नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को अमेरिका की तीन दिवसीय यात्रा पर रवाना हो गए हैं। अमेरिका में पीएम मोदी क्वाड शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे और संयुक्त राष्ट्र के ‘भविष्य के शिखर सम्मेलन’ को संबोधित करेंगे। इसके अलावा, प्रधानमंत्री एक सामुदायिक कार्यक्रम में भी हिस्सा लेंगे और वहां भारतीय प्रवासियों से बातचीत करेंगे।
इस यात्रा के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से मुलाकात को लेकर उन्होंने कहा कि यह बैठक भारत-अमेरिका व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करने के नए रास्ते खोलने में मदद करेगी, जिससे हमारे दोनों देशों के लोगों और वैश्विक भलाई का लाभ होगा।
पीएम मोदी के अमेरिकी दौरे का पूरा कार्यक्रम
शनिवार सुबह दिल्ली से रवाना होने के बाद प्रधानमंत्री मोदी शनिवार रात और रविवार तड़के अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन और क्वाड समूह के नेताओं से मुलाकात करेंगे। यह बैठक डेलावेयर के विलमिंगटन में होगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्वाड बैठक में ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीस के साथ हिस्सा लेंगे। इसके साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा के लिए विदाई बैठक का आयोजन किया जाएगा, क्योंकि बाइडेन अगला राष्ट्रपति चुनाव नहीं लड़ रहे हैं और किशिदा जल्द ही अपना पद छोड़ने वाले हैं।
मोदी 23 सितंबर को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के ‘भविष्य के शिखर सम्मेलन’ को भी संबोधित करेंगे, जिसका इस बार का विषय ‘बेहतर कल के लिए बहुपक्षीय समाधान’ रखा गया है। विदेश मंत्रालय के अनुसार, इस शिखर सम्मेलन में कई वैश्विक नेताओं की भागीदारी की उम्मीद है, और प्रधानमंत्री मोदी सम्मेलन के दौरान कई द्विपक्षीय बैठकें भी करेंगे।
न्यूयॉर्क प्रवास के दौरान, मोदी 22 सितंबर को भारतीय समुदाय को संबोधित करेंगे। इसके अलावा, वे अमेरिकी कंपनियों के सीईओ से भी मुलाकात करेंगे, ताकि एआई, क्वांटम कंप्यूटिंग, सेमीकंडक्टर और बायोटेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच सहयोग को और बढ़ाया जा सके।
भारतीय समुदाय के लिए एक विशेष कार्यक्रम ‘मोदी एंड यूएस प्रोग्रेस टुगेदर’ न्यूयॉर्क के यूनियनडेल में आयोजित होगा। इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए 25,000 से अधिक लोगों ने आवेदन किया है। विदेश मंत्रालय ने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री अमेरिका-भारत द्विपक्षीय संबंधों से जुड़े प्रमुख विचारकों और अन्य हितधारकों के साथ भी चर्चा करेंगे।
भारत की बजाय अमेरिका में क्यों हो रहा क्वाड सम्मेलन?
अमेरिका क्वाड शिखर सम्मेलन की तैयारियों में जोरों से जुटा है। लेकिन यह सम्मेलन अमेरिका में नहीं, बल्कि भारत में होने वाला था। पर ऐन वक्त पर इसकी मेजबानी का जिम्मा अमेरिका को सौंप दिया गया। इसकी वजहों पर नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल में ईस्ट एशिया और ओशिनिया ने कहा कि जब हमने कार्यक्रम की पूरी रूपरेखा को विस्तारपूर्वक समझने का प्रयास किया, तो हमें लगा कि इस साल अमेरिका इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए उपयुक्त स्थल रहेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस दिशा में अपनी सहमति व्यक्त की थी। इसके बाद अमेरिका का चयन कार्यक्रम की मेजबानी के लिए किया गया। वहीं बाइडन ने भी कहा कि यह कार्यक्रम में भारत में ही होना था, लेकिन कार्यक्रम में शामिल होने वाले नेताओं ने इसकी अनुमति नहीं दी, जिसे देखते हुए हमें पूरी योजना बदलनी पड़ी।
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क्वाड क्या है?
