फ्रांस के एआई समिट में प्रधानमंत्री मोदी, राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस Photograph: (पीएम मोदी का "X" अकाउंट)
फ्रांस में आयोजित एआई समिट में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के सकारात्मक प्रभाव और संभावित चुनौतियाँ वैश्विक सहयोग और समावेशी विकास के लिए जरूरी हैं। मोदी ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को इस शिखर सम्मेलन की मेजबानी के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि एआई के उपयोग में निष्पक्षता और पारदर्शिता बेहद महत्वपूर्ण हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि एआई का विकास अभूतपूर्व गति से हो रहा है और इसे तेजी से अपनाया जा रहा है। इस तकनीक का प्रभाव राजनीति, अर्थव्यवस्था, सुरक्षा और समाज पर देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि एआई से सकारात्मक बदलाव संभव हैं, लेकिन इसके साथ ही भेदभाव और पूर्वाग्रह जैसी चुनौतियाँ भी सामने आ रही हैं।
मोदी ने एक उदाहरण देते हुए बताया कि यदि किसी मेडिकल रिपोर्ट को समझाने के लिए कोई एआई ऐप इस्तेमाल किया जाए, तो यह बेहद सटीक जानकारी दे सकता है। लेकिन यदि वही एआई ऐप किसी बाएँ हाथ से लिखने वाले व्यक्ति की तस्वीर बनाने के लिए कहा जाए, तो यह संभवतः दाएँ हाथ से लिखने वाले व्यक्ति की छवि बनाएगा। इसका कारण यह है कि प्रशिक्षण डेटा में असंतुलन हो सकता है।
उन्होंने एआई गवर्नेंस पर ज़ोर देते हुए कहा कि नियमन केवल जोखिम प्रबंधन के लिए नहीं, बल्कि नवाचार को बढ़ावा देने और वैश्विक हितों को सुनिश्चित करने के लिए भी आवश्यक है। विशेष रूप से, ग्लोबल साउथ में तकनीक तक समान पहुंच सुनिश्चित करना ज़रूरी है, जहां गणनात्मक संसाधन, प्रतिभा और वित्तीय संसाधन सीमित हैं।
सतत विकास और समावेशी एआई का निर्माण
प्रधानमंत्री मोदी ने एआई को स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को पूरा करने का माध्यम बताते हुए कहा कि इसके लिए वैश्विक स्तर पर संसाधनों और प्रतिभा को एकत्र करने की जरूरत है। उन्होंने खुले स्रोत (Open Source) तकनीकों को विकसित करने, निष्पक्ष डेटा सेट बनाने और साइबर सुरक्षा तथा गलत सूचना से निपटने की आवश्यकता को रेखांकित किया।
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि एआई के कारण नौकरियों की समाप्ति सबसे बड़ी चिंता है, लेकिन इतिहास बताता है कि तकनीक के आने से नौकरियाँ खत्म नहीं होतीं, बल्कि उनका स्वरूप बदलता है और नई नौकरियों का सृजन होता है। इसके लिए लोगों को नई तकनीकों के अनुरूप कुशल बनाने और पुनः प्रशिक्षण (Reskilling) देने की आवश्यकता है।
साथ ही, प्रधानमंत्री ने एआई की ऊर्जा खपत और उसके पर्यावरणीय प्रभाव पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि हरित ऊर्जा (Green Energy) का उपयोग एआई के भविष्य के लिए आवश्यक होगा। भारत और फ्रांस ने इंटरनेशनल सोलर अलायंस जैसी पहल के माध्यम से अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में पहले से ही सहयोग किया है। उन्होंने कहा कि एआई को स्थायी और प्रभावी बनाने के लिए इसके मॉडल का आकार, डेटा आवश्यकताएँ और संसाधनों की खपत भी सीमित होनी चाहिए।
भारत का एआई मिशन और वैश्विक नेतृत्व
प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (DPI) को एक नमूने के रूप में प्रस्तुत किया, जो 1.4 अरब लोगों को कम लागत में डिजिटल सेवाएँ प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि भारत ने डेटा सशक्तिकरण और संरक्षण ढांचे (DEPA) के माध्यम से डेटा को लोकतांत्रिक बनाया है और डिजिटल कॉमर्स को सभी के लिए सुलभ बनाया है।
उन्होंने बताया कि भारत ने G20 की अध्यक्षता के दौरान एआई के जिम्मेदार और समान उपयोग पर वैश्विक सहमति बनाई। आज भारत एआई को अपनाने, डेटा गोपनीयता के तकनीकी-वैधानिक समाधानों और सार्वजनिक हित के लिए एआई अनुप्रयोगों के विकास में अग्रणी है।
भारत दुनिया के सबसे बड़े एआई टैलेंट पूल में से एक का निर्माण कर रहा है और स्थानीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए अपना खुद का बड़ा भाषा मॉडल (Large Language Model) विकसित कर रहा है। इसके अलावा, भारत ने सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल के माध्यम से कंप्यूटिंग संसाधनों को स्टार्टअप्स और शोधकर्ताओं के लिए किफायती बनाया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन के अंत में कहा कि भारत एआई के भविष्य को "सभी के लिए और सभी के भले के लिए" बनाने के लिए पूरी तरह तैयार है और अन्य देशों के साथ अपने अनुभव और विशेषज्ञता को साझा करने के लिए प्रतिबद्ध है।