नई दिल्ली: अमेरिका के मेक्सिको में बर्ड फ्लू के कारण पहला मौत का मामला सामने आया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बुधवार को इसकी पुष्टि करते हुए कहा है कि शख्स की मौत बर्ड फ्लू के स्ट्रेन एच5एन2 के कारण हुई है।
यह स्ट्रेन इससे पहले लोगों में नहीं पाया गया है और इस कारण यह पहली मौत भी है। बता दें कि बर्ड फ्लू के कई स्ट्रेन पाए जाते हैं लेकिन पिछले कुछ सालों में केवल पांच ही स्ट्रेन काफी प्रभावित रहे हैं।
इन में एच5एन1, एच7एन9, एच5एन6 और एच5एन8 काफी ज्यादा प्रभावित रही है और अब एच5एन2 स्ट्रेन के कारण मौत की भी पुष्टि हुई है। हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यह नहीं बताया है कि वह शख्श कैसे संक्रमित हुआ है।
H5N2 बर्ड फ्लू के कारण दुनिया में हुई पहली इंसानी मौत
डब्ल्यूएचओ प्रेस रिलीज के अनुसार, बर्ड फ्लू के कारण मरने वाला शख्स संक्रमित होने से पहले कई बीमारियों से भी पीड़ित था और बहुत दिनों से वह बिस्तर पर था। उसे पहले से क्रोनिक किडनी फेलियर, मधुमेह और हाई ब्लड प्रेशर जैसे बीमारियां भी थी।
उसने 17 अप्रैल को बुखार, सांस लेने में तकलीफ, दस्त, मतली और सामान्य बेचैनी की शिकायत की थी। इसके बाद 24 अप्रैल को उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था और इलाज के दौरान उसी दिन उसकी मौत हो गई थी।
एच5एन2 एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस का एक उपप्रकार का वायरस है जो मुख्य रूप से पक्षियों, विशेषकर पोल्ट्री को प्रभावित करता है। ऐसे में बर्ड फ्लू के कारण जिस शख्स की मौत हुई है वह कथित तौर पर पोल्ट्री या अन्य जानवरों के संपर्क में नहीं था। यही नहीं पीड़ित शख्स के पोल्ट्री या अन्य जानवरों के संपर्क में रहने का कोई इतिहास भी नहीं था।
पूरी दुनिया में यह है पहला मामला
विश्व स्वास्थ्य संगठन की अगर माने तो यह पहली बार है जब दुनिया में इन्फ्लूएंजा ए (एच5एन2) वायरस से किसी इंसान के संक्रमित होने की पुष्टि हुई है। बता दें कि अमेरिका में पहले जो बर्ड फ्लू के कारण मौत हुई है उन में अलग स्ट्रैन था और अब जो उस शख्स की मौत हुई है उसमें अलग स्ट्रैन के पाए जाने की बात सामने आई है।
इसी साल अमेरिका के डेयरी झुंडों में बर्ड फ्लू के स्ट्रेन एच5एन1 पाए गए थे। इसकी पुष्टि तीन डेयरी कर्मचारियों ने भी की थी।
कैसे फैलता है बर्ड फ्लू का स्ट्रेन एच5एन2
बर्ड फ्लू का स्ट्रेन एच5एन2 एक प्रकार का वायरस है जो मुख्य रूप से पक्षियों, खासकर मुर्गियों को प्रभावित करता है। यह वायरस पक्षियों में काफी तेजी से फैलता है और यह गंभीर श्वसन रोग और उच्च मृत्यु दर का कारण बनता है। इस वायरस का लोगों में संक्रमण दुर्लभ है और और आमतौर पर संक्रमित पक्षियों या दूषित वातावरण के सीधे संपर्क से होता है।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, जानवरों के इन्फ्लूएंजा वायरस को लेकर यह देखा गया है कि ये जानवरों में फैलते हैं जो लोगों को भी संक्रमित कर सकते हैं। संक्रमित जानवरों या दूषित वातावरण के सीधे संपर्क में आने से यह वायरस लोगों को भी संक्रमित कर सकते हैं। हालांकि इस लक्षण के कारण हुई मौत को लेकर अभी भी जांच की जा रही है।
एच5एन2 के कारण हो सकती हैं गंभीर श्वसन समस्याएं
जिन लोगों में एच5एन2 वायरस पाया गया है उनमें हल्के से लेकर गंभीर श्वसन समस्याएं देखने को मिल सकती है जो जानलेवा भी साबित हो सकती है। इन समस्याओं में बुखार, खांसी, गले में खराश और कभी-कभी गंभीर श्वसन समस्याएं भी हो सकती है।
इन के अलावा नेत्रश्लेष्मलाशोथ (कंजंक्टिवाइटिस), जठरांत्र संबंधी समस्याएं, एन्सेफलाइटिस और एन्सेफालोपैथी भी शामिल हो सकते हैं। इन स्ट्रेन में खासकर एच5एन1 और एच7एन9 समस्या भी हो सकती है।
भारत में भी बर्ड फ्लू के कई केस आए हैं सामने
भारत में अप्रैल और मई में बर्ड फ्लू के कई केस सामने आ चुके हैं। भारत के चार राज्यों में बर्ड फ्लू के मामलों का खुलासा हुआ था। देश में आंध्र प्रदेश (नेल्लोर जिला), महाराष्ट्र (नागपुर जिला), झारखंड (रांची जिला) और केरल (अलपुझा, कोट्टायम और पथानामथिट्टा जिले) में मामले सामने आ चुके है।
रांची में 15 मई को कई पक्षियों के मौत के बाद उनके सैंपल को “नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाई सिक्योरिटीज एनिमल डिजिज” जांच के लिए भेजा गया था। इसके बाद 20 मई को एक रिपोर्ट सामने आई थी जिसमें बर्ड फ्लू के मामले की पुष्टि हुई थी।
बता दें कि रांची में मई में जो मामले सामने उससे पहले यहां के खेलगांव इलाके के होटवार स्थित क्षेत्रीय कुक्कुट प्रक्षेत्र में 12-13 अप्रैल को दो दर्जन चूजों की मौत के बाद भी यहां पर बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई थी।