तुर्कमेनिस्तान से भारत तक गैस पहुंचाने की TAPI पाइपलाइन पर जल्द शुरू होगा काम, अफगानिस्तान का ऐलान

इससे पहले तालिबानी सरकार के एक प्रवक्ता ने तापी परियोजना पर बोलते हुए कहा था कि इसके जरिए 12 हजार स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा।

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Afghanistan announces Work on TAPI pipeline to transport gas from Turkmenistan to India will start soon

तुर्कमेनिस्तान से भारत तक गैस पहुंचाने की TAPI पाइपलाइन पर जल्द शुरू होगा काम, अफगानिस्तान का ऐलान (फोटो- IANS)

नई दिल्ली: अफगानिस्तान ने ऐलान किया है कि 10 अरब डॉलर की तापी (TAPI-टीएपीआई) गैस पाइपलाइन पर जल्द ही काम शुरू होने वाला है। इस परियोजना के तहत गैस से भरा पाइपलाइन तुर्कमेनिस्तान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के जरिए भारत तक आने वाला है।

इसकी शुरुआत साल 2015 में की गई थी जिसके बाद कई बाधाएं आ गई थी जिसके कारण अब तक इस परियोजना को पूरा नहीं किया जा सका है। तालिबान के अधिकारियों और नेताओं द्वारा बुधवार को तुर्कमेनिस्तान की सीमा पर एक समारोह के आयोजन के बाद इसका ऐलान किया गया है।

तुर्कमेनिस्तान के साइड से इस परियोजना के पूरा होने पर समारोह का आयोजन हुआ है। इस समारोह में अफगान प्रधान मंत्री हसन अखुंद भी वहां मौजूद थे। दोनों पक्षों के अधिकारियों ने क्षेत्रीय सहयोग और आर्थिक विकास के लिए पाइपलाइन से जुड़े परियोजना के महत्व की सराहना भी की है।

हालांकि जानकारों द्वारा इस परियोजना के बन कर तैयार होने के समय पर सवाल भी उठाया गया है।

तुर्कमेनिस्तान और अफगानिस्तान ने क्या कहा है

तुर्कमेनिस्तान के साइड से परियोजना के खत्म होने पर वहां के राष्ट्रपति सर्दार बर्दीमुहामेदो ने कहा है, 'इस परियोजना में शामिल सभी देशों की अर्थव्यवस्था को इससे फायदा होगा। साथ ही पूरे क्षेत्र के देशों को इससे लाभ होगा।'

वहीं बुधवार को इस परियोजना पर बोलते हुए तालिबान सरकार के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने कहा है कि 'आज से अफगानिस्तान की धरती पर ऑपरेशन शुरू हो जाएगा।'

यही नहीं इस मौके पर अफगानिस्तान ने सीमावर्ती हेरात प्रांत में एक दिन की छुट्टी की भी घोषणा की है। अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में प्रोजेक्टे के नाम के पोस्टर भी लगाए हैं। परियोजना को लेकर अफगानिस्तान की सरकार काफी उत्सुक है क्योंकि इससे उनकी अर्शव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।

क्या है यह परियोजना

टीएपीआई पाइपलाइन का नाम उन देशों के नाम के पहले शब्द पर रखा गया है जिस देश से यह होकर गुजरने वाला है। यह पाइपलाइन 1800 किलोमीटर (1,120 मील) तक फैला हुआ है। इस परियोजना के जरिए तुर्कमेनिस्तान के गल्किनीश गैस क्षेत्र से सालाना लगभग 33 बिलियन क्यूबिक मीटर प्राकृतिक गैस भारत आएगा।

यह पाइपलाइ्न तुर्कमेनिस्तान के गल्किनीश से शुरू होकर अफगानिस्तान के हेरात और कंधार प्रांतों से गुजरते हुए पाकिस्तान आएगा। पाकिस्तान में यह बलूचिस्तान प्रांत को पार करते हुए भारत के पंजाब के फाजिल्का में आकर यह समाप्त होगा।

किस देश को होगा कितना लाभ

परियोजना के तहत भारत और पाकिस्तान दोनों ही 42-42 फीसदी प्राकृतिक गैस की डिलीवरी खरीद पाएंगे जबकि बाकी बचे 16 फीसदी गैस को अफगानिस्तान खरीदेगा।

यही नहीं परियोजना से अफगानिस्तान को 500 मिलियन डॉलर (पांच हजार करोड़ रुपए) का सालाना लाभ भी होगा। उसे इस पाइपलाइन के लिए रास्ते देने के लिए यह लाभ मिलेगा।

विशेषज्ञों का क्या है कहना

इन विकासों के बावजूद विशेषज्ञों ने परियोजना को लेकर चेतावनी दी है और कहा है कि इसे अभी तक पूरा फंड नहीं मिला है। उन्होंने यह भी दावा किया है कि इसके विकास की गति को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि इन देशों को गैस सप्लाई शुरू होने में कम से कम एक और दशक लग सकता है।

परियोजना को लेकर चिंता

तुर्कमेनिस्तान की ओर से साल 2015 में लॉन्च हुए इस परियोजना के तहत साल 2018 से अफगानिस्तान की ओर से इसे शुरू करना था। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया और इसमें देरी हुई थी। साल 2021 में अफगानिस्तान की सत्ता तालिबान के हाथ में चली गई थी।

इस समय भी इस परियोजना में कुछ खास विकास नहीं हुआ था। ऐसे में अब अफगानिस्तान सरकार द्वारा इसे फिर से शुरू करने से इसके जल्द ही पूरा होने की उम्मीद जगी है।

अफगानिस्तान के लिए है कितना महत्वपूर्ण

टीएपीआई परियोजना को तालिबान के नेतृत्व वाली अफगान सरकार के लिए इसे एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जा रहा है। अफगानिस्तान जिसे अभी तक किसी देश ने आधिकारिक तौर पर मान्यता नहीं दी है।

ऐसे में इस परियोजना के तहत मध्य एशिया और दक्षिण एशिया जो अभी भारी ऊर्जा की कमी का सामने कर रहे हैं। इसके जरिए उनके बीच एक क्षेत्रीय सहयोग कर अफगानिस्तान एक रणनीतिक भूमिका निभा सकता है।

पश्चिम से आर्थिक और वित्तीय प्रतिबंधों का सामना कर रहा अफगानिस्तान खानों और बुनियादी ढांचे जैसे महत्वाकांक्षी परियोजनाओं को फिर से शुरू करने पर विचार कर रहा है। इसके तहत जुलाई 2023 में अफगानिस्तान ने चीन के साथ तांबा-निष्कर्षण परियोजना को फिर से शुरू किया है। यह परियोजना साल 2008 से बंद पड़ी थी।

तापी परियोजना से तुर्कमेनिस्तान का भी होगा लाभ

गैस समृद्ध तुर्कमेनिस्तान फिलहाल चीन और रूस को प्राकृतिक गैस निर्यात करता है। लेकिन एक बार यह परियोजना पूरी हो जाती है तो इससे वह न केवल अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत में गैस निर्यात कर पाएगा बल्कि इस कारण अन्य देश के रास्ते भी उसके लिए खुल जाएगें।

इसके बाद तुर्कमेनिस्तान कैस्पियन सागर से अजरबैजान, तुर्की और यूरोप तक अपनी गैस को पहुंचाने पर काम करेगा। इससे पहले तालिबानी सरकार के एक प्रवक्ता ने तापी परियोजना पर बोलते हुए कहा था कि इसके जरिए 12 हजार स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा।

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