नई दिल्लीः अमेरिका ने यूक्रेन में जारी युद्ध में रूस की सहायता के आरोप में करीब 400 कंपनियों और व्यक्तियों पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं, जिनमें 19 भारतीय कंपनियां और दो भारतीय नागरिक शामिल हैं। 30 अक्टूबर को लगाए गए इन प्रतिबंधों का उद्देश्य रूस की युद्ध में सहायता करने वाली आपूर्ति श्रृंखलाओं को तोड़ना है।
अमेरिकी वित्त विभाग ने भारत के साथ-साथ चीन, थाईलैंड, तुर्की, और संयुक्त अरब अमीरात सहित अन्य देशों की कंपनियों को भी निशाने पर लिया है। अमेरिका का आरोप है कि ये कंपनियां रूस को माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स और कंप्यूटर न्यूमेरिकल कंट्रोल (सीएनसी) उपकरण जैसे अत्यावश्यक संसाधन प्रदान कर रही हैं, जिनका उपयोग रूस अपने सैन्य उपकरणों में कर रहा है।
अमेरिका की कड़ी चेतावनी
अमेरिकी वित्त विभाग के उप सचिव वाली एडेयेमो ने कहा कि अमेरिका और उसके सहयोगी विश्वभर में निर्णायक कदम उठा रहे हैं ताकि रूस को यूक्रेन के खिलाफ अपने अवैध युद्ध में मदद करने वाले संसाधनों की आपूर्ति रोकी जा सके। एडेयेमो ने कहा, “हम रूस की युद्ध मशीन को कमजोर करने और उन लोगों पर कड़ी कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध हैं जो हमारे प्रतिबंधों को दरकिनार कर रूस की सहायता कर रहे हैं।”
किन 19 कंपनियों पर अमेरिका ने लगाया प्रतिबंध
अमेरिका ने जिन कंपनियों की सूची तैयार की है उसमें चार भारतीय कंपनियों के खिलाफ लगे आरोपों के विवरण दिए गए हैं। अमेरिका ने इन भारतीय कंपनियों पर उन्नत तकनीक, माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स और सीएनसी (कंप्यूटर न्यूमेरिकल कंट्रोल) उपकरणों जैसे उच्च प्राथमिकता वाले उत्पादों की आपूर्ति करने का आरोप लगाया है। इनमें दिल्ली स्थित एसेंड एविएशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, मास्क ट्रांस, टीएसएमडी ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड और फुट्रेवो कंपनी प्रमुख हैं।
आरोप है कि एसेंड एविएशन ने मार्च 2023 से 2024 के बीच रूस को करीब 1.7 करोड़ रुपये की सामग्री भेजी, जबकि मास्क ट्रांस ने 2.5 करोड़ रुपये मूल्य के एविएशन से जुड़े उत्पादों की आपूर्ति की। टीएसएमडी ग्लोबल और फुट्रेवो ने क्रमशः 3.6 करोड़ रुपये और 12 करोड़ रुपये के इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और अन्य सामान रूस को भेजे।
इसके अलावा, अमेरिका ने 15 अन्य भारतीय कंपनियों- अबहार टेक्नोलॉजीज एंड सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, डेनवास सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, ईएमएसवाई टेक, गैलेक्सी बियरिंग्स लिमिटेड, इनोवियो वेंचर्स, केडीजी इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड, खुशबू ऑनिंग प्राइवेट लिमिटेड, लोकेश मशीन्स लिमिटेड, ऑर्बिट फिनट्रेड एलएलपी, पॉइंटर इलेक्ट्रॉनिक्स, आरआरजी इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड, शार्पलाइन ऑटोमेशन प्राइवेट लिमिटेड, शौर्य एयरोनॉटिक्स प्राइवेट लिमिटेड, श्रीजी इम्पेक्स प्राइवेट लिमिटेड, श्रेया लाइफ साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड को भी प्रतिबंधित किया है।
इन कंपनियों पर रूस को कॉमन हाई प्रायोरिटी लिस्ट (सीएचपीए) उपकरणों की आपूर्ति कर उसकी रक्षा प्रणाली को मजबूत करने का आरोप है। इसके साथ ही अमेरिका ने दो भारतीय व्यक्तियों, विवेक कुमार मिश्रा और सुधीर कुमार को भी बैन कर दिया है। ये एसेंड एविएशन के सह-निदेशक हैं। एसेंड एविएशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी मार्च, 2017 में बनी थी। इसकी वेबसाइट के मुताबिक यह कंपनी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विमानन उद्योग के लिए स्पेयर पार्ट्स के साथ-साथ लुब्रिकेंट सप्लाई करने का काम करती है।
चीन पर विशेष फोकस
अमेरिकी वित्त विभाग ने चीन पर भी आरोप लगाया कि वह रूस को कई जरूरी दोहरे उपयोग वाली वस्तुएं निर्यात कर रहा है, जिससे रूस अपने रक्षा उत्पादन को मजबूत कर रहा है। इसके लिए कई चीनी कंपनियों को भी प्रतिबंधित किया गया है जो सीएनसी उपकरण और माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स का उत्पादन करती हैं। यह कार्रवाई रूस के समर्थन में संलिप्त बैकचैनल्स और प्रतिबंधों को दरकिनार करने वाले नेटवर्क्स को बंद करने की दिशा में है।
प्रतिबंधों का भारतीय कानूनों का उल्लंघन नहीं
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारत इस मामले से अवगत है और इसके पास एक मजबूत कानूनी और नियामक ढांचा है जो निरस्त्रीकरण और रणनीतिक व्यापार नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जायसवाल ने स्पष्ट किया कि प्रतिबंधित भारतीय कंपनियों की गतिविधियाँ भारतीय कानूनों का उल्लंघन नहीं करतीं। उन्होंने कहा, “हमारी समझ है कि ये प्रतिबंध भारतीय कानूनों का उल्लंघन नहीं कर रहे हैं। इसके बावजूद, भारत अपने निरस्त्रीकरण मानदंडों के अनुसार संबंधित कंपनियों को निर्यात नियंत्रण प्रावधानों के प्रति जागरूक करने के लिए काम कर रहा है।”
अमेरिका और भारत के बीच बढ़ता तनाव
बता दें अमेरिका-भारत संबंधों में यह तनाव ऐसे समय में सामने आया है जब अमेरिका में सिख अलगाववादी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश में एक भारतीय नागरिक की कथित भूमिका के मामले पर दोनों देशों के बीच विवाद जारी है। अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा था कि पन्नू की हत्या की कोशिश को लेकर जिम्मेदारी तय किए बिना अमेरिका संतुष्ट नहीं होगा।