पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने शनिवार को अपना 98वां जन्मदिन मनाया। जनसंघ और बाद में बीजेपी के अध्यक्ष रहते हुए वे कई बार राजकोट आए थे। 1990 में सोमनाथ मंदिर से शुरू हुई उनकी ऐतिहासिक रथ यात्रा का पहला पड़ाव राजकोट था। उस दौरान उन्होंने जूनागढ़ के नवाब द्वारा बनवाए गए सरदार बाग अतिथिशाला में रात्रि विश्राम किया और अगली सुबह सुरेन्द्रनगर होते हुए अहमदाबाद के लिए रवाना हुए। उनके साथ प्रमोद महाजन और नरेंद्र मोदी भी सहयात्री थे।
राजकोट में आडवाणी ने दिल्ली से आए पत्रकारों और स्थानीय संवाददाताओं से बातचीत की और उनके साथ भोजन किया। सौराष्ट्र के पार्टी नेताओं- चिमनभाई शुक्ला, विजयभाई रूपाणी और बाजुभाई वाला- के साथ वे सर्किट हाउस के पास रेसकोर्स भी गए। वहां उन्होंने पहले की तरह पटेल आइसक्रीम दुकान जाकर वनीला आइसक्रीम का स्वाद लिया। जब भी वे राजकोट आते, पटेल आइसक्रीम या मगनलाल आइसक्रीम दुकान जरूर जाते थे।
टी. एन. शेषन के कार्यकाल से पहले चुनावी जनसभाएं देर रात तक चलती थीं। बीजेपी की सभाएं प्रायः शास्त्री मैदान में ही होती थीं, जो शहर के मध्य में त्रिकोण बाग और जुबली बाग के बीच स्थित है। उनकी सभाएं अक्सर रात दस बजे के बाद शुरू होती थीं। भाषण समाप्त करने के बाद आडवाणी रेसकोर्स अवश्य जाते थे।
जब भी वे राजकोट आते, रेसकोर्स के सामने स्थित शहर के सबसे बड़े सिनेमा हॉल में फिल्म देखते और पत्रकारों को भी देखने की सलाह देते। वे यह भी याद करते कि दिल्ली में वाजपेयी के साथ भी सिनेमा देखने जाया करते थे।
आडवाणी को राजकोट से विशेष लगाव था। एक बार अपने प्रवास के दौरान उन्होंने बताया कि उनके माता-पिता गांधीधाम में रहते थे और उनकी बहन मोरबी में। एक बार वे बहन से मिलने मोरबी गए, जो उस समय पार्किंसन बीमारी से जूझ रही थीं। उन्होंने दुख जताया कि उनकी बहन की याददाश्त भी कमजोर हो गई थी।
1984 में शास्त्री मैदान में आयोजित एक चुनावी सभा में उन्होंने काले धन के मुद्दे पर भाषण दिया था और वादा किया था कि उनकी सरकार बनने पर विदेशों में जमा ब्लैक मनी भारत वापस लाएंगे।
उस समय चुनाव के दौरान आडवाणी राजकोट सर्किट हाउस में ठहरे थे, और उसी भवन के दूसरे कमरे में संजय विचार मंच की नेता मेनका गांधी भी रुकी थीं। तब नेताओं के सरकारी आवास पर ठहरने पर कोई प्रतिबंध नहीं था और चुनाव आयोग के पर्यवेक्षक भी नहीं होते थे।

