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काबुलः पाकिस्तान और ईरान में लगातार उत्पीड़न का सामना कर रहे अफगानिस्तान के शरणार्थियों ने तालिबान सरकार और विभिन्न मानवाधिकार संगठनों से मदद की गुहार लगाई है।
शरणार्थियों ने कहा कि वैध कानूनी दस्तावेज होने के बावजूद उन्हें स्थानीय अधिकारियों (खासकर पाकिस्तान में) की तरफ से अवैध हिरासत, निर्वासन और भेदभाव का खतरा बना हुआ है।
पुलिस अधिकारी कभी भी हिरासत में ले लेते हैंः शरणार्थी
एक शरणार्थी ने अफगानिस्तान के टोलो न्यूज नेटवर्क से कहा, "पुलिस अधिकारी किसी भी बहाने से अफगान शरणार्थियों को हिरासत में ले लेते हैं, चाहे उनके पास कानूनी दस्तावेज हों या नहीं। वे सभी को निर्वासित कर देते हैं, जिससे उनकी पत्नियां और बच्चे बिना किसी सहारे के फंस जाते हैं।"
अधिकार कार्यकर्ता मोहम्मद खान तालेबी मोहम्मदजई ने कहा कि मेजबान देशों, खासकर पाकिस्तान में अफगान शरणार्थियों की स्थिति बेहद चिंताजनक है।
मोहम्मदजई ने अफगान मीडिया आउटलेट से कहा, "वर्तमान अफगान सरकार, संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय सहायता संगठनों को इन देशों में अफगान शरणार्थियों की स्थिति पर ध्यान देना चाहिए।" शरणार्थियों का कहना है कि वे केवल अपने बुनियादी अधिकार चाहते हैं और कुछ नहीं।
पाकिस्तान सरकार को पत्र
इस महीने की शुरुआत में मानवाधिकार संगठनों और शरणार्थी वकालत समूहों के गठबंधन ने पाकिस्तानी सरकार को एक खुला पत्र लिखा था, जिसमें अफगान प्रवासियों के जबरन निर्वासन को तुरंत रोकने के लिए कहा गया था।
वहीं अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) के प्रतिनिधि अराफात जमाल ने हाल ही में जबरन निर्वासन और निष्कासन के मुद्दे पर स्थानीय सरकारों की आलोचना की थी।
अपने देश में युद्ध और संघर्ष से भागकर, अफगानिस्तान के प्रवासी दशकों से मुख्य रूप से पाकिस्तान और ईरान में शरण ले रहे हैं। अफगान मीडिया के मुताबिक शरणार्थियों को विशेष रूप से पाकिस्तान में गंभीर दुर्व्यवहार और उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है।