नई दिल्ली: दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ ईडन गार्डन्स में पहले टेस्ट में मिली हार के बाद टीम इंडिया के कोच गौतम गंभीर एक बार फिर सवालों के घेरे में हैं। भारत को 124 रनों का लक्ष्य मिला था लेकिन उसे 30 रनों से हार का सामना करना पड़ा। भारत की पिच पर ये सबसे छोटा लक्ष्य रहा, जिसे हासिल करने में टीम इंडिया नाकाम रही।
गंभीर के भारतीय क्रिकेट टीम के साथ मुख्य कोच के रूप में डेढ़ साल के कार्यकाल के दौरान टीम इंडिया ने दुबई में आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी और उसी जगह पर एशिया कप जीतकर जरूर कुछ अहम उपलब्धियां हासिल की है। हालांकि, टेस्ट क्रिकेट के लिहाज से पिछले कुछ महीनों का सफर बिल्कुल उत्साहजनक नहीं रहा है।
गंभीर के आने के बाद टेस्ट मैचों में टीम इंडिया का प्रदर्शन
2024 में होने वाली पिछली विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) की अंकतालिका में भारत शानदार स्थिति में था। गंभीर ने जब कार्यभार संभाला था, तब फाइनल में भारतीय टीम का जगह बनना लगभग तय लग रहा था। हालांकि, चार महीनों में यह सपना टूट गया, क्योंकि टीम छह टेस्ट मैच हार गई। इसमें तीन न्यूजीलैंड से घरेलू मैदान पर और तीन ऑस्ट्रेलिया से उसकी सरजमीं पर हार शामिल है।
नए सीजन में टीम को सुपरस्टार सीनियर खिलाड़ियों जैसे- रोहित शर्मा और विराट कोहली दोनों टेस्ट से संन्यास ले चुके हैं। दूसरी ओर भारत अब तक खेले गए आठ में से तीन टेस्ट हार चुका है और अब इस सीजन में WTC तालिका में चौथे स्थान पर है।
गुवाहाटी में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ दूसरे टेस्ट के बाद भारत के पास न्यूजीलैंड और श्रीलंका के केवल दो विदेशी दौरे हैं। जिसके बाद 2027 की शुरुआत में घरेलू मैदान पर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पांच टेस्ट मैच होंगे।
गौतम गंभीर सवालों के घेरे में
इस बार भी फाइनल की राह कम से कम फिलहाल कहने के लिए तो मुश्किल लग रही है। पहला मुद्दा जिसने गंभीर की भूमिका को सवालों के घेरे में ला दिया है, वह है भारत में टेस्ट खेलते समय उनकी पिचों का चुनाव। रविवार को ईडन गार्डन्स में भारत की करारी हार के बाद गंभीर ने कहा, ‘यह बिल्कुल वैसी ही पिच थी जैसी हम चाहते थे।’ यह मैच भारत की हार के साथ ढाई दिन में खत्म हुआ।
उन्होंने पिछले साल न्यूज़ीलैंड सीरीज के लिए भी ऐसी ही पिचें चुनी थीं, जिसमें भारतीय टीम का घरेलू मैदान पर सफाया हो गया था। टेस्ट क्रिकेट इस तरह की हार अब से कुछ साल पहले तक बड़ा मुद्दा बनते थे। गंभीर की कोचिंग पर भी सवाल उठते लेकिन अब सफेद गेंद यानी वनडे और टी20 की सफलता ऐसे सवालों को खत्म कर देती है।
सौरव गांगुली, हरभजन सिंह, रविचंद्रन अश्विन और चेतेश्वर पुजारा जैसे कई दिग्गज खिलाड़ियों ने कम तैयार पिचों को लेकर खूब गुस्सा निकाला है और कहा है। वे कह रहे हैं कि ऐसी पिचों पर खेलने से भारत को कोई फायदा नहीं होता, बल्कि उल्टा असर पड़ता है। अश्विन ने हाल ही में कहा था, ‘एक पारंपरिक भारतीय टर्नर पिच वह होती है जहाँ बल्ले के दोनों किनारों को चुनौती मिलती है और थोड़ी उछाल भी होती है। हम ऐसी पिचों पर क्यों नहीं खेल रहे हैं?’
पिचों के चयन की व्यापक रूप से आलोचना तो हो रही है, वहीं दूसरा मुद्दा भी है। दूसरा मुद्दा गंभीर की प्लेइंग इलेवन के चयन को लेकर है। टीम में लगातार काट-छांट और बदलाव हुए हैं। बल्लेबाजी में नंबर 3 की जगह पर कई खिलाड़ियों को लगातार आजमाया जा चुका है। जब से गंभीर ने कोच का कार्यभार संभाला है, शुभमन गिल, देवदत्त पडिक्कल, केएल राहुल, करुण नायर, साई सुदर्शन और वाशिंगटन सुंदर को उस स्थान पर बारी-बारी से बल्लेबाजी करते देखा गया है। जबकि ये जगह ठोस बल्लेबाजों के लिए जानी जाती रही है। अत्यधिक तेजी से और बार-बार बदलाव के साथ फैसले लेने के कारण, किसी भी खिलाड़ी को जमने का समय नहीं मिल रहा है, और इससे कुछ फायदा न होकर नुकसान ही नजर आया है।

