तेहरान: तेहरान के इस्लामिक आजाद विश्वविद्यालय के कैंपस में कथित ‘इस्लामिक ड्रेस कोड’ के विरोध में एक छात्रा द्वारा अपने कपड़े उतारने को लेकर ईरान के सरकार की पहली आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने आई है।
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, मंगलवार को सरकारी प्रवक्ता फतेमेह मोहजेरानी ने कहा है कि छात्रा को देश की सुरक्षा के लिए खतरा नहीं माना जा रहा है। उन्होंने कहा है कि वे इसे एक सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य मुद्दा मान रहे हैं जिसकी देखरेख की जा रही है।
फतेमेह मोहजेरानी ने कहा है कि हम इस मुद्दे को सुरक्षा की लेंस से नहीं बल्कि सामाजिक लेंस से देख रहे हैं जिसमें एक परेशान शख्स की समस्या को हल करने में उसकी मदद की जा रही है। छात्रा की अभी विश्वविद्यालय में वापसी पर बोलते हुए प्रवक्ता ने कहा है कि यह कहना अभी जल्दीबाजी होगी।
मोहजेरानी आगे कहा है कि उसके पति द्वारा जारी वीडियो से यह पता चलता है कि छात्रा को इलाज की जरूरत है। ऐसे में इस समस्या को हल करने के बाद किसी अगले कदम के बारे में सोचा जाएगा। मीडिया और सोशल मीडिया में छात्रा की पहचान अहू दरयाई के रूप में हुई है।
दावा है कि ईरान के बासिज अर्धसैनिक बल (ईरान का एक तरह का नैतिक पुलिस बल) के सदस्यों ने विश्वविद्यालय में छात्रा को कथित ड्रेस कोड को लेकर परेशान किया था। इसके विरोध में उसने अपने कपड़े उतार दिए थे और कैंपस में अंडरवियर में घूमने लगी थी।
कुछ मीडिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि घटना के बाद छात्रा को सादे कपड़ों में कुछ लोगों द्वारा हिरासत में लिया गया था और उसे अज्ञात लोकेशन पर ले जाया गया है। इसके बाद से छात्रा को देखा नहीं गया है और उसे लेकर कई रिपोर्टों में अलग-अलग दावे किए जा रहे हैं।
अहू दरयाई को लेकर क्या दावे किए जा रहे हैं
न्यूज वेबसाइट एबीसी ने ईरानी अखबार फरहिख्तेगन के टेलीग्राम चैनल का हवाला देते हुए यह दावा किया है कि अहू दरयाई को पहले पुलिस थाने ले जाया गया था। इससे पहले विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि अमीर महजोब ने कहा था कि छात्रा को थाने में गंभीर मानसिक दबाव में पाया गया था।
महजोब के अनुसार, छात्रा दो बच्चों की मां है और वह मानसिक समस्याओं से पीड़ित है। दावा यह भी है कि उसका वह अपने पति से अलग हो गई है।
न्यूज वेवसाइट सीएनएन ने भी महजोब के हवाले से छात्रा के “गंभीर मानसिक दबाव और मानसिक विकार से ग्रस्त” बताया है। अपने बयान में महजोब ने दावा किया है कि विश्वविद्यालय की सुरक्षा टीम ने “छात्रा के अशोभनीय कृत्य के बाद” उसके खिलाफ कार्रवाई की है।
ईरानी अखबार फरहिख्तेगन के हवाले से यह भी कहा गया है कि छात्रा की हालत को देखते हुए उसे मानसिक स्वास्थ्य सुविधा में भर्ती कराया गया है। अखबार के रिपोर्ट के मुताबिक, विश्वविद्यालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि छात्रा के इस कृत्य का “असली मकसद” को लेकर जांच की जा रही है।
यूरोन्यूज ने अन्य समाचार स्रोतों के हवाले से यह दावा किया है कि छात्रा को खुफिया एजेंटों द्वारा हिरासत में लिया गया है और उसे एक अज्ञात लोकेशन पर भेजा गया है। एबीसी का कहना है कि ईरान में इस तरह के लोगों या फिर प्रदर्शनकारियों को “अस्थिर” बताकर उन्हें अक्सर अधिकारियों द्वारा मनोरोग केंद्रों में भर्ती कराया जाता है।
हिजाब विवाद में महसा अमिनी की हुई थी मौत
बता दें कि साल 1979 की क्रांति के बाद ईरान ने देश में कई सख्त कानून लाए थे जिसमें महिलाओं के लिए हिजाब भी अनिवार्य कर दिया गया था। आम नागरिकों समेत कार्यकर्ताओं ने सरकार के अनिवार्य हिजाब जैसे कानून को चुनौती दी थी और सालों से इसे लेकर विरोध प्रदर्शन होते आ रहे हैं।
कुछ विरोधों को सरकार दबाने में कामयाब हुई थी। साल 2022 में भी इसके खिलाफ आवाज उठाई गई थी। हिजाब विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेने और देश के कानून को नहीं मानने के लिए सितंबर 2022 में मोरैलिटी पुलिस ने एक युवा ईरानी महिला महसा अमिनी को हिरासत में लिया था जिसकी बाद में पुलिस हिरासत में मौत भी हो गई थी।
अमिनी को सरकारी मानकों के अनुसार हिजाब नहीं पहनने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उसकी मौत पर सरकार ने दावा किया था कि उसे दिल का दौरा पड़ा था जिससे उसकी मौत हो गई थी। जबकि अमिनी के साथ हिरासत में ली गई अन्य महिलाओं सहित प्रत्यक्षदर्शियों ने दावा किया था कि पुलिस की पिटाई और बर्बरता के चलते उसकी जान गई है।