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वॉशिंगटनः अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अवैध आव्रजन और आपराधिक गैंगों के खिलाफ कड़ा कदम उठाते हुए 1798 में बने विदेशी शत्रु अधिनियम (Alien Enemies Act) को लागू कर दिया है। इस कानून के तहत ट्रंप ने खुद को विदेशी अपराधियों को बिना सुनवाई के निर्वासित करने की विशेष शक्तियां दे दीं।
यह कदम किसी राष्ट्रपति द्वारा द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पहली बार उठाया गया है। हालांकि, उनके आदेश पर संघीय अदालत ने तत्काल रोक लगा दी है, जिससे नया कानूनी और राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है।
क्या है विदेशी शत्रु अधिनियम यानी एलियन एनमी एक्ट?
विदेशी शत्रु अधिनियम (Alien Enemies Act) अमेरिका का एक 227 साल पुराना कानून है, जिसे 1798 में फ्रांस के साथ संभावित युद्ध की स्थिति में जासूसी और तोड़फोड़ से निपटने के लिए बनाया गया था। यह अधिनियम अमेरिकी राष्ट्रपति को उन विदेशी नागरिकों को गिरफ्तार, नजरबंद, निर्वासित या प्रतिबंधित करने का अधिकार देता है, जिनकी निष्ठा किसी विदेशी सरकार के प्रति हो और जो युद्धकाल में राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं।
इस अधिनियम का उपयोग अब तक केवल तीन बार हुआ है—1812 में अमेरिका-ब्रिटेन युद्ध, प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध में। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापानी, जर्मन और इतालवी मूल के 120,000 लोगों को नजरबंद किया गया था। राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन ने भी इसे 1951 तक प्रभावी बनाए रखा, जब तक शत्रुता पूरी तरह समाप्त नहीं हुई।
ट्रंप ने Tren de Aragua गैंग को बताया ‘हमलावर सेना’
ट्रंप ने वेनेजुएला की कुख्यात Tren de Aragua गैंग को "विदेशी आक्रमणकारी बल" करार देते हुए दावा किया कि यह गैंग अमेरिका में "अनियमित युद्ध" छेड़ रही है। उन्होंने कहा कि वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो के इशारे पर यह गैंग अमेरिका की सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा बन चुकी है।
ट्रंप ने अपनी घोषणा में कहा: "विदेशी शत्रु अधिनियम को लागू कर मैं हर उस विदेशी आपराधिक नेटवर्क को खत्म करूंगा जो अमेरिका की धरती पर अपराध और हिंसा फैला रहे हैं। एक कमांडर इन चीफ के रूप में देश की रक्षा मेरी सर्वोच्च प्राथमिकता है।"
ट्रंप ने अपने प्रशासन को 20 जनवरी को निर्देश दिया था कि यदि ड्रग कार्टेल्स को ‘आक्रमणकारी’ घोषित किया जा सकता है, तो एलियन एनमी एक्ट लागू किया जाए। इस आदेश के तहत देश से बिना अदालत की सुनवाई के निर्वासन की प्रक्रिया शुरू हुई, लेकिन फेडरल जज जेम्स ई. बोसबर्ग ने इस पर रोक लगा दी और सुनवाई के लिए शुक्रवार को तारीख तय की है।
कोर्ट की रोक और कानूनी विवाद
दरअसल ट्रंप के आदेश के बाद अमेरिकन सिविल लिबर्टीज यूनियन (ACLU) और डेमोक्रेसी फॉरवर्ड नामक संगठनों ने कोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें कहा गया कि टेक्सास के एक डिटेंशन सेंटर में रखे गए पांच वेनेजुएली नागरिकों को तत्काल निर्वासित किया जा सकता है, जिससे उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा। फेडरल जज जेम्स ई. बोसबर्ग ने ट्रंप के आदेश पर दो सप्ताह की रोक लगाई और सुनवाई के लिए तारीख तय की।
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने अब तक इस अधिनियम को संवैधानिक माना है। 1948 में कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि सरकार कर्ट लुडेके, एक पूर्व नाजी, को निर्वासित कर सकती है, भले ही वह पार्टी छोड़ चुका था।
किस आधार पर लागू होता है यह कानून?
अधिनियम स्पष्ट करता है कि इसे केवल युद्ध की स्थिति में या किसी विदेशी सरकार द्वारा अमेरिका पर हमले के दौरान लागू किया जा सकता है। इसके लिए राष्ट्रपति को सार्वजनिक रूप से यह घोषणा करनी होती है कि कोई विशेष खतरा या आक्रमण हुआ है, जिससे अधिनियम को लागू करना आवश्यक है।
इस अधिनियम के लागू रहने की अवधि राष्ट्रपति के विवेक पर निर्भर करती है और इसे किसी न्यायिक समीक्षा की आवश्यकता नहीं होती, जब तक कि इसे कोर्ट में चुनौती न दी जाए।
विपक्ष और मानवाधिकार संगठनों की चिंता
ब्रेनन सेंटर फॉर जस्टिस और अन्य संगठनों ने इसे आधुनिक नागरिक अधिकारों का उल्लंघन बताते हुए कड़ी आलोचना की। उनका कहना है कि यह अधिनियम अब समय के अनुकूल नहीं है और इसका इस्तेमाल अमेरिकी नागरिकों की नजरबंदी और स्वतंत्रता को सीमित करने के लिए किया जा सकता है।
जनवरी में अमेरिकी संसद में डेमोक्रेट सांसदों ने एक प्रस्ताव पेश किया, जिसमें इस कानून को समाप्त करने की मांग की गई। उनका तर्क है कि इस अधिनियम का दुरुपयोग कर नागरिक स्वतंत्रता का हनन किया जा सकता है।
क्या अवैध आप्रवासन ‘आक्रमण’ है?
यह ट्रंप द्वारा पेश किया गया एक नया और कानूनी रूप से अनपरीक्षित तर्क है। उनका कहना है कि लैटिन अमेरिकी अपराधी गिरोह अमेरिका में ‘सीमित आक्रमण’ कर रहे हैं, जिससे देश की सुरक्षा खतरे में है। लेकिन अमेरिकी कांग्रेस के रिसर्च विभाग के अनुसार, यह तर्क अभूतपूर्व है और इसका कोई कानूनी उदाहरण नहीं है। आलोचकों का कहना है कि अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे अधिकांश लोग अपराधी नहीं हैं, और उन्हें विदेशी आक्रमणकारी बताकर हटाना कानून का दुरुपयोग है।