नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र (यूएन) को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की तुलना “एक पुरानी कंपनी” से की जो अब वैश्विक जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रही है। उनका कहना है कि चूंकी अब यूएन कुछ कर नहीं पा रही है फिर भी यह “बाजार में जगह घेरे बैठी है।”
जयशंकर ने दुनिया के प्रमुख मुद्दों को सुलझाने में संयुक्त राष्ट्र को फेल बताया है। उन्होंने कहा है कि चूंकि यह फेल हो गया हो गया है, इस कारण दुनिया के कई देशों को अपनी समस्याओं को अपने तरीके से हल करने पर मजबूर होना पड़ा है।
जयशंकर ने अपने बयानों में कोरोना काल का भी जिक्र किया है और इस दौरान संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा है कि कोरोना काल के दौरान कैसे कुछ देशों ने बिना संयुक्त राष्ट्र की मदद से अकेले ही अपनी समस्याओं का समाधान किया है।
जयशंकर ने क्या कहा है
जयशंकर ने रविवार को कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन में हिस्सा लिया है। इस दौरान उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र (यूएन) एक ‘पुरानी कंपनी’ की तरह है जो बदलते वैश्विक परिदृश्य के साथ अब तालमेल नहीं बैठा पा रही है।
इस पर बोलते हुए विदेश मंत्री ने कहा, “आखिरकार संयुक्त राष्ट्र तो है, लेकिन यह काम करने में बहुत कमजोर है, हालांकि यह अभी भी एकमात्र बहुपक्षीय खिलाड़ी है। लेकिन जब यह प्रमुख मुद्दों पर आगे नहीं आता है, तो देश अपने-अपने तरीके खोज लेते हैं।”
कोरोना काल के दौरान यूएन की भूमिका पर बोलते हुए जयशंकर ने इसके सीमित योगदान का भी जिक्र किया है। उन्होंने कहा है, “संभवतः हमारे जीवन में जो सबसे बड़ी घटना घटी वह कोरोना थी। जरा सोचें कि कोरोना में संयुक्त राष्ट्र ने क्या किया, मुझे लगता है कि इसका उत्तर बहुत अधिक नहीं है।”
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जयशंकर ने यूरोप और पश्चिम एशिया में मौजूदा संघर्षों पर क्या कहा
जयशंकर ने यूरोप और पश्चिम एशिया में मौजूदा संघर्षों के जवाब में संयुक्त राष्ट्र की निष्क्रियता पर भी प्रकाश डाला है। इस मामलों में उन्होंने संगठन को एक “मूकदर्शक” की तरह भूमिका निभाने वाला कहा है।
यह सवाल पूछे जाने पर कि यूरोप और पश्चिम एशिया में मौजूदा संघर्षों यूएन क्यों नहीं रोक पा रहा है। इस पर जयशंकर ने कहा, “दुनिया में दो बहुत गंभीर संघर्ष चल रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र उन में कहां है? अनिवार्य रूप से एक मूकदर्शक। जैसा कि आपने कोरोना के दौरान भी देखा, देशों ने या तो अपने तरीके से काम किया या कोवैक्स जैसी पहल सामने आई, जिसके पीछे देशों का ग्रुप था।”
विदेश मंत्री ने आगे कहा, “आजकल जब बड़े मुद्दों की बात आती है, तो आप पाएंगे कि देशों के समूह एक साथ आकर कहते हैं कि, आइए इस पर सहमत हो जाएं और इसे करें।” उन्होंने यह भी कहा, “संयुक्त राष्ट्र रहेगा, लेकिन एक गैर-यूएन स्पेस भी तेजी से विकसित हो रहा है, जो एक्टिव स्पेस है।”