वाशिंगटनः अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अवैध प्रवासियों को वापस भेजे जाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सैन्य विमानों पर रोक लगाई गई है। अमेरिकी प्रशासन ने कथित तौर इन विमानों से वापस भेजे जाने में ज्यादा लागत आने के कारण यह कदम उठाया है।
द वॉल स्ट्रीट जर्नल ने लिखा है कि अमेरिका से आखिरी बार एक मार्च को अवैध प्रवासियों को वापस भेजा गया था। इस पर अभी रोक लगाई या बढ़ाई जा सकती है।
सैन्य विमानों से आ रही थी ज्यादा लागत
ट्रंप के दूसरी बार राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद अवैध प्रवासियों को सैन्य विमानों से वापस भेजा गया था। वॉल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार, सैन्य विमानों के इस्तेमाल में ज्यादा लागत आ रही थी और यह अप्रभावी भी था।
ट्रंप प्रशासन ने अवैध प्रवासियों को वापस भेजने के लिए सैन्य विमानों का इस्तेमाल इसलिए किया था ताकि उन देशों को एक कड़ा संदेश दिया जा सके जहां के लोग अवैध रूप से अमेरिका में जा रहे थे।
अमेरिकी रक्षा सचिव पेटे हेगसेथ ने पिछले सप्ताह कहा था कि संदेश स्पष्ट है। यदि आप अपराधी हैं तो ग्वांतानामो खाड़ी खाड़ी में अपना रास्ता तलाश सकते हैं। अमेरिका द्वारा अवैध प्रवासियों को उनके देशों या फिर ग्वांतानामो खाड़ी में एक सैन्य अड्डे पर ले जाया गया है।
अमेरिका की तरफ से भारतीय अवैध प्रवासियों को भी वापस भेजा गया है। इसके साथ-साथ पेरु, ग्वाटेमाला, होंडुरास, पनामा, इक्वाडोर में भी अवैध प्रवासियों को वापस भेजा गया है।
हालांकि अवैध प्रवासियों को वापस भेजने के लिए जो परंपरागत तरीका देखा जाता रहा है, उसमें होमलैंड सुरक्षा विभाग वाणिज्यिक विमानों का उपयोग करता था। हालांकि ट्रंप प्रशासन ने अवैध प्रवासियों के खिलाफ सख्ती दिखाते हुए सैन्य विमानों का इस्तेमाल करना शुरू किया था।
सैन्य विमानों ने तय किए लंबे रास्ते
वॉल स्ट्रीट जर्नल के मुताबिक, इन विमानों ने लंबे रास्ते तय किए और कम प्रवासियों को वापस पहुंचाया जिससे सरकार को नागरिक विमानों की तुलना में अधिक लागत उठानी पड़ी।
इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में तीन सैन्य विमान प्रवासियों को लेकर आए। इसमें प्रत्येक उड़ान का खर्च 3 मिलियन डॉलर यानी 26 करोड़ से अधिक लागत आई। वहीं, ग्वांतामो के लिए भेजी गई उड़ानों में सिर्फ एक दर्जन लोग ही गए। इसमें प्रति निर्वासित के हिसाब से 20 हजार डॉलर यानी 17 लाख खर्च हुए।
इसकी तुलना में सरकारी डेटा से पता चलता है कि एक मानक अमेरिकी आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन उड़ान की लागत प्रति घंटे 8,500 डॉलर है। वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय यात्राओं के लिए यह आंकड़ा प्रति घंटे 17,000 डॉलर के करीब है।
वहीं, सी-17 विमान के इस्तेमाल में 28,500 डॉलर का खर्च प्रति घंटे आता है। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ये विमान मैक्सिको हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल नहीं करते हैं, इस वजह से इन्हें लंबी दूरी तय करनी पड़ती है।
एनडीटीवी की एक खबर के मुताबिक, मैक्सिको, कोलंबिया और वेनेजुएला जैसे देशों ने अमेरिकी सैन्य विमान को अपनी सीमा में उतरने नहीं दिया और अपने नागरिकों की वापसी हेतु अपने विमान भेजे।
जनवरी में कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने अमेरिकी सैन्य विमानों को देश में उतरने नहीं दिया था। पेट्रो के इस कदम के बाद ट्रंप ने टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। बाद में व्हाइट हाउस और कोलंबिया के बीच समझौता हुआ और कोलंबिया ने अपने नागरिकों की वापसी के लिए अपने विमान भेजे थे।
फरवरी में वेनेजुएला ने भी अपने नागरिकों की वापसी के लिए दो वाणिज्यिक विमान भेजे थे, जिसमें 190 लोगों को वापस लाया गया है।