क्वाड (Quad) एक कूटनीतिक समूह है जिसमें भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। इसका उद्देश्य इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में एक खुले, स्थिर और समृद्ध वातावरण को सुनिश्चित करना है। क्वाड की शुरुआत 2004 में भारतीय महासागर में आए सुनामी के दौरान हुई थी, जब इन चारों देशों ने मिलकर आपदा राहत कार्यों में सहयोग किया था। हालांकि, उस समय यह समूह एक अनौपचारिक गठबंधन के रूप में काम कर रहा था।
क्वाड को आधिकारिक रूप से 2007 में जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो आबे द्वारा स्थापित किया गया था, लेकिन अगले दशक तक यह समूह निष्क्रिय रहा। इसकी प्रमुख वजह थी ऑस्ट्रेलिया की चिंता, जो मानता था कि इस समूह से चीन नाराज हो सकता है।
2017 में चीन के बढ़ते प्रभाव को क्षेत्र के लिए संभावित खतरे के रूप में देखते हुए क्वाड को फिर से सक्रिय किया गया। हालांकि, यह नाटो जैसे सुरक्षा गठबंधन से अलग है, क्योंकि क्वाड में सामूहिक रक्षा का कोई प्रावधान नहीं है। नाटो के आर्टिकल 5 के विपरीत, क्वाड का उद्देश्य सामूहिक सैन्य कार्रवाई के बजाय कूटनीतिक सहयोग और साझा सैन्य अभ्यासों के माध्यम से अपनी एकजुटता दिखाना है। फिर भी, चीन ने इसे ‘एशियाई नाटो’ कहकर आलोचना की थी जबकि क्वाड का उद्देश्य रक्षा से ज्यादा सहयोग और स्थिरता को बढ़ावा देना है।
क्वाड का विकास
क्वाड के स्वरूप को 2021 में तब और विस्तार मिला जब इसे नेताओं के शिखर सम्मेलन के स्तर तक बढ़ाया गया। 12 मार्च 2021 को क्वाड नेताओं का पहला शिखर सम्मेलन वर्चुअल रूप में आयोजित किया गया, जिसने इसे अंतर्राष्ट्रीय मंच पर नई ऊंचाई दी।
इसके बाद, 24 सितंबर 2021 को वाशिंगटन डीसी में दूसरा शिखर सम्मेलन (इन-पर्सन) हुआ, जहां नेताओं ने इन्फ्रास्ट्रक्चर, स्पेस और साइबर सुरक्षा जैसे अहम क्षेत्रों में सहयोग के लिए तीन नए कार्य समूहों की शुरुआत की।
तीसरा क्वाड शिखर सम्मेलन 3 मार्च 2022 को वर्चुअल रूप में आयोजित किया गया, जिसमें यूक्रेन संकट और उसके इंडो-पैसिफिक क्षेत्र पर पड़ने वाले प्रभावों पर विस्तार से चर्चा हुई।
24 मई 2022 को चौथा शिखर सम्मेलन (इन-पर्सन) जापान में आयोजित हुआ। इस दौरान, क्वाड सैटेलाइट डेटा पोर्टल लॉन्च किया गया, जो जलवायु परिवर्तन और आपदा पूर्वानुमान के लिए क्षेत्रीय देशों को अंतरिक्ष से प्राप्त डेटा उपलब्ध कराएगा, जिससे समुद्री संसाधनों का स्थायी उपयोग सुनिश्चित हो सकेगा।
20 मई 2023 को हिरोशिमा, जापान में पांचवां क्वाड शिखर सम्मेलन (इन-पर्सन) आयोजित किया गया, जिसमें एक महत्वपूर्ण दृष्टि वक्तव्य जारी किया गया। इस बयान में कहा गया- “हम, ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका के नेता, क्वाड के माध्यम से मुक्त, खुला और समावेशी इंडो-पैसिफिक के निर्माण के लिए अपनी अटूट प्रतिबद्धता दोहराते हैं, जहां शांति, समृद्धि और स्थिरता का माहौल हो।”
नेताओं ने यह भी कहा था कि हमारा दृष्टिकोण एक ऐसा इंडो-पैसिफिक है, जो अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन करता हो, संप्रभुता का सम्मान करता हो और डराने-धमकाने या जबरदस्ती से मुक्त हो, जहां विवाद शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाए जा सकें। इसके साथ ही, क्वाड नेताओं ने “इंडो-पैसिफिक के लिए स्थायी साझेदार” नामक एक साझा दृष्टि पत्र प्रस्तुत किया था जिसमें इस क्षेत्र के लिए मुक्त, खुला और समावेशी दृष्टिकोण का रोडमैप प्रस्तुत किया गया।
शिखर सम्मेलन से क्या उम्मीदें हैं?
इस शिखर सम्मेलन में नेताओं के रूस-यूक्रेन संघर्ष, पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की स्थिति सहित प्रमुख वैश्विक चुनौतियों पर चर्चा की उम्मीद है। विदेश सचिव के अनुसार, इस शिखर सम्मेलन का एजेंडा “बहुत पूर्ण और सारगर्भित होगा। बैठक के अंत में एक संयुक्त घोषणा पत्र जारी किया जाएगा।
क्वाड का एजेंडा इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में काम करने, सार्वजनिक सेवाएं प्रदान करने और शांति, समृद्धि और स्थिरता सुनिश्चित करने पर केंद्रित होगा। इसमें स्वास्थ्य सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, तकनीक, संबंधों में सुधार, समुद्री सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी प्रयास शामिल हैं। अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के अधिकारी जॉन किर्बी के अनुसार, इस शिखर सम्मेलन में चीन से जुड़े क्षेत्रीय मुद्दे भी प्रमुखता से चर्चा में होंगे।