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दो दर्जन देशों में इजराइली स्पाइवेयर के निशाने पर व्हाट्सऐप, जानें पूरा मामला

दिग्गज टेक कंपनी मेटा के स्वामित्व वाले व्हाट्सऐप का आरोप है कि उसके यूजर्स पर इजराइली पैरागॉन सॉल्यूशन्स स्पाइवेयर हैकिंग की गतिविधि कर रहा है। व्हाट्सऐप का दावा है कि स्पाइवेयर के निशाने पर पत्रकार और नागरिक समाज के लोग मुख्य रूप से शामिल हैं। व्हाट्सऐप के अनुसार करीब दो दर्जन से अधिक देशों में उसके यूजर को निशाना बनाया गया है।

कंपनी का कहना है कि अभी कम से कम 90 लोग टारगेट किए गए हैं। इसके अलावा यह भी कहा गया है कि बहुत हद तक संभव है कि इन लोगों के हितों के साथ समझौता किया गया हो। व्हाट्सऐप ने कहा कि वह हमले शुरू करने वाले पैरागॉन ग्राहकों की पहचान करने में सक्षम नहीं है। वहीं, पैरागॉन सॉल्यूशन का कहना है कि वह केवल सरकारी ग्राहकों को ही जानकारी देता है। 

पैरागॉन ने व्हाट्सऐप यूजर्स को भेजा जीरो क्लिक मेलवेयर 

व्हाट्सऐप के प्रवक्ता के मुताबिक, पैरागॉन ने साइबर अटैक को अंजाम देने के लिए जीरो क्लिक मेलवेयर भेजा है। इसमें यूजर की ओर से लिंक पर बिना कोई एक्शन लिए भी हैकिंग संभव होती है। यह मामला अब कानून प्रवर्तन और अन्य उद्योग निकायों के साथ इंटरनेट अधिकार समूह ‘सिटीजन लैब’ को भेजा गया है। 

कंपनी का कहना है कि यह हमले बीते साल दिसंबर में किए गए थे। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि उपयोगकर्ताओं को कब तक निशाना बनाया गया था।

कंपनी ने यह बताने से इनकार किया है कि किसे निशाना बनाया गया या उन लोगों की लोकेशन क्या थी? कंपनी की तरफ से कहा गया है कि निशाना बनाए गए ये यूजर दो दर्जन से अधिक देशों में हैं। इनमें खासकर यूरोप के कई लोग भी शामिल है। व्हाट्सऐप ने कहा कि वह प्रभावित लोगों से संपर्क कर रहा है।

गैरकानूनी कार्यों के लिए तय हो जवाबदेही 

कंपनी ने कहा कि “यह इस बात का नवीनतम उदाहरण है कि क्यों स्पाइवेयर कंपनियों को उनके गैरकानूनी कार्यों के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।”

“व्हाट्सएप लोगों की निजी तौर पर संवाद करने की क्षमता की रक्षा करना जारी रखेगा।”

हालांकि पैरागॉन, व्हाट्सऐप और उसके उपयोगकर्ताओं को टारगेट करने वाला पहला इज़राइली स्पाइवेयर निर्माता नहीं है। इससे पहले भी इजराइल के सॉफ्टवेयर पर ऐसे आरोप लगते रहे हैं। साल 2019  में पेगासस इसी विवाद में चर्चा में था। 

मीडिया रिपोर्ट्स में अक्टूबर 2024 में बताया गया था कि अमेरिकी आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन (आईसीई) ने पैरागॉन के साथ दो मिलियन अमेरिकी डॉलर के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे।

पैरागॉन जैसी स्पाइवेयर कंपनियों का कहना है कि उनका सॉफ्टवेयर अपराध से लड़ने और राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा करने के लिए है। हालांकि ऐसे उपकरण बार-बार पत्रकारों, कार्यकर्ताओं, विपक्षी राजनेताओं अधिकारियों के उपकरणों के साथ छेड़छाड़ करते हुए पाए गए हैं। इस वजह से इन पर हमेशा सवाल सवाल उठते रहे हैं।

अमरेन्द्र यादव
लखनऊ विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में स्नातक करने के बाद जामिया मिल्लिया इस्लामिया से पत्रकारिता की पढ़ाई। जागरण न्यू मीडिया में बतौर कंटेंट राइटर काम करने के बाद 'बोले भारत' में कॉपी राइटर के रूप में कार्यरत...सीखना निरंतर जारी है...

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