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नई दिल्ली: ईरान और इजराइल में संघर्ष के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पाकिस्तानी आर्मी चीफ फील्ड मार्शल असीम मुनीर के बीच व्हाइट हाउस में लंच पर हुई मीटिंग चर्चा में है। भारत में इसकी संभावना जताई जा रही थी कि इस मीटिंग में इजराइल और ईरान के बीच जारी संघर्ष पर बात हुई होगी। अब पाकिस्तान और ट्रंप ने इसकी पुष्टि कर दी है।
पाकिस्तानी सेना ने गुरुवार को एक बयान में कहा, 'ईरान और इजराइल के बीच मौजूदा तनाव पर भी विस्तृत विचार-विमर्श हुआ, जिसमें दोनों नेताओं ने संघर्ष के समाधान के महत्व पर जोर दिया।'
दूसरी ओर अमेरिकी राष्ट्रपति से यह पूछे जाने पर कि क्या मुनीर के साथ ईरान पर चर्चा हुई, ट्रप ने कहा, 'वे ईरान को बहुत अच्छी तरह से जानते हैं, दूसरों से बेहतर, और वे किसी भी चीज से खुश नहीं हैं। ऐसा नहीं है कि उनका इजराइल के साथ व्यवहार बुरा है। वे वास्तव में उन दोनों को जानते हैं, लेकिन वे शायद, शायद वे ईरान को बेहतर जानते हैं, लेकिन वे जानते हैं कि क्या हो रहा है, और वह मुझसे सहमत हैं।'
पाकिस्तान का एयर स्पेस इस्तेमाल करना चाहते हैं ट्रंप?
जानकारों के अनुसार अमेरिका इस समय पाकिस्तान पर इसलिए ध्यान दे रहा है क्योंकि वो रावलपिंडी (पाकिस्तानी सेना का मुख्यालय) का समर्थन प्राप्त करना चाहता है। सूत्रों के अनुसार अमेरिका दरअसल ईरान पर किसी भी सैन्य हमले को शुरू करने के लिए पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र, हवाई ठिकानों और अन्य बुनियादी ढांचे का उपयोग करना चाहता है।
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार सूत्र बताते हैं ट्रंप की मुनीर के साथ लंच और मीटिंग का यह सबसे अहम मुद्दा था। यही वजह रही कि जो मीटिंग एक घंटे के लिए निर्धारित थी, वो करीब दो घंटे तक चली।
इस बैठक में अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ विदेश मंत्री मार्को रुबियो और पश्चिम एशिया के लिए अमेरिकी विशेष प्रतिनिधि स्टीव विटकॉफ भी मौजूद थे। वहीं, मुनीर के साथ पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल असीम मलिक भी मौजूद थे, जो पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई के प्रमुख भी हैं।
इससे पहले समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार व्हाइट हाउस की प्रवक्ता अन्ना केली ने कहा था कि ट्रंप इसलिए मुनीर की मेजबानी कर रहे थे, क्योंकि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच 'परमाणु युद्ध' को रोकने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित करने का आह्वान किया था।
हालांकि, सूत्रों ने संकेत दिया कि यह बैठक नियमित राजनयिक चैनलों के माध्यम से आयोजित नहीं की गई थी। बल्कि यह सलाहकारों, व्यापारियों और अन्य प्रभावशाली हस्तियों के एक समूह द्वारा किए गए 'प्रयासों' का नतीजा रही।
अमेरिकी राष्ट्रपति और एक सैन्य प्रमुख की मीटिंग!
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों पर दशकों से नज़र रखने वाले एक सूत्र ने कहा, 'यह कोई दुर्लभ बात नहीं है, बल्कि यह बिल्कुल अभूतपूर्व है कि किसी सैन्य प्रमुख को अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा बैठक के लिए आमंत्रित किया जाए। इससे पहले अमेरिका और अन्य देशों का दौरा करने वाले सभी पाकिस्तानी सैन्य प्रमुख राष्ट्रपति के तौर पर गए थे।
इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने 2004 में पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ से मुलाकात की थी। मुनीर की अमेरिका यात्रा पिछले रविवार से शुरू हुई और 2022 में सैन्य प्रमुख का पद संभालने के बाद यह उनकी दूसरी अमेरिका यात्रा थी।
ट्रंप ने मुनीर के साथ मीटिंग पर क्या कहा था?
मुनीर के साथ मीटिंग के तत्काल बाद ट्रंप ने कहा था कि उन्होंने पाकिस्तानी सेना प्रमुख को इसलिए बुलाया क्योंकि वे उन्हें भारत के साथ संघर्ष को जल्द रोकने के लिए धन्यवाद देना चाहते थे।
ट्रंप ने कहा था, 'मैं उन्हें यहां इसलिए बुलाया, क्योंकि उनके युद्ध में नहीं जाने और (भारत के साथ) संघर्ष समाप्त करने के लिए उनका धन्यवाद करना चाहता हूं। और जैसा कि आप जानते हैं, मैं प्रधानमंत्री मोदी का भी धन्यवाद करना चाहता हूं। हम भारत के साथ व्यापार समझौते पर काम कर रहे हैं। हम पाकिस्तान के साथ व्यापार समझौते पर काम कर रहे हैं।'
इसके अलावा ट्रंप ने फरवरी में व्हाइट हाउस में मोदी के साथ अपनी मुलाकात का भी जिक्र किया था। उन्होंने कहा कि वह खुश हैं कि 'दो बहुत ही समझदार लोगों ने उस युद्ध को जारी न रखने का फैसला किया।' ट्रंप ने कहा था, 'वह एक परमाणु युद्ध हो सकता था। वे दो परमाणु शक्तियां हैं, बड़ी, बड़ी परमाणु शक्तियां, और उन्होंने (संघर्ष को समाप्त करने का) फैसला किया।'
बताते चलें हाल में पीएम नरेंद्र मोदी का जी7 के लिए कनाडा यात्रा के दौरान ट्रंप से मुलाकात का कार्यक्रम था। हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति ईरान-इजराइल संघर्ष के बीच जल्द कनाडा से अमेरिका लौट गए थे। इसके बाद उन्होंने फोन पर पीएम मोदी से बात की थी और कनाडा से लौटते हुए अमेरिका आने का भी आग्रह किया था। हालांकि, पीएम मोदी ने अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों का हवाला देते हुए इसे ठुकरा दिया था।