नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष (FY24) में ब्रिटेन से 100 मीट्रिक टन सोना वापस लाया है। यह सोना भंडार में ट्रांसफर किया गया है। भारत का यह सोना साल 1991 से विदेश में था, जिसे अब घरेलू तिजोरियों में रखवा दिया गया है। बता दें कि 1991 के बाद से यह सबसे बड़ा मौका है जब इतने बडे़ पैमाने पर सोना को वापस लाया गया है।
मार्च 2024 के आंकड़ों के अनुसार, आरबीआई के पास कुल सोना भंडार 822.10 मीट्रिक टन था। इसमें से 408 मीट्रिक टन से अधिक भंडार भारत में है और बाकी 413.79 मीट्रिक टन विदेशों में रखा गया था।
किस कारण यूके में रखा गया था सोना
1990-91 के विदेशी मुद्रा संकट के दौरान बैंक ऑफ इंग्लैंड में गिरवी रखे हुए सोना का लोन चुकाने के बाद भी भारत ने अपना सोना वापस नहीं लिया था और बैंक में ही रखा था।
आरबीआई ने लॉजिस्टिक को आसान करने के लिए वहां पर सोने को रखा था ताकि इससे उसे व्यापार करने, स्वैप और निवेश पर रिटर्न आसानी हो। यही नहीं आरबीआई अंतरराष्ट्रीय बाजारों से भी सोना खरीदता है और इसे विदेशों में संग्रहीत करने से इन लेनदेन में आसानी होती है।
आरबीआई ने क्यों मंगाया सोना वापस
विदेशों में सोना स्टोर करना बहुत बड़ा जोखिम है और यह जोखिम उस वक्त और भी बढ़ जाता है जब दुनिया के कई देशों के बीच भू-राजनीतिक तनाव हो। रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को देखते हुए कई पश्चिमी देशों ने रूस पर कई पाबंदियां लगाई है।
ऐसे में इन देशों द्वारा रूस की संपत्ति भी जब्त की गई है। इन सब परिस्थितियों के बीच आरबीआई ने यूके से भारत में सोना मंगावाया है। सोने की स्वदेश वापसी इन चिंताओं को दर्शाती है।
क्या करेगा इतने सोने का आरबीआई
विदेश में रखे गए सोने को भारत वापस लाकर आरबीआई देश में सोने की कीमतों पर कंट्रोल कर सकता है। देश में सोने के स्टॉक के मौजूद होने से स्थानीय सर्राफा बाजार विकसित होगा और इससे लोगों द्वारा सोने में निवेश भी बढ़ेगी।
रिजर्व गोल्ड की बड़ी मात्रा रखा जाएगा देश में
देश में 100 टन सोना वापस लाने के साथ ही आरबीआई ने एक और बड़ा फैसला यह भी लिया है कि अब रिजर्व गोल्ड की बड़ी मात्रा को देश के अंदर ही रखा जाएगा। विदेशों में रखा सोना भी भारत लाया जाएगा। 100 टन सोना जो भारत लाया गया है, वह बैंक ऑफ इंग्लैंड में रखा गया था। ज्यादातर देश लंदन में ही सोना रिजर्व में रखते हैं।
ऐसे में एक विशेष विमान के जरिए 100 टन सोना लंदन से भारत लाया गया। आरबीआई के आधे से अधिक गोल्ड भंडार विदेश में बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट्स के पास सुरक्षित रखे गए हैं।
कब और क्यों रखा गया था विदेश में सोना
साल 1991 में चंद्रशेखर सरकार ने गोल्ड को गिरवी रखा था। फिर, 4 से 18 जुलाई 1991 के बीच आरबीआई ने 400 मिलियन डॉलर जुटाने के लिए बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक ऑफ जापान के पास 46.91 टन सोना गिरवी रखा था। यानी 1991 में आर्थिक संकट से निपटने के मकसद से नरसिम्हा राव की सरकार ने इतनी बड़ी मात्रा में सोना गिरवी रखा था।
2009 में मनमोहन सिंह की सरकार ने आईएमएफ (अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष) से 6.7 अरब डॉलर की कीमत पर 200 टन सोने की खरीदी की थी। हाल के वर्षों में आरबीआई के द्वारा खरीदे गए सोने के स्टॉक में लगातार वृद्धि होती रही।
देश का आधा भारत और आधा विदेश में था सोना
आरबीआई के पास कुल सोना 822.10 टन है। जिसमें से आरबीआई के पास 100 टन सोना है, नोट छापने के लिए रिजर्व सोना 308 टन है और 414 टन सोना विदेशों में रखा गया है।
