श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर को बुधवार को नई सरकार मिल गई है। नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की मौजूदगी में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इसके अलावा सुरिंदर चौधरी ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली है, जिनकी चर्चा खूब हो रही है। सुरिंदर चौधरी एक साल पहले ही भाजपा छोड़ नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) से जुड़े थे। भाजपा से पहले भी चौधरी कई पार्टियों में रह चुके हैं।
जम्मू के नौशेरा से विधायक बने हैं सुरिंदर चौधरी
नेशनल कॉन्फ्रेंस द्वारा सुरिंदर चौधरी को डिप्टी सीएम बनाने का फैसला कुछ मायनों में खास है। दरअसल 2002, 2008 और फिर 2014 के चुनाव के बाद जब-जब सरकार बनी है, एक उपमुख्यमंत्री हिंदू बहुल माने जाने वाले जम्मू क्षेत्र से रहा है। इन पुरानी सरकारों में हमेशा गठबंधन की नौबत आई और जम्मू के विधायकों का समर्थन जरूरी होता था, इसलिए इसे सरकार गठन में नजरअंदाज करना मुश्किल होता था।
इस बार हालांकि इसकी संभावना कम लग रही थी कि जम्मू से कोई डिप्टी सीएम होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि जम्मू क्षेत्र में भाजपा का दबदबा नजर आया और यहां से नेशनल कॉन्फ्रेंस को एकमात्र सीट सुरिंदर चौधरी की बदौलत आई। खास बात ये भी है कि सुरिंदर चौधरी ने नौशेरा विधानसभा सीट पर जम्मू-कश्मीर भाजपा के अध्यक्ष रवींदर रैना को मात दी थी।
उमर ने शपथ ग्रहण के बाद पत्रकारों से कहा, ‘मैंने कहा था कि हम जम्मू को यह महसूस नहीं होने देंगे कि इस सरकार में उनकी कोई आवाज या प्रतिनिधि नहीं है। मैंने जम्मू से एक डिप्टी सीएम चुना है ताकि जम्मू के लोगों को लगे कि यह सरकार उतनी ही उनकी है जितनी बाकी लोगों की है।’
साल भर पहले भाजपा से अलग हुए थे सुरिंदर चौधरी
दिलचस्प बात ये भी है कि 56 साल चौधरी ने रवींदर रैना पर ही ‘परिवारवाद को बढ़ावा देने’ और ‘भ्रष्टाचार’ का आरोप लगाते हुए भाजपा छोड़ दी थी। अपने सोशल मीडिया हैंडल पर उन्होंने उस समय लिखा था, ‘गुड बाय बीजेपी… रविंदर रैना आप अपने परिवारवाद और भ्रष्टाचार का आनंद लीजिए।’
चौधरी जब पिछले साल एनसी में शामिल हुए तो यह एक साल के भीतर उन्होंने दूसरी बार पार्टी बदला था। इससे पहले उन्होंने अप्रैल-2022 में पीडीपी महासचिव के पद से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थामा थे। उस समय चौधरी ने नौशेरा और सुंदरबनी को दो अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में विभाजित करने वाले परिसीमन पैनल के लिए भाजपा के प्रति जनता के ‘प्यार’ और ‘स्नेह’ को कारण बताया था।
2009 में लड़ा पहला विधानसभा चुनाव
राजनीति में आने से पहले चौधरी जम्मू में शेर-ए-कश्मीर कृषि विश्वविद्यालय में एक कर्मचारी थे। यहां उन्होंने एनसी के मजदूर संघ की एक इकाई का नेतृत्व किया था।
चौधरी की पहली पार्टी बसपा थी। उन्होंने 2009 में नौशेरा से अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ा, जिसमें 12,000 वोट मिले। 2014 में अगले विधानसभा चुनाव के समय वे नौशेरा से पीडीपी के उम्मीदवार थे। उन्हें तब भाजपा के रविंदर रैना से लगभग 10,000 वोटों से हार मिली थी। पीडीपी में शामिल होने के बाद उन्हें एमएलसी बना दिया गया था।
बहरहाल, 2024 के विधानसभा चुनावों से पहले उन्होंने पहले पीडीपी और फिर भाजपा छोड़ दी। एनसी उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में उतरे और रैना को 7,819 वोटों से हराया।
जम्मू-कश्मीर की नई सरकार में ये भी बने मंत्री
बहरहाल, सीएम उमर अब्दुल्ला और डिप्टी सीएम चौधरी के अलावा सकीना इट्टू और जावेद राणा ने भी मंत्री पद की शपथ ली। शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, केसी वेणुगोपाल, सुप्रिया सुले, समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव समेत इंडिया गठबंधन के कई नेता शामिल हुए।
केंद्र शासित प्रदेश में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव हुए थे। कांग्रेस पार्टी ने उमर अब्दुल्ला की सरकार को बाहर से समर्थन देने का फैसला किया है। जबकि दोनों पार्टियों ने गठबंधन का ऐलान चुनाव से पहले किया था। कांग्रेस नई सरकार में शामिल नहीं है।
जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख तारिक हमीद कर्रा ने बताया कि कांग्रेस फिलहाल जम्मू-कश्मीर सरकार में मंत्रालय में शामिल नहीं हो रही है। जम्मू-कश्मीर में लगभग 10 साल बाद हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन ने जीत हासिल की। राज्य में 90 सीटों पर हुए चुनावों में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 42 और कांग्रेस पार्टी ने 6 सीटों पर जीत दर्ज की थी। भाजपा ने 20 सीटें हासिल की।
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