ओटावाः कनाडा से भारी संख्या में भारतीय नागरिक जबरन बाहर निकाले जा रहे हैं। इस साल इसकी संख्या रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने वाली है। यह साल 2024 के आंकड़े को पार कर जाएगी और 2019 के आंकड़े से और आगे की ओर बढ़ती रहेगी।
बीते कुछ वर्षों में कनाडा से निकाले गए भारतीयों की संख्या लगातार बढ़ रही है। मिसाल के तौर पर 2019 में यह संख्या 655 थी जो 2024 में निकाले गए भारतीयों की संख्या का एक तिहाई से भी कम है।
कनाडाई सीमा सेवा एजेंसी (सीबीएसए) के आंकड़ों के मुताबिक, 28 जुलाई 2025 तक हटाए गए भारतीय नागरिकों की संख्या 1,891 थी। कनाडा से निकाले गए सर्वाधिक नागरिकों की संख्या के मामले में भारत इस वर्ष दूसरे स्थान पर है। पहले स्थान पर मैक्सिको है जहां 28 जुलाई तक 2,678 लोगों को जबरन निकाला गया है।
बीते साल कनाडा के प्राधिकारियों द्वारा 1,997 भारतीयों को जबरन निकाला गया था। यह संख्या मैक्सिको के नागरिकों के बाद दूसरे स्थान पर थी। इस साल मैक्सिको के 3,683 लोग बाहर निकाले गए थे। वहीं, तीसरे स्थान पर कोलंबियाई नागरिकों का समूह है। इनकी संख्या 981 से अधिक थी।
कनाडा से भारतीयों को क्यों निकाला जा रहा है?
कनाडाई प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने इस हफ्ते की शुरुआत में पत्रकारों के उस सवाल का जवाब हां में दिया था जिसमें उससे पूछा गया था कि क्या उनकी सरकार विदेशी अपराधियों को निर्वासित करने पर ध्यान केंद्रित करेगी।
उसके जवाब में उन्होंने कहा था कि इसका उत्तर हां है। कार्नी ने कहा कि इसे और तेज बनाने, बेहतर संसाधनों के साथ तथा ट्रैकिंग में सुधार की योजना है।
कार्नी ने आगे कहा कि यह उन व्यापक सुधारों का हिस्सा है जो हम कनाडा में आव्रजन प्रणाली में कर रहे हैं। यह प्रश्न शरण चाहने वालों के साथ-साथ अस्थायी निवासी परमिट पर रहने वालों से भी संबंधित थी।
कनाडाई सरकार द्वारा निष्कासन में यह वृद्धि देश में बढ़ती आप्रवासन विरोधी भावना के बीच हुई है। इस संबंध में 10 अक्टूबर को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई थी। इस विज्ञप्ति में पील क्षेत्रीय पुलिस या पीआरपी ने पहली बार कहा कि वह “पील क्राउन अटॉर्नी कार्यालय और कनाडा सीमा सेवा एजेंसी के साथ सक्रिय रूप से जुड़ा हुआ है जो यह निर्धारित करेगा कि कनाडा से आरोपी विदेशी नागरिकों को निकालने का मामला न्यायिक प्रक्रिया के हिस्से के रूप में आगे बढ़ाया जा सकता है या नहीं।”
यह मामला 450 डाक की कथित चोरी से जुड़े आठ लोगों की गिरफ्तारी के संबंध में था। इसकी कुल कीमत CA$400,000 से अधिक थी।
इस मामले में गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान सुमनप्रीत सिंह, गुरदीप चट्ठा, जश्नदीप जट्टाना, हरमन सिंह, जसनप्रीत सिंह, मनरूप सिंह, राजबीर सिंह और उपिंदरजीत सिंह के रूप में हुई। इन लोगों पर कुल मिलाकर 344 आरोप हैं।
कनाडा में चल रहे निष्कासनों की सूची में भारत पहले पायदान पर है। वहीं, मैक्सिको दूसरे और संयुक्त राज्य अमेरिका तीसरे स्थान पर है। भारतीयों की कुल संख्या 6,837, मैक्सिको के नागरिकों की संख्या 5,170 और यूएसए के 1,734 नागरिक हैं।
30,733 लोगों में से 27,103 शरणार्थी दावेदार थे। शरण चाहने वालों में भारतीयों की संख्या सर्वाधिक है।