नई दिल्ली: न्यायमूर्ति संजीव खन्ना भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) नियुक्त किए गए हैं। गुरुवार को कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इसकी जानकारी दी है।
65 साल पूरे होने के बाद न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ अगले महीने नवंबर में रिटायर होने वाले हैं। वे आठ नवंबर 2022 को सीजेआई नियुक्त हुए थे। डी.वाई. चंद्रचूड़ के सेवानिवृत होने के बाद 11 नवंबर को न्यायमूर्ति संजीव खन्ना मुख्य न्यायाधीश का पद संभालेंगे।
केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है, “भारत के संविधान के अनुच्छेद 124 के खंड (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव खन्ना को 11 नवंबर 2024 से भारत का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करते हैं।”
न्यायमूर्ति खन्ना का सीजेआई के रूप में उनका कार्यकाल छह महीने का होगा। वे 13 मई 2025 तक इस पद पर बने रहेंगे।
अगले सीजेआई के रूप में न्यायमूर्ति खन्ना के नाम का ऐलान करते हुए कानून मंत्री मेघवाल ने एक्स पर लिखा, “भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त शक्ति का प्रयोग करते हुए माननीय राष्ट्रपति ने भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश के परामर्श के बाद, भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना को 11 नवंबर, 2024 से भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया।”
In exercise of the power conferred by the Constitution of India, Hon’ble President, after consultation with Hon’ble Chief Justice of India, is pleased to appoint Shri Justice Sanjiv Khanna, Judge of the Supreme Court of India as Chief Justice of India with effect from 11th…
— Arjun Ram Meghwal (@arjunrammeghwal) October 24, 2024
कौन हैं न्यायमूर्ति संजीव खन्ना?
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का जन्म मई 1960 में हुआ था और इन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के कैंपस लॉ सेंटर से कानून की डिग्री हासिल की है। वे प्रसिद्ध जज जस्टिस हंस राज खन्ना के भतीजे भी हैं।
संजीव खन्ना ने अपना कानूनी करियर साल 1983 में शुरू किया था। उन्होंने दिल्ली बार काउंसिल में एक वकील के तौर पर इनरोल किया था। न्यायमूर्ति खन्ना को आपराधिक, सिविल, टैक्स और संवैधानिक कानूनों का एक्सपर्ट माना जाता है।
अपने करियर के दौरान उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट के अलावा अन्य अदालतों में भी प्रैक्टिस किया है। वे साल 2005 में दिल्ली हाई कोर्ट के जज बने थे और साल 2006 में वहां के स्थायी न्यायाधीश नियुक्त हुए थे। करीब 14 साल तक उन्होंने यहां प्रैक्टिस किया था। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना जनवरी 2019 को सुप्रीम कोर्ट के जज बनाए गए थे।
अपने पूरे करियर के दौरान उन्होंने दिल्ली न्यायिक अकादमी और दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र सहित कई कानूनी संस्थानों की अध्यक्षता भी की है। वर्तमान में वह राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष और राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी, भोपाल के शासी परिषद के सदस्य हैं।
न्यायमूर्ति खन्ना के कुछ अहम फैसले
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना अपने अब तक के कार्यकाल में सुप्रीम कोर्ट में बड़े-बड़े फैसले दिए हैं। उन्होंने साल 2019 में एक फैसला सुनाया था जिसमें भारत के मुख्य न्यायाधीश के कार्यालय को आरटीआई अनुरोधों के अधीन होने की अनुमति दी गई थी।
जस्टिस संजीव खन्ना साल 2023 के उस ऐतिहासिक फैसले में भी भाग लिया था जिसने केंद्र सरकार के साल 2019 के फैसले को बरकरार रखा था। केंद्र सरकार ने साल 2019 में संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया था जिससे जम्मू और कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त हो गया था।
साल 2023 में न्यायमूर्ति खन्ना ने एक और फैसला सुनाया था जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर किसी शादी को जारी रखना असंभव होता जा रहा है तो इस केस में अनुच्छेद 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट अपनी विशेष शक्ति का इस्तेमाल कर तलाक का आदेश दे सकता है।
2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी थी। यही नहीं आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया को भी इन्होंने ही बेल दिया था।
बेल देते समय न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा था कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) जैसे सख्त कानून में भी मुकदमे में देरी और लंबे समय से जेल में बंद रहने के कारण किसी को भी जमानत दिया जा सकता है।
न्यायमूर्ति खन्ना ने वीवीपीएटी और ईवीएम को लेकर भी फैसला सुनाया था। उन्होंने VVPAT और EVM के 100 प्रतिशत मिलान वाली याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि चुनाव आयोग के मौजूदा सुरक्षा उपाय पर्याप्त हैं।
जस्टिस खन्ना साल 2024 में चुनावी फंडिंग में पारदर्शिता के महत्व पर जोर देते हुए इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़े मामले में भी फैसला सुनाने वाले बेंच के सदस्य थे। इस बेंच ने चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक घोषित किया था।