वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को कई देशों और 27 सदस्यीय यूरोपीय संघ पर उच्च टैरिफ लगाने वाले एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किया। यह आदेश 7 अगस्त से लागू हो जाएगा। इसके आदेश के तहत भारत पर 25 प्रतिशत 'समायोजित पारस्परिक टैरिफ' लगाया गया है, जो अमेरिका के व्यापारिक साझेदारों पर सबसे ऊँची दरों में से एक है। 

इससे पहले रेसिप्रोकल टैरिफ की शुरुआत 1 अगस्त होनी थी, लेकिन बताया गया है कि अमेरिकी सीमा शुल्क एवं सीमा सुरक्षा विभाग को अपने सिस्टम को अपडेट करने का समय देने के लिए इसे 7 अगस्त तक के लिए टाल दिया गया है। हालांकि, सूत्रों के अनुसार समय को बढ़ाना इस बात का भी संकेत है कि ट्रंप कुछ और देशों को टैरिफ में रियायत देने के लिए बात करने के लिए तैयार हैं।

किस देश पर लगाया सबसे ज्यादा टैरिफ

अमेरिका के साथ बड़े व्यापार अधिशेष या अपर्याप्त रणनीतिक तालमेल वाले देशों पर सबसे ज्यादा बढ़ोतरी की गई है। सबसे ज्यादा टैरिफ वाले देशों में  सीरिया है जिस पर 41 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा हुई है। लाओस और म्यांमार पर 40 प्रतिशत, स्विट्जरलैंड पर 39 प्रतिशत, इराक, सर्बिया और कनाडा पर 35 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की गई है। 

नए कार्यकारी आदेश के अनुसार, दक्षिण एशिया में भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया गया है। जबकि पाकिस्तान पर 19 प्रतिशत टैरिफ लगाया गया है। साउथ एशिया में सबसे कम टैरिफ पाकिस्तान पर लगाया गया है; पहले ये 29 फीसदी था। लिस्ट में चीन का नाम शामिल नहीं है।

अमेरिका ने व्यापार घाटे और रणनीतिक तालमेल के आधार पर 95 देशों और क्षेत्रों पर 10 प्रतिशत से 41 प्रतिशत तक के समायोजित पारस्परिक टैरिफ की घोषणा की है।

इसके अलावा अफगानिस्तान पर 15 प्रतिशत, बांग्लादेश पर 20 प्रतिशत, ब्राजील पर 10 प्रतिशत, इंडोनेशिया पर 19 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा अमेरिका की ओर से की गई है। इजराइल पर 15 प्रतिशत टैरिफ लगाया गया है। श्रीलंका पर 20 प्रतिशत टैरिफ लगा है। दक्षिण अफ्रीका पर 30 प्रतिशत टैरिफ लगाया गया है।

टैरिफ घोषणाओं के बीच भारत का क्या है स्टैंड?

इस बीच सरकार ने दोहराया है कि वह अपने राष्ट्रीय हित में काम करेगी। वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि वह नए शुल्कों और जुर्मानों के प्रभाव का आकलन कर रहा है। साथ ही इस बात पर भी जोर दिया कि अमेरिका के साथ एक निष्पक्ष और पारस्परिक व्यापार समझौते के लिए बातचीत जारी है। पाँच दौर की वार्ता हो चुकी है, और छठे दौर की वार्ता इसी महीने के अंत में होने की उम्मीद है। भारत ने कृषि और डेयरी जैसे प्रमुख मुद्दों पर कड़ा रुख अपनाया है और इस बाजार में ज्यादा पहुँच की अमेरिकी माँग का विरोध किया है।

गौरतलब है कि ट्रंप ने भारत पर नए टैरिफ की घोषणा दो दिन पहले ही कर दी थी। साथ ही उन्होंने रूस से भारत द्वारा तेल और हथियार खरीद पर अतिरिक्त 'जुर्माने' की बात कही थी। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि रूस के साथ भारत का ऊर्जा व्यापार संबंधों में 'निश्चित रूप से चिढ़ का विषय' है, क्योंकि यह यूक्रेन में मास्को के युद्ध प्रयासों को बनाए रखने में मदद करता है। 

भारत को प्रमुख ऊर्जा जरूरतों वाले एक रणनीतिक साझेदार के रूप में स्वीकार करते हुए, रुबियो ने कहा कि वाशिंगटन 'स्पष्ट रूप से निराश' है कि भारत अन्य वैश्विक विक्रेताओं की उपलब्धता के बावजूद बड़ी मात्रा में रियायती रूसी तेल खरीदना जारी रखे हुए है। 

ट्रंप द्वारा भारतीय वस्तुओं पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाना और रूसी सौदों के लिए अतिरिक्त जुर्माना लगाना उसी चिढ़ की तीखी अभिव्यक्ति के रूप में देखा जा रहा है। ट्रंप ने भारत की गैर-मौद्रिक व्यापार बाधाओं को "घृणित" बताते हुए अमेरिकी वस्तुओं के लिए अपने बाजार को खोलने में विफल रहने का भी आरोप लगाया था।

बताते चलें कि ट्रंप ने 2 अप्रैल को दुनियाभर के देशों पर टैरिफ लगाने का ऐलान किया था, लेकिन 7 दिन बाद ही इसे 90 दिनों के लिए टाल दिया था। कुछ दिनों बाद 31 जुलाई तक का समय दिया था। फिर 90 दिनों में 90 सौदे कराने का टारगेट रखा गया था। हालांकि इस बीच अमेरिका का महज 7 देशों से समझौता हो पाया।