हाल के सालों में आरबीआई का भरोसा गोल्ड पर बढ़ा है। 2022-23 में आरबीआई ने 34.3 टन गोल्ड की खरीदी की। जबकि, 2023-24 में 27.7 टन सोने की खरीदी की गई।
गोल्ड रिजर्व देश में नौवें स्थान पर है भारत
दुनिया के सबसे ज्यादा गोल्ड रिजर्व वाले देशों की सूची देखें तो इसमें अमेरिका के पास सबसे ज्यादा 8,134 टन, जर्मनी के पास 3,352 टन, इटली के पास 2,452 टन, फ्रांस के पास 2,437 टन, रूस के पास 2,333 टन और भारत के पास 822 टन सोना रिजर्व में है।
यानी दुनिया में भारत का गोल्ड रिजर्व रखने वाले देशों की सूची में स्थान नौवां है।
सोना भारत वापस लाने का अर्थव्यवस्था पर नहीं पड़ेगा कोई असर-पी चिदंबरम
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा ब्रिटेन के बैंक में रखे अपने करीब 100 टन सोने को भारत लाने से भारतीय अर्थव्यवस्था पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि विदेश में रखे सोने को देश में वापस लाने में कुछ भी गलत नहीं है।
जब उनसे पूछा गया कि आरबीआई के इस कदम से अर्थव्यवस्था को किस तरह मदद मिलेगी, तो उन्होंने कहा,”लंदन की तिजोरी से वापस भारत की तिजोरी में सोना लाने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा।”
सोना वापस लाने पर संजीव सान्याल ने क्या कहा
उधर, प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य अर्थशास्त्री संजीव सान्याल ने कहा कि, अधिकांश देश अपना सोना बैंक ऑफ इंग्लैंड या ऐसे अन्य स्थानों पर रखते हैं और इसके लिए शुल्क अदा करते हैं।
सान्याल के हवाले से एक रिपोर्ट में कहा गया है, “भारत अब अपना ज़्यादातर सोना अपनी तिजोरियों में रखेगा। 1991 में संकट के बीच हमें रातों-रात सोना बाहर भेजना पड़ा था, तब से हम बहुत आगे बढ़ चुके हैं।” उनके अनुसार, 1990-91 में सोना बाहर भेजना हमारी विफलता थी, जिसे हम कभी नहीं भूलेंगे।
संजीव सान्याल ने आगे कहा, इसलिए सोने को वापस लाने का एक विशेष अर्थ है। 1991 में, देश गंभीर रूप से विदेशी मुद्रा के संकट था। हमारे पास जरूरी वस्तुओं के आयात के लिए पैसे नहीं थे। तत्कालीन चंद्रशेखर सरकार ने धन जुटाने के लिए सोना गिरवी रख दिया था।
सोशल मीडिया पर खूब हो रही है इसकी चर्चा
रिजर्व बैंक और सरकार के इस कदम की सोशल मीडिया पर खूब सराहना हो रही है। लोग सोशल मीडिया पर यह तक लिख रहे हैं कि जो काम देश की पहले की सरकारें नहीं कर पाई, वह काम नरेंद्र मोदी की सरकार ने कर दिखाया। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर देश की इस उपलब्धि और सरकार के प्रयासों की जमकर सराहना की जा रही है।
लोग लिख रहे हैं कि पूरा देश चुनाव में व्यस्त है, इस बीच आरबीआई ने अपना 100 टन सोने का भंडार ब्रिटेन से भारत वापस स्थानांतरित कर दिया है। अधिकांश देश अपना सोना बैंक ऑफ इंग्लैंड या ऐसे किसी स्थान पर सुरक्षित रखते हैं और इसके लिए शुल्क का भुगतान करते हैं।
इसके साथ ही लोग लिख रहे हैं कि भारत अब अपना अधिकांश सोना अपनी तिजोरियों में रखेगा। 1991 में जब हमें संकट के समय में अपना सोना रातों-रात विदेश भेजना पड़ा था, तब से हम एक लंबा सफर तय कर चुके हैं।
पीएम मोदी के शासनकाल में गोल्ड रिजर्व में बढ़ोतरी-सोशल मीडिया
लोग सोशल मीडिया पर यह भी लिख रहे हैं कि आरबीआई का गोल्ड रिजर्व 2014 में 557 टन था, जो 2024 में 822 टन हो गया है। यानी 10 साल के पीएम मोदी के शासनकाल में देश के गोल्ड रिजर्व में 53% की वृद्धि हुई है।
साथ ही लोग लिख रहे हैं कि मोदी सरकार ने 265 टन सोना इस दौरान खरीदा है। वहीं, लोग प्रतिक्रिया देते हुए यह भी लिख रहे हैं कि कभी देश की अर्थव्यवस्था को ठीक रखने के लिए सरकारें सोना गिरवी रखती थी, अब देश के अपने ही भंडार में सोना शिफ्ट हो रहा है।
समाचार एजेंसी आईएएनएस के इनपुट के साथ