कैद में उन्हें कई भाषाएं भी सीखी और बाइबल जैसे धार्मिक ग्रंथ को भी कई बार पढ़ लिया था। वे खुद को मजबूत बनाए रखने के लिए नियमित रूप से व्यायाम भी किया करते थे।

टेरी ने समाज के लिए कई अहम योगदान भी दिए हैं। उन्होंने वियतनाम के बच्चों के लिए एक फंड भी बनाया था साथ ही पत्रकारों की सुरक्षा के लिए एक समिति का भी गठन किया था। ऐसे में परिवार उनके सम्मान में एक स्मारक आयोजित करने की भी योजना बना रहा है।

टेरी के समर्थन में सामने आए थे पत्रकार और सरकार

जब आतंकियों द्वारा टेरी का अपहरण हुआ था उसके बाद उनके समर्थन में कई लोग सामने आए थे। परिवार के साथ कुछ पत्रकार और कई देशों की सरकारें भी सामने आई थी। यही नहीं उनकी बहन पैगी ने उनकी लिए वकालत भी की थी।

टेरी को बंदी बनाने वाले आतंकियों की यह मांग थी कि कुवैत की जेलों में जो उनके साथी बंदी बनाए गए हैं, उन्हें पहले रिहा किया जाए फिर वे उन्हें छोड़ेंगे।

ऐसे में उनकी रिहाई के लिए अमेरिकी सरकार ने भी पहल की थी और बंधकों को मुक्त कराने के लिए यूएस द्वारा किया गया एक गुप्त समझौता भी विफल रहा था और वे रिहा नहीं हो पाए थे।

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