मुंबई: भारतीय महिला क्रिकेट टीम के पहली बार वर्ल्ड कप खिताब जीतने की एक वजह शेफाली वर्मा का दमदार प्रदर्शन भी रहा। इसमें सबसे दिलचस्प बात ये रही कि शेफाली को इस टूर्नामेंट (वर्ल्ड कप) के लिए भारतीय टीम में शामिल भी नहीं किया गया था। 21 साल की शेफाली को अचानक ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल से पहले प्रतीका रावल की जगह टीम में शामिल किया गया।
ऐसा इसलिए कि प्रतीका रावल टखने की चोट के कारण टूर्नामेंट से बाहर हो गई थीं। प्रतीका जब चोटिल हुई तो उस समय शेफाली घरेलू टी20 सीरीज में खेल रही थीं। ऐसे में उनके पास अचानक टीम इंडिया में शामिल होने के लिए कॉल गया, और इसके बाद जो हुआ वो इतिहास बन गया।
शेफाली टीम में आईं और वर्ल्ड कप फाइनल में दमदार प्रदर्शन के बाद ‘प्लेयर ऑफ द मैच’ चुनी गईं। उन्होंने न केवल 87 रनों की दमदार और नया रिकॉर्ड कायम करने वाली पारी खेली बल्कि दो विकेट भी झटके।
शेफाली की बल्लेबाजी ने रखी मजबूत नींव
भारत की सलामी बल्लेबाज शेफाली वर्मा ने महिला विश्व कप फाइनल में भारतीय टीम के लिए 78 गेंदों पर 87 रनों की पारी खेली। इस तरह वे वर्ल्ड कप फाइनल में भारत की ओर से सबसे बड़ी पारी खेलने वाली खिलाड़ी बनीं। उन्होंने 2017 के फ़ाइनल में इंग्लैंड के खिलाफ पूनम राउत के 86 रनों के रिकॉर्ड को तोड़ा। भारत वो फाइनल हार गया था।
बहरहाल, शेफाली की पारी ने भारत के मजबूत स्कोर की नींव रखी। जबकि दीप्ति शर्मा (58) और ऋचा घोष (34) के अहम योगदान की बदौलत भारतीय नवी मुंबई के डीवाई पाटिल स्टेडियम में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ फाइनल में पहले बल्लेबाजी करते हुए 298 का स्कोर बनाने में सफल रही। बहरहाल, बल्लेबाजी में शेफाली शतक से जरूर चूक गईं लेकिन फिर उन्होंने गेंदबाजी में कमाल किया। उन्होंने 7 ओवर में 36 रन देते हुए दो अहम विकेट भी निकाले।
शेफाली वर्मा एक साल से थीं टीम से बाहर
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल मैच से पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस में शेफाली ने कहा था, ‘जाहिर है, एक खिलाड़ी के तौर पर प्रतीका के साथ जो हुआ, उसे देखकर अच्छा नहीं लगता। कोई नहीं चाहता कि कोई खिलाड़ी ऐसी चोट से गुजरे। लेकिन मेरा मानना है कि भगवान ने मुझे यहाँ कुछ अच्छा करने के लिए भेजा है। मेरे पिता, मेरा परिवार – सभी बहुत खुश थे। मैं भी टीम में वापस आकर बहुत खुश हूँ। यह मेरे लिए बहुत अच्छा मौका है, और अगर मुझे खेलने का मौका मिला, तो मैं अपना सर्वश्रेष्ठ दूँगी।’
बता दें कि सेमीफाइनल में प्रतीका रावल की जगह आने से पहले शेफाली ने भारत के लिए आखिरी वनडे पिछले साल अक्टूबर में न्यूजीलैंड के खिलाफ खेला था। सेमीफाइनल में वह ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चार गेंदों में सिर्फ 10 रन ही बना सकी थीं।
रोहतक की हैं शेफाली…सचिन तेंदुलकर की बड़ी फैन
हरियाणा के रोहतक में 28 जनवरी 2004 को जन्मीं शेफाली वर्मा अपनी आक्रामक बल्लेबाजी के लिए जानी जाती हैं। उनके पिता संजीव वर्मा की एक छोटी सी ज्वेलरी की दुकान रही है और शेफाली के क्रिकेट खेलने के सपने को पूरा करने में उनकी बड़ी भूमिका रही है। शेफाली को बचपन से ही क्रिकेट के प्रति असाधारण उत्साह रहा है। यहाँ तक कि अपने गृहनगर और उसके आसपास लड़कियों के लिए कम अवसरों के कारण, वह लड़कों के साथ इसे खेला करती थीं।
शेफाली ने सितंबर 2019 में भारत के लिए पदार्पण किया, जब वह केवल 15 साल की थीं। इसी के साथ वे टी20 इंटरनेशनल में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली सबसे कम उम्र की खिलाड़ियों में से एक बन गईं थी।
शीर्ष क्रम में एक विस्फोटक बल्लेबाज के रूप में उन्होंने अपनी पहचान जल्द ही बना ली। उनकी तुलना वीरेंद्र सहवाग की बल्लेबाजी से होने लगी थी। बाद में उन्हें खेल के तीनों प्रारूपों में खेलने का मौका मिला। शेफाली सचिन तेंदुलकर की भी फैन रही हैं और इसका जिक्र वे अक्सर करती रही हैं। फाइनल मैच की जीत के बाद भी जब उन्हे प्लेयर ऑफ द मैच का अवॉर्ड तो मिला तो उन्होंने सचिन तेंदुलकर से मिलने वाली प्रेरणा का जिक्र किया।
शेफाली का कैसा रहा है क्रिकेट करियर?
शेफाली के क्रिकेट करियर की बात करें तो उन्होंने भारत के लिए 5 टेस्ट, 31 वनडे और 90 टी20 मैच खेले हैं। 31 वनडे में उनके नाम 741 रन हैं। वहीं, टी20 में उनके बल्ले से 89 पारियों में 2221 रन निकले हैं। टेस्ट में 10 पारियों में उनके नाम 567 रन हैं।
इस साल पाँच टी20 इंटरनेशनल मैचों में शेफाली ने दमदार प्रदर्शन किया है। उन्होंने पाँच पारियों में 35.20 की औसत और 158 से ज्यादा के स्ट्राइक रेट से 176 रन बनाए हैं। दिल्ली कैपिटल्स (DC) के साथ खेलते हुए महिला प्रीमियर लीग (WPL) सीजन में भी उनका प्रदर्शन शानदार रहा है, जहाँ उन्होंने 9 पारियों में 38.00 की औसत से 304 रन बनाए, जिसमें उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 80 नाबाद रहा है